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Year Ender 2024: भारतीय कुश्ती के लिए बुरे सपने के जैसा रहा साल 2024, ओलंपिक में विनेश से लेकर, बजरंग पर बैन तक हुई ये प्रमुख घटनाएं

भारतीय कुश्ती के लिए बुरे सपने के जैसा रहा साल 2024/ Image Credit : PTI

नई दिल्ली : Year Ender 2024: साल 2024 को खत्म होने में अब कुछ ही दिन का समय बचा हुआ है। इस साल कई ऐसी घटनाएं हुई जिन्होंने सबको झकझोर के रख दिया। इन्ही में से एक घटना थी भारतीय कुश्ती से जुड़ी। साल 2024 में कुश्ती में कुछ ऐसा हुआ जो किसी ने कभी सोचा भी नहीं था। पेरिस ओलंपिक-2024 में विनेश फोगाट का तय लग रहा पदक चले जाने से सभी को एक बड़ा झटका लगा। एक समय था जब कुश्ती को ओलंपिक में भारत की पदक उम्मीदों में गिना जाता था, लेकिन पेरिस ओलंपिक में अमन सहरावत के कांस्य पदक के अलावा इस खेल में भारत की झोली खाली रही। बदकिस्मती से विनेश का स्वर्ण पदक बिल्कुल करीब आकर निकल गया।

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नायिकाओं की तरह हुआ विनेश का स्वागत

Year Ender 2024:  ओलंपिक के लिए उनके पसंदीदा भारवर्ग में जगह नहीं बनने से विनेश ने निचले वर्ग में किस्मत आजमाई। उन्होंने पेरिस ओलंपिक में पहले दौर में जापान की महान पहलवान युइ सुसाकी को हराया, लेकिन फाइनल के दिन सुबह 100 ग्राम वजन अधिक पाए जाने के कारण अयोग्य करार दी गई। एक दिन बाद विनेश ने खेल को अलविदा कह दिया। इस घटना के बाद जब विनेश घर लौटी तो उनका नायिकाओं की तरह स्वागत किया गया। विनेश ने राजनीतिक पारी शुरू करके कांग्रेस का दामन थामा और हरियाणा विधानसभा चुनाव में जुलाना से जीत दर्ज करके विधायक बन गईं।

बजरंग को नहीं मिला किस्मत का साथ

Year Ender 2024:  दूसरी तरफ बजरंग पूनिया भी कांग्रेस में शामिल हुए, लेकिन उनकी किस्मत विनेश जैसी नहीं रही। अभ्यास शिविरों के दौरान डोप टेस्ट के लिए नमूने देने में नाकाम रहने के कारण उन पर चार साल का प्रतिबंध लगा। इससे पहले वह पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालिफाई भी नहीं कर सके थे। टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद उनका करियर ग्राफ इस साल बिल्कुल नीचे चला गया।

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अंशु मलिक और अमित पंघल ने किया निराश

Year Ender 2024:  विनेश और बजरंग लगातार कहते रहे कि डब्ल्यूएफआई के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न को लेकर उनकी लड़ाई राजनीतिक नहीं है, लेकिन उनके कांग्रेस से जुड़ने के बाद उनकी साथी पहलवान और रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने अपनी किताब में लिखा कि दोनों के लालच ने उनके प्रदर्शन की हवा निकाल दी।

अगली पीढ़ी के पहलवानों अंशु मलिक और अमित पंघल ने पेरिस में निराश किया, लेकिन अमन सहरावत ने छत्रसाल स्टेडियम की परंपरा को आगे बढ़ाकर पुरुषों की फ्रीस्टाइल 57 किलो कुश्ती में कांस्य पदक जीता। इसी वर्ग में 2020 टोक्यो खेलों में रवि दहिया ने रजत पदक जीता था, लेकिन चोटों और खराब फॉर्म ने दहिया को हाशिये पर धकेल दिया। टोक्यो में भारत को कुश्ती में दो पदक मिले थे, लेकिन पिछले एक साल के घटनाक्रम ने भारतीय कुश्ती को काफी पीछे खिसका दिया।

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