देश दुनिया

कब रखा जाएगा शनि प्रदोष व्रत, जानें दिसंबर माह के आखिरी प्रदोष की तारीख और शुभ मुहूर्त

भगवान शिव और मां गौरी को समर्पित प्रदोष व्रत हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. कहते हैं इस प्रदोष व्रत को करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और भगवान भोलेनाथ (Lord Shiva) और मां पार्वती की कृपा बनी रहती हैं. ऐसे में अगर आप दिसंबर के माह में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) रखना चाहते हैं, तो यहां जानिए साल के आखिरी प्रदोष व्रत की तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और शनि प्रदोष व्रत के महत्व के बारे में.

साल का आखिरी प्रदोष व्रत

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल का आखिरी प्रदोष व्रत पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ेगा जिसकी शुरुआत 28 दिसंबर 2024 को सुबह 2:26 पर होगी और इसका समापन 29 दिसंबर 2024 सुबह 3:32 पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 28 दिसंबर के दिन ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा. चूंकि यह व्रत शनिवार के दिन पड़ रहा है इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जा रहा है. शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ के साथ ही शनि देव Shani Dev) की पूजा करने का विशेष महत्व होता है और इससे शनि दोष से भी मुक्ति मिलती है.

शनि प्रदोष व्रत के दिन अगर आप पूजा अर्चना करना चाहते हैं तो प्रदोष काल में शाम के समय ही पूजा करने का विशेष महत्व होता है. 28 दिसंबर को शाम 5:21 से लेकर रात 8:06 तक भगवान भोलेनाथ और शनि देव की पूजा अर्चना कर सकते हैं.शनि प्रदोष व्रत पर पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें. साफ और स्वच्छ कपड़े धारण करें. घर के मंदिर की साफ सफाई करें, एक छोटी चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर शिव परिवार की प्रतिमा विराजित करें, शिवलिंग का जल अभिषेक करें, शिव परिवार के समक्ष दीपक जलाएं और शिव चालीसा का पाठ करें. भगवान शिव और माता पार्वती को फल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें, आरती करें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद शाम को प्रदोष काल में दोबारा स्नान कर शिवालय जाकर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करें. साथ ही शिवलिंग पर बेलपत्र, आक के फूल, धतूरा अर्पित करें. पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शनि देव के मंदिर में जाकर भी पूजा अर्चना करें.

Related Articles

Back to top button