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गुजरात का ये किसान उगा रहा है PM मोदी की फेवरेट सब्जी! जिससे खेती में हो रही है एक्स्ट्रा कमाई

पाटन: गुजरात के पाटन जिले के चाणास्मा तालुका के रूपपुर गांव के निवासी राकेशभाई डेव एक पारंपरिक किसान हैं और उन्होंने पिछले नौ सालों से प्राकृतिक खेती अपनाई है. प्राकृतिक खेती से उत्पादन में वृद्धि, दोगुनी आय और विषरहित अनाज की उपलब्धता (Availability of non-toxic grains) के कारण उन्होंने जीवनभर के लिए गाय आधारित प्राकृतिक खेती करने का संकल्प लिया है. उनके संकल्प का पालन करते हुए गांव के अन्य किसान भी प्राकृतिक खेती की ओर मुड़े हैं.

पाटन के किसान राकेशभाई डेव ने 35 बीघा जमीन पर पिछले नौ सालों से प्राकृतिक खेती की है.अनाज और दालों के साथ-साथ उन्होंने प्याज और लहसुन जैसी सब्जी की फसलों में भी प्राकृतिक खेती के तरीके अपनाए हैं. लोकल 18 से बात करते हुए राकेशभाई ने कहा, “मैं पिछले नौ सालों से प्राकृतिक खेती कर रहा हूं, जिसके कारण मेरी जमीन उर्वर और समृद्ध हो गई है. मुझे प्राकृतिक खेती बहुत पसंद है और मैं पूरी ज़िंदगी प्राकृतिक खेती करूंगा.”

प्राकृतिक खेती के लिए आठ देशी गायें पाली हैं
बता दें कि इन गायों के गोबर और गौमूत्र से वह ठोस जीवामृत तैयार करते हैं और उसे कृषि फसलों में इस्तेमाल करते हैं. देशी गायों का गोबर सुखाकर ठोस जीवामृत बनाया जाता है और इसे 15 दिनों के अंतराल पर इकट्ठा किया जाता है. ठोस जीवामृत 35 दिनों में तैयार होता है. जीवामृत गाय के मूत्र और अन्य पौधों से बनाया जाता है. फसल की स्थिति के अनुसार, जीवामृत को 15 से 21 दिन तक दिया जाता है.2000 सहजन पौधों का रोपण किया.
राकेशभाई पिछले दो सालों से सहजन, रयाडो और गेहूं की फसल उगा रहे हैं. सहजन की खेती पर उनका विशेष ध्यान है और उन्होंने दो हजार सहजन पौधे लगाए हैं. बीच में, उन्होंने गायों और गेहूं के लिए चारा भी बोया है. आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से सहजन फायदेमंद होता है, इसलिए उन्होंने सहजन की खेती की दिशा अपनाई है. वह सहजन के पत्ते और सींग एक हर्बल कंपनी को बेचते हैं, जो सहजन के पत्तों से पाउडर बनाती है. इस तरह से सहजन से उन्हें अच्छा आय होता है. सहजन की खेती से वह सालाना एक लाख रुपये से अधिक की अतिरिक्त आय कमा रहे हैं. गौरतलब है कि सहजन की सब्जी पीएम नरेंद्र मोदी को भी पसंद है. एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने यह भी बताया था कि उन्हें सहजन पराठा बेहद पसंद है.

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