छत्तीसगढ़ में भी विधान परिषद के गठन की उठी मांग
युवा क्रांति संगठन ने की पहल,
कहा मांगे पूर्ण होने से सभी क्षेत्रो के लोगो को मिलेगा प्रतिनिधित्व
दुर्ग। समाज के सर्वागींण विकास के क्षेत्र में कार्यरत् युवा क्रांति संगठन ने छत्तीसगढ़ में विधानसभा परिषद के गठन के अलावा विधानसभा सीटों की संख्था में वृद्धि करने को लेकर आवाज बुलंद की है। इस आशय का संगठन द्वारा भारत निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोरा, राज्य मुख्य निर्वाचन आयोग पदाधिकारी सुब्रत साहू और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र भी प्रेषित किया गया है। छत्तीसगढ़ में जनसंख्या वृद्धि का हवाला देते हुए पत्र में कहा गया है कि विधानसभा परिषद के गठन व विधानसभा सीटो में वृद्धि से शहरी एवं ग्रामीण जनप्रतिनिधियों के अतिरिक्त शिक्षा, विज्ञान, कला, सहकारिता व समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को प्रतिनिधित्व का पर्याप्त अवसर मिलेगा। जो प्रदेश के विकास के लिए अहम विषय साबित होगा। युवा क्रांति संगठन ने पूर्व में दुर्ग संभाग निर्माण, बालोद व बेमेतरा को जिला का दर्जा देने, दुर्ग यूनिर्वसिटी, आईआईटी स्थापना व ठगडाबांध रेल्वे क्रासिंग में ओव्हरब्रिज निर्माण की मांगो को प्रमुखता के साथ उठाया था। इन मांगो को राज्य सरकार द्वारा उदारतापूर्वक पूर्ण किया गया है। विधानसभा परिषद गठन व विधानसभा के सीटो में वृद्धि की मांगो पर भी राज्य सरकार उचित पहल कर छत्तीसगढ़ को एक नया स्वरूप देने का रास्ता प्रशस्त करेगी। यह बाते युवा क्रांति संगठन छत्तीसगढ़ के प्रदेशाध्यक्ष गफफार खान ने गुरूवार को पत्रकारों से चर्चा में कही। इस दौरान संगठन के पदाधिकारी रमाकांत यादव, लक्ष्मीकांत शर्मा, मोहम्मद शमशुद्दीन, अजय गुप्ता, असलम कुरैशी, नरेश साहू, अनीस रजा, निशांत झा, रियाजुद्दीन खोखर भी मौजूद थे।
युवा क्रांति संगठन के प्रदेश अध्यक्ष गफफार खान ने चर्चा में कहा कि 1 नवम्बर 2000 में राज्य गठन के पश्चात् 2001 की जनगणना अनुसार राज्य की कुल आबादी 2,08,33,803 थी, जो 2011 में बढक़र 2,55,45,198 हो गई है। इस प्रकार कुल जनसंख्या वृद्धि 47,11,395 हो गई है। जो कुल आबादी का 20 प्रतिशत है। जिस आबादी को समुचित प्रतिनिधित्व दिया जाना परिस्थिति की अनिवार्यता है। जो विधान परिषद जैसे संस्थान के गठन से ही संभव है। इसलिये देश के 7 राज्यों आंध्रप्रदेश, बिहार, जम्मु कश्मीर, कर्नाटक, तेलांगाना, महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी विधान परिषद के गठन का मार्ग प्रशस्त किया जाना चाहिए। विधान परिषद संसद के उच्च सदन राज्य सभा के समानांतर होती है, और इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष होती है। विधान परिषद के लिए यह आवश्यक है कि परिषद की सदस्य संख्या विधान सभा के कुल सदस्यों के एक तिहाई से ज्यादा नहीं होनी चाहिए और कुल संख्या 40 से कम नहीं हो सकती है। इसलिये विधान सभा सीट बढ़ाये जाने सहित अन्य बातों का ध्यान रखते हुए विधान परिषद का गठन किया जाना चहिए। वैसे भी तुलनात्मक आधार पर देखा जाये तो 1.98 करोड़ मतदाता संख्या वाले पंजाब में विधान सभा सीटों की संख्या 117 है वहीं 1,85,45,819 मतदाता संख्या वाले छत्तीसगढ़ में विधान सभा की 90 सीटें हैं। इस तरह पंजाब व छत्तीसगढ़ में कुल विधान सभ सीटों का अंतर 27 है। छत्तीसगढ़ में 2008 में परिसीमन 1971 की जनसंख्या की आधार पर किया गया था, तब राज्य की जनसंख्या 1,16,73,495 थी, जबकि 2011 की मतगणना अनुसार राज्य की कुल आबादी 2,55,45,198 है जो 1971 की जनसंख्या की तुलना में 1,38,71,703 अधिक है। श्री खान ने कहा कि छत्तीसगढ़ में विधानसभ सीटों की वर्तमान संख्या अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से है। 2008 में हुए परिसीमन में सिर्फ विधानसभा के क्षेत्रों में बदलाव किये गये थे। विधान सभा के क्षेत्रो की संख्या नहीं बढ़ाई गई थी। 2008 की परिसीमन में सूरजपुर, पाल, पिलखा, बगीचा, तपकरा, सरिया, जरहाँगाँव, सीपत, पामगढ़ मालखरौदा, रायपुर शहर मंदिर हसौद, भटगांव, पल्लरी, कसलूर, भानपुरी, धमधा, मारो, खेरथा, चौकी और वीरेन्द्र नगर की सीटें विलुप्त हो गई थी और नई विधानसभा सीटें भरतपुर, सोनहट, भटगाँव, प्रतापपुर,कोरबा, कुनकुरी, रामानुगंज, बेलतरा, जैजैपुर, बिलाईगढ़, रायपुर पश्चिम, रायपुर उत्तर, रायपुर दक्षिण, दुर्ग ग्रामीण, वैशाली नगर, अहिवारा, पंडरिया, नवागढ़ मोहला मानपुर, अंतागढ़ और बस्तर विधानसभा सीटें अस्तित्व में आई थी, चूकि परिसीमन को 10 साल हो चुके है। इसलिए परिसीमन का आधार 2011 की मतगणना होनी चाहिए, ताकि विधानसभा सीटों की संख्या में इजाफा हो सके।