स्ट्रीट डॉग का आतंक! 24 घंटे के अंदर 316 लोगों को कुत्तों ने काटा, नौ महीने में मात्र जिले के 52 हजार लोग बने शिकार
ग्वालियर: OMG! 316 people were bitten by dogs within 24 hours मध्य प्रदेश के ग्वालियर में अपराधियों से ज्यादा स्ट्रीट डॉग की दहशत है। आलम यह है, कि बीते 24 घंटे के अंदर ग्वालियर में 316 लोगों को स्ट्रीट डॉग ने अपना शिकार बनाया। शहर हो या गांव बाजार हो या गालियां हर जगह स्ट्रीट डॉग का आतंक छाया है। स्ट्रीट डॉग बच्चों से लेकर युवा, बुजुर्ग और महिलाओं को अपना शिकार बना रहे हैं। पिछले नौ महीने में अकेले ग्वालियर जिले में करीब 52 हजार से ज्यादा लोगों को डॉग काट चुके है।
ग्वालियर शहर और उसके आसपास के इलाकों में स्ट्रीट डॉग का आतंक छाया है। ठंड का सीजन होने के बावजूद स्ट्रीट डॉग लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। सोमवार को शहर के तीन सरकारी अस्पतालों में डॉग बाइट के शिकार 316 मरीज़ रेबीज के इंजेक्शन लगवाने पहुंचे।
– जयारोग्य अस्पताल में 129 डॉग बाइट के मरीज़ पहुंचे।
– मुरार जिला अस्पताल में 116 डॉग बाइट के मरीज़ पहुंचे।
– हजीरा सिविल अस्पताल में 81 डॉग बाइट के मरीज़ रेबीज़ का इंजेक्शन लगवाने पहुंचे।
आज मंगलवार को भी स्ट्रीट डॉग का शिकार लोगों का अस्पतालों में पहुंचने का सिलसिला सुबह से ही शुरू हो गया। ग्वालियर के सभी सरकारी अस्पतालों में रेबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए मरीजों की भीड़ नजर आई।
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ग्वालियर के सरकारी अस्पतालों में औसतन ढाई सौ से 300 लोग डॉग बाइट का शिकार होकर पहुंच रहे हैं। हालत यह है कि लोगों को अब घर से बाहर निकलने में भी डर लगता है। अब तो हालात यह हो चुके है कि स्ट्रीट डॉग के डर से लोगों ने घर से बाहर निकलना भी कम कर दिया है। इन स्थितियों के बावजूद नगर निगम के कान पर जू नही रेंग रही है। निगम का एनिमल बर्थ कंट्रोल प्लान और आक्रामक डॉग को पकड़ने की योजनाएं सिर्फ कागजों पर संचालित कर रहा है। हालाकि आयुक्त का दावा है, तेजी से कुत्ते पकड़े जाएंगे।
देखा जाएं….तो ग्वालियर की सड़कों पर स्ट्रीट डॉग की संख्या बढ़ने और नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा उनको नहीं पकड़ पाने के कारण शिकायतों की संख्या तेजी से बढ़ी है। हालात यह है कि लोग सीएम हेल्पलाइन तक लगा रहे है। लेकिन इन शिकायतों का निराकरण नहीं हो रहा है। इस कारण से लोगों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। वहीं डॉग बाइट के मामलों में बच्चों ओर युवाओं की संख्या काफी ज्यादा हैं। पिछले आए केस में 35 फीसदी बच्चे हैं, जबकि 45 फीसदी 18 से 35 साल के युवा हैं।
नासिर गौरी आईबीसी24 ग्वालियर