जिले की दोनो प्रमुख राजनीतिक दल अवैध शराब के मामले में तुले एक दूसरे पर दोष रोपण में

प्रतिदिन दुर्ग जिले में पकड़ा रही है अनगिनत अवैध शराब की पेटियां
आबकारी विभाग का काम कर रही है स्थानीय पुलिस
निष्क्रिय आबकारी विभाग को शासन को कर देना चाहिए बंद
भिलाई। आखिर दुर्ग-भिलाई की राजनीति फिजा् को क्या हो गया है? दोनो ही राष्ट्रीय पार्टी के नेता के कार्यकर्ता इनदिनों दुर्ग जिले के खासकर भिलाई में अवैध शराब तस्करी और शराब ढोने के मामले में फेसबुक और वाटसएप में जहां एक ओर अपनी पूरी भड़ास निकाल रहे हैं, कोरोना जैसी इस महामारी में और लॉकडाउन के समय में लोग जनता सेवा छोड़ पैसा कमाने और एक दूसरे को बदनाम करने की होड़ सी मची है, और इस तरह की नेतागिरी चमकाने में दोनो ही पार्टी के नेता सुर्खियों में है। बड़ा सवाल यह उठता है कि मिनी भारत कहलाने वाला ये भिलाई जो कि लौहनगरी और शिक्षानगरी के नाम सेजाना और पहचाना जाता है, लेकिन इस लॉकडाउन में लोग अब इस मिनीभारत को शिक्षाधानी के नाम से ना जानकर अब शराबधानी के नाम से जानने और पहचानने लगे हैं। जिन राजनोताओं के उपर चाहे वह वर्तमान मं हो या पूर्व में हो, जिनहें जनता सेवा और क्षेत्र के विकास के लिए जनता ने पांच साल की बागडोर सौंपी है, वह सिर्फ और सिर्फ अवैध शराब सहित अन्य प्रकार के अवैध कारोबार में लग गये है। ऐसे में जहां एक ओर कांग्रेस भाजपा के उन नेताओं के लिए चुनावी वर्ष में ये शराब तस्करी के मामले में पकडे जाने वाले समर्थक उस समय काफी घातक सिंद्ध होंगे चूकि कोई समर्थक यदि कांगे्रस का है तो उसे अपने आका से कोई सपोर्ट नही मिला और यदि कोई सपोर्टर भाजपा से हो तो उसका भी कशमकश इसी तरह का दर्द झलक रहा है। मजा तो सिर्फ वाटसएप और फेसकबुक में जनता और दोनो ही दलों के नेता और कार्यकर्ता फेसबुक पर तमाम बडे नेताओं के साथ गाहे बगाहे किसी कार्यक्रम में फोटो खिंचाने वाले इन समर्थक को जहां एक ओर बड अपराधी या बड़ा शराब तस्कर घोषित करके लाईक और कमेट कर रहे हैं। ये दोनो ही राजनीतिक दल के नेताओं के लिए होने वाले आगामी महापौर चुनाव में दूरगामी परिणाम साबित होंगे। शिक्षाधानी इस भिलाई में जनता और खासकर युवा इस शराब तस्करी या अवैध शराब परिवहन के मामले में जब फंसी तब वह समझ गई कि बाप बउ़ा ना भईया, सबसे बड़ा रूपैया, ऐसे कई मामले भी रहे जिसमें नामचीन लोग जिनका शराब कारोबार से वर्षोँ से ताल्लुकात है। वैसी बड़्ी मछलियों पर पुलिस अपना शिकंजा नही कस पा रही है लेकिन नये युवा जो कि किसी ना किसी राजनैतिक दल से ताल्लुकात रखते है, या किसी बडे नेता के सर्पोटर कहलाता है, इनदिनों दुर्ग पुलिस उन्हें आखिरकार निशाना क्यों बना रही है? ये सारी कार्यवाही के पीछे क्या कोई राजनैतिक दबाव या कोई बड़ी राजनीक खेल चल रहा है क्या? लेकिन राजनेता को भी अब समझना होगा कि उनहें जनता सेवा और विकास कार्य की ओर ध्यान लगाना होगा अन्यथा यही युवा और जनता इन दोनो ही दलों के दिग्गज नेताओं को चुनाव मं पटखनी देने में जरा भी नही चुकेंगी। शराब की इस मामले में अब युवा जाग गया है, एक ओर जहां कोरोना और लॉकडाउन से जूझ रहा है वहीं भिलाई में खासकर अवैध शराब का परिवहन जिसमे खासकर शराब का ब्रांड पार्टी स्पेशल, डिस्कवरी अन्य ब्रांड के शराबों की बिक्री अवैध रूप से इस भिलाई में बेखौफ जारी है, आखिरकार शराब आ कहां से रही है? प्रदेश के डीजीपी डीएम अवस्थी का साफ फरमान है कि जिले और प्रदेश की सीमाएं सील हेै, पुलिस पूरी तरह मुस्तैद है, उसके बावजूद भी भिलाई पहुंचने वाली शराब 40 किलोमीटर दूर राजधानी से बेखौफ भिलाई में लाकर बेचने का कारोबार धड़ल्ले से जारी है, पुलिसिया पूछताछ में अब तक पकड़े गये लोगों में विवेक प्रताप सिंह, जसकरण सिंह, इत्यादि लोगों ने पुलिस को बताया है कि वह शराब की पेटी रायपुर के किसी व्यक्ति से मंगवाये है। सवाल यह है कि पेटी दर पेटी खपाने वाला बड़े शराब माफियोंं पर आबकारी विभाग और पुलिस क्यों परहेज कर रही है। दुर्ग जिले में तो ये हाल है कि छत्तीसगढ में दुर्ग जिला एकलौता जिला है, जहां ऐसा प्रतीत होता है कि दुर्ग जिले में आबकारी विभाग नाम का कोई विभाग है ही नही। अब तक की शराब पकडने की कार्यवाही सिर्फ और सिर्फ लोकल थानों की पुलिस द्वारा ही की जा रही है। ऐसे में या तो आबकारी विभाग को बंद कर देना चाहिए या तो आबकारी के पूरे स्टाफ को प्रतिनियुक्ति पर जिला पुलिस बल में शिफ्ट कर देना चाहिए। अवैध शराब क ेइस मामले में पूरे मामले में कांग्रेस और भाजपा के उन दमदार नेताओं की चारो ओर जनता और युवा सिर्फ और सिर्फ थू-थू कर रही है। इस संकट की धड़ी में भी बडे राजनीतिक दल के लोग अपने समर्थकों को और अपनी जेब गरम करने में कोई कसर नही छोड़ रहे हँे। विपक्ष में अवैध शराब के मामले में सिर्फ और सिर्फ सांसद विजय बघेल ही मुखर होकर बोल रहे है, बाकी भाजपा के नेता चुप्पी साधे बैठे हैं। गाहे बगाहे सांसद श्री बघेल साफतौर पर कह रहे हैं कि छग में पूर्ण रूप से शराबबंदी हो, कांग्रेस भी अपना चुनावी वादा सत्ता पाने के बाद भूल गई है, सिर्फ केवल कमेटिंया बनाकर शराब बंदी को बंद करने की बात कहकर छग राज्य में जहंा एक ओर टाईमपास हो रहा है, वहीं दूसरी ओर अवैध शराबकारोबारियों का हौसला बढते ही जा रहा है। यहां ये बताना भी लाजिमी होगा कि दुर्ग जिला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, पीएचई मंत्री गुरू रूद्र कुमार का जिला है, इसके बावजूद भी कानून व्यवस्था नाम की चीज सरेराह इस जिले में धज्जियंा उडती नजर आ रही है, जो कार्यवाही करने कि जिम्मेदारी आबकारी की है उसे पुलिस विभाग अपनी बडी जिम्मेदारी समझकर निभा रहा है। लेकिन डेढ दो साल का सफर तय कर चुकी राज्य सरकार की छवि पर बूरा बसर पड़ रहा है, समय रहते यदि कानून व्यवस्था की इस व्यवस्था को नही सुधारा गया तो चुनाव परिणाम में जनता सबक सिखा सकती है।