क्या पानी पावउच को फैक्टरी में तैयार करने पर प्रतिबन्ध नहीं है, सिर्फ बेचने पर प्रतिबन्ध है ?
दुर्ग स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी …
ग्रामीण क्षेत्र के पंचायत कर्मचारी
दुर्ग – अक्टूबर गांधी जयंती पर प्रधान मंत्री नरेद्र मोदी ने पर्यावरण के बढ़ते प्रदुषण को देखते हुए पालीथिन को पूरी तरह बंद किये जाने को लेकर आदेश जारी किया था, और स्थानीय प्रशासन ने भी लगभग अपनी तरफ से कही नोटिस के माध्यम से तो कही छापामार कार्यवाही करते हुए रोक लगाने का प्रयास किया है , जिसकी जानकारी समाचार पत्रों और चैनलों के माध्यम से पढ़ने सुनने को मिलती है, वही स्थानीय प्रशासन ने शहरों में भी होर्डिंग के माध्यम से लोगो को जागरूक करने का प्रयास किया है, लेकिन जहा पानी पावउच बेचने वाले ठेलों खुमचों पर कार्यवाही करने में निगम पीछे नहीं हटता, वही दुर्ग नगर निगम और भिलाई नगर निगम के अधिकारी शहर में संचालित पानी पावउच फैक्टरीयों पर मेहरबानी क्यों कर रहे है, यह बात समझ से परे नजर आ रही है, या फिर इसको ऐसे समझा जाए की पानी पावउच तैयार करना प्रतिबंधित नहीं बल्कि उसे होटलों और ठेलों में रखकर बेचने पर प्रतिबन्ध लगाया गया है ! दुर्ग धमधा नाका के पास संचालित सोना पानी फैक्टरी, हाउसिंग बोर्ड में संचालित पावी एकवा, उतई में संचालित तुलसी इनके अलावा भी कई ऐसी फक्ट्रीया शहर और जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित है, जिस पर आदेश के दो माह बीतने के बाद भी प्रतिबन्ध नहीं लगाया जा सका, जहा एक तरफ स्थानीय प्रशासन बड़े बड़े होर्डिंग लगाकर लोगो में जागरूकता बाटने की नौटंकी करने से बाज़ नहीं आ रहा है, वही दूसरी तरफ शासकीय आयोजनों में अधिकारीयों कर्मचारियों को भी खुल्लेआम पानी पावउच परोसा जाने पर कोई आपत्ति नहीं की जा रही है, ऐसा ही नज़ारा आज कलेक्टर जनसमस्या शिविर ननकट्टी में देखने को मिला, जहा जिला कलेक्टर स्वंय मौजूद थे, और जिला कलेक्टर के सामने अधिकारीयों की टेबल पर नाश्ते के साथ पानी पावउच दिखाई दे रहे थे ! ऐसा ही एक नज़ारा दुर्ग निगम के लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान देखने को मिला था जहा मंच से पानी पावउच को जहरीली नागिन कहा जा रहा था, वही दूसरी तरफ निगम ने पीने के लिए सोना पानी पावउच की कई गाड़ियों में लादकर पानी पावउच मंगाकर बातें !