दुर्ग भिलाई
बच्चों को सुपोषित बनाने पहल, बांटे प्रोटीन पाउडर और स्वच्छता किट

भिलाई। सामाजिक संस्था गोल्डन एंपथी (जीई) फाउंडेशन ने भिलाई नगर पालिक निगम के विभिन्न वार्ड के आंगनबाड़ी केंद्र पहुंच मध्यम एवं गंभीर कुपोषित बच्चों को सुपोषण की स्थिति में लाने पहल की। यहां फाउंडेशन ने स्वच्छता को अपनाने प्रशिक्षण दिया, वहीं प्रोटीन पाउडर, स्वच्छता किट और बच्चों की मालिश हेतु आयुर्वेदिक तेल का वितरण किया।
फाउंडेशन ने यहां वार्ड क्रमांक 22,23, 24 और 25 के अंतर्गत घासीदास नगर, फौजी नगर जवाहर नगर और हाउसिंग बोर्ड में आंगनबाड़ी केंद्रों में यह पहल की। जिसमें गंभीर और मध्यम कुपोषित बच्चों के अभिभावकों को सेक्टर पर्यवेक्षक उमेश शुक्ला ने महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी दी।
उन्होंने मुख्य रूप से कुपोषण क्या है, कुपोषण के कारण, कुपोषण से बचाव, कुपोषण को दूर करने के उपाय, बच्चों को शासकीय योजना से लाभान्वित करने, सतत स्तनपान, शिशु को छह माह पश्चात उपरी आहार, पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) की जानकारी पर विस्तृत चर्चा की।
साथ ही बच्चों को कृमिनाशक दवा, आयरन सिरप और विटामिन ए सिरप की समय पर खुराक लेने और कार्यकर्ताओं को समय-समय पर दवाई देने के बारे में बताया गया। बच्चों के आहार में मूंग दाल, चावल एवं स्थानीय सब्जी मिक्स खिचड़ी का उपयोग लाभकारी बताया गया। केंद्र से मिलने वाले रेडी टू ईट के सही उपयोग पर जानकारी और बच्चों की माता को परामर्श दिया गया।
जीई फाउंडेशन के संयोजक प्रदीप पिल्लई ने बच्चों को कुपोषण से सुपोषण की ओर लाने वाली महिलाओं को प्रोत्साहित किया एवं महिलाओं को संस्थान की तरफ से सम्मानित करने की बात कही। उन्होंने ‘कुपोषण भगाओ-सुपोषण लाओ’ को सार्थक बनाने में स्थानीय सब्जी, फल और मोटे अनाज का इस्तेमाल करने और इनकी विविधता एवं बारंबारता पर विशेष ध्यान देने कहा। क्योंकि बच्चे एक ही तरह के भोजन रुचिपूर्वक नहीं खाते इसलिए ऊपरी आहार की विविधता आवश्यक है।
फाउंडेशन की ओर से प्रकाश देशमुख ने बच्चों की स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने पर जोर देते हुए कहा कि बच्चों के खिलाने से पहले हाथ धोने की आदत जरूर डालें। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आशा पाठक ने हाथ धोने के चरण बच्चों के पालकों के समक्ष बताए।
जीई फाउंडेशन की ओर से विशाखा मनगुड़े ने अभिभावकों को संदेश दिया कि यदि छोटा कुपोषित है तो आने वाले समय में उसमें बीमारी की आशंका अधिक होती है। बच्चों में कुपोषण होने से उनके विकास की वृद्धि सुपोषित बच्चों की तुलना में कम होती है किंतु कुपोषण से डरे नहीं बल्कि बच्चों के खानपान पर विशेष ध्यान देंगे तो धीरे-धीरे बच्चा सुपोषित हो जाएगा।
फाउंडेशन की ओर से अजित सिंह ने गर्भवती महिलाओं को समझाया कि गर्भ में 3 वर्षों का अंतराल एवं खान-पान में विशेष ध्यान देकर एक सुपोषित बच्चे को जन्म देने में सहायक हो सकती है। इस अवसर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आशा पाठक जीतू मनहर, उमेश्वरी, किरण सिंह, भगवती साहू, सिंधु बघारे, ताज बेगम और सहायिका मारुति गुप्ता व चंचल निषाद सहित अन्य उपस्थित थे।