नेताजी…’भूत’ तो जनता उतारती है
छत्तीसगढ़ के एक भाजपा सांसद ने अफसरों को धमकी दी है कि वे ठीक से काम करें नहीं तो वे उनका भूत उतार देंगे। ये पहली बार नहीं है कि उन्होंने ऐसा कहा है। इससे पहले भी वे अपने प्रचार के दौरान नींबू काटकर भूत भगा देने और बुरी शक्तियों के नाश कर देने की बात कहते रहे हैं। ये सांसद महोदय इससे पहले जब पहली बार 2014 विधानसभा का उपचुनाव जीते थे तो इनकी किस्मत देखिए कि कांग्रेस के प्रत्याशी ने ऐन चुनाव से पहले अपना नाम वापस ले लिया था। वो तो शुक्र है कि उस समय उन्होंने यह नहीं कहा कि ये उनकी नींबू निचोड़ देने वाली शक्ति के कारण हुआ। वैसे अच्छा ही हुआ ऐसा नहीं कहा, क्योंकि अगले चुनाव में जब भाजपा ने सिटिंग एमएलए होने के बावजूद इनकी टिकट काट दी थी तो लोग पूछते कि महोदय आपकी नींबू वाली शक्ति खत्म हो गई क्या।
बहरहाल इनकी किस्मत 2019 लोकसभा चुनाव में फिर चमकी और भाजपा ने पूरी 11 सीटों पर नए प्रत्याशी घोषित कर दिए। इसमें इन्हें भी टिकट मिला और ये सांसद बन गए। संसद पहुंचने के बाद भी लेकिन ये अपनी नींबू विद्या नहीं भूले। अपने संसदीय क्षेत्र में ये जब भी आते हैं तो अपने भाषणों में इस विद्या का जिक्र कर देते हैं। अफसर, जनता सब का भूत उतराने की बात कहने वाले इन नेताजी को मालूम नहीं है कि नेताओं का भूत जनता उतारती है। देश-प्रदेश की राजनीति को अगर ये देखते और थोड़ा समझते तो मालूम होता कि प्रदेश में ही जनता ने कई नेताओं, राजनीतिक दलों का भूत पूरी तरह झाड़ दिया है।
नेताओं के सिर चढ़े सत्ता के भूत को जनता ने इस तरह झाड़ा कि कुछ ने तो राजनीति से ही किनारा कर लिया। फिर ये नेताजी तो ऐसी पार्टी में हैं, जिसके संगठन में ही कई भूत उतारने वाले बैठे हैं। ये लोग जनता से पहले ही अपने ही नेताओं का भूत उतारते रहते हैं। जिसको लगता है कि वो बड़ा नेता हो गया है पार्टी उसे जमीन दिखाती है। सांसद महोदय को टिकट भी इसी रणनीति के तहत मिला था। हाल ही में पार्टी ने पहली बार सांसद बने एक जूनियर को केंद्रीय मंत्री बनाकर कई सीनियर्स का भूत उतार दिया था।
दरअसल पार्टी जानती है कि अगर वो ऐसा नहीं करेगी तो जनता करेगी और जनता करेगी तो उसका खामियाजा पूरी पार्टी को भुगतना पड़ेगा। सांसद महोदय अगर अफसरों के सिर से भूत उतारने की जगह अपनी बिरादरी में ऐसा करें तो उन्हें ज्यादा ऐसे लोग मिलेंगे जिन पर भूत ही नहीं ब्रह्मराक्षस भी चढ़े हैं। पर नेताजी को तो सॉफ्ट टारगेट चाहिए, लिहाजा अफसरों को धमका दिया। इन्हें इस बात का भी गर्व है कि वे तांत्रिक-पुजारी हैं। वे तंत्र-पूजा के सहारे समस्याओं को हल करने की बात भी करते हैं।
एक निर्वाचित सांसद, सार्वजनिक रूप से ऐसी बात कहे तो लगता है कि लोकतंत्र और हमारे निर्वाचन सिस्टम में कोई कमी जरूर है। बहरहाल ये भी सही है कि यही लोकतंत्र हमें इस लायक भी बनाता है कि हम एक बार आजमाने के बाद अपने प्रतिनिधि के तौर पर चुने गए कमजोर सांसद-विधायक को खारिज कर दें। तो नेताजी समझ लें…वे कितना भूत उतार पाएंगे या नहीं ये तो नहीं मालूम, लेकिन जनता, नेताओं का भूत उतार देती है यह स्थापित तथ्य है।