लाईब्रेरियन पुखराज यादव अभिनव प्रयास, पुस्तकालय में स्थापित की नव-अवधारणा
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महासमुन्द। प्रत्येक पाठक को उसका अभीष्ट पुस्तक मिले, यह पुस्तकालय विज्ञान के संचालन के आधार स्तंभ पंच मूल-मंत्र में से द्वितीय है। पुस्तकालय संचालन एवं पाठकों के पठन के विषय में एक ही अवधारणा प्रदर्शित होती है कि पाठक पुस्तकालय पहुचते हैं और इच्छित पुस्तक पढ़ते है। कभी पाठकों में विशेष वर्ग (दिव्यांगजन) के संदर्भ में पुस्तकालय की भूमिका शून्य ही प्रदर्शित होता है। जैसे किसी विशेष पुस्तकालय उदाहरणार्थ विश्वविद्यालय की लाईब्रेरी में दिव्यांग पाठक भी हो सकते। उनके पठन हेतू पुस्तकालय का यह फर्ज है कि उन दिव्यांग जनों (श्रवणबाधित, मूक-बाधित या दृष्टीबाधित पाठक) के लिए एक पुस्तकालय के अंदर ही एक क्षेत्र निर्मित हो जहां वे भी पठन में लिप्त रहे और नित नव ज्ञान के लब्धि होते रहे। इसी अवधारणा को मूर्त रूप देने के प्रयास से आईएसबीएम विश्वविद्यालय के पुस्तकालय अध्यक्ष (लाईब्रेरियन) पुखराज यादव प्राज के द्वारा विश्वविद्यालय के सेंट्रल लाईब्रेरी में दिव्यांग जनों के पठन सहायक अभिनव प्रयोग किया जा रहा है। जहां दृष्टीबाधित पाठकों के लिए डीजिटल फार्मेंट में श्रव पुस्तकें, मुकबाधिर पाठकों के लिए साईनलैगवेज की पुस्तकें और श्रवणबाधिर पाठकों के लिए ई-बुक्स (ग्राफिक्स सहित) का नवाचार प्रारंभ किया जा रहा है। श्री यादव ने बताया कि प्रारंभ में दिव्यांग जनों के लिए 501 विभिन्न प्रकार के डीजिटल पुस्तको को विश्वविद्यालय के केन्द्रीय पुस्तकालय में एक विशेष सेक्शन तैयार किया जा रहा है। जहां दिव्यांग पाठकों को भी पुस्तकालय की सेवा का लाभ मिल पायेगा।