छत्तीसगढ़

प्रदेश मे होली का पारम्परिक त्यौहार बडे ही धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ माना व अनुभव तिवारी

प्रदेश मे होली का
पारम्परिक त्यौहार बडे ही धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ माना व अनुभव तिवारी

सबका सँदेश कान्हा तिवारी-
छत्तीसगढ प्रदेश मे होली का
पारम्परिक त्यौहार बडे ही धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ माना व मनाया जाता है इसलिए यहां चावल भोजन होते हैं.होली के त्यौहार मे भी छत्तीसगढ प्रदेश मे चावल की प्रधानता के नाते छत्तीसगढ़ के लोग चावल और गुड़ से बनने वाले पकवान खूब बनाते और खाते हैं. आइए जानते हैं आखिर यहां कौन-कौन से पकवान प्रचलित हैं.

मालपुआ -होली के त्यौहार मे ग्रामीण क्षेत्रो मे मालपुआ प्रसिध्द है  चावल को कूट कर इसमें गुड मिला कर बनाया जाता है. यह खास पकवान है जो छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड और उत्तरप्रदेश में खूब पसंद किया जाता है. इन राज्यों में मैदा का इस्तेमाल किया जाता है. जबकि छत्तीसगढ़ में चावल के आटे से मालपुआ बनता है.होली के त्यौहार मे जहां सभी लोग रंग और उल्लास से भीगे रहते है मालपुआ का मिठास होली के त्यौहार को उत्साह से भर देता है

 

खीर – छत्तीसगढ़ी तसमई खीर जैसा व्यंजन है. दूध, चावल का यह पकवान हर अवसर में बनता है फिर चाहे खुशी हो या फिर गम.छत्तीसगढ प्रदेश के गांव व शहरो मे पूडी के साथ खीर का स्वाद लिया व परोसा जाता है

खुरमी- गेहूं और चावल के आटे के मिश्रण से बना होता है यह छत्तीसगढ़ी व्यंजन लोगों के बीच खासा लोकप्रिय व्यंजन है. गुड़ चिरौंजी दाना और नारियल इसका स्वाद बढ़ा देते हैं.खुरमी व ठेठरी को छत्तीसगढी मे जांवा जोडी नाम से भी जाना जाता है

पपची- गेहूं-चावल के आटे से बनी पपची बालूशाही को भी मात दे सकती है. मीठी पपची मंद आंच में सेके जाने से कुरमुरी और स्वादिष्ट बन जाती है. नाश्ता के समय पपची के साथ मिक्चर वगैरह भी परोसा जाता है

अइरसा- चावल आटा और गुड़ की चाशनी से बना छत्तीसगढ़ी पकवान है. अइरसा के स्वाद का अँदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की अधिकांश गढ कलेवा केन्द्रो मे सबसे सम्भवतह अधिक मांग वाला व्यंजन है

देहरौरी- दरदरे चांवल और चाशनी में भींगी देहरौरी को रसगुल्ले का देसी रूप कह सकते हैं. हालांकि अब यह मीठा पकवान कम ही बनता है. लेकिन इसकी मिठास एकबारगी रसगुल्ले को भी मात देती दिखती है

ठेठरी- लम्बी या गोल आकृति वाला यह नमकीन व्यंजन बेसन से बनता है. यह विशेषकर तीज के त्योहार में बनने वाला पकवान है. लेकिन परम्परागत व होली के उत्सव मे भी इस व्यंजन के गृहणीया चाव व उत्साह से बनाती है

 

करी- करी, बेसन का मोटा सेव है, इसे नमक डालकर नमकीन करी बनाते हैं. बिना नमक के करी से गुड़ वाला मीठा लड्डू बनता है. दुःख-सुख के अवसरों में करी का गुरहा लड्डू बनाया जाता है.

अंगाकार – अंगार में पकाई गई गेहूं और चावल की डमोटी रोटी होती है. इसे कोयले या फिर कंडे की आग में सेंककर पकाया जाता है.होली के परम्परागत व्यंजन मे अँगातर घी और लाल मिर्च की चटनी का मजा ही कुछ और है

सोहारी- शादि-ब्याह और भोज में पतली और बड़ी पूरी-सोहारी बनाई जाती है. इसी तरह से मैदे का पूड़ा भी बनता है जिसे शादी ब्याह के मौके पर ससुरातल पक्ष को भेजा जाता है.

बरा या बड़ा- उड़द दाल से बने इस व्यंजन का होली के त्यौहार मे विशेष महत्व है इसे बनाने के लिए उड़द और मूंग दाल को भिगोकर पीसा जाता है. फिर इसमें कुछ मसाले मिलाकर बड़े के आकार में तला जाता है. इसे सादा या फिर नमक मिले पानी में डालकर भी खाया जाता है.
स्वरचित …..अनुभव तिवारी खोखरा जांजगीर चाम्पा

Related Articles

Back to top button