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Ganesh Chaturthi 2024 : गणेश चतुर्थी पर भद्रावास योग का निर्माण, कष्टों से मिलेगा छुटकारा, खुशियों से भर जाएगा जीवन

नई दिल्ली। Ganesh Chaturthi 2024 : आज गणेश चतुर्थी का महापर्व है। आज देशभर के पंडालों और घरों में गणपति बप्पा की स्थापना की जाएगी। हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी के पर्व का विशेष महत्व होता है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि खास होती है क्योंकि गणेश पुराण के अनुसार भगवान गणपति का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, चित्रा नक्षत्र और मध्याह्र काल में हुआ था। सनातन धर्म में भगवान गणेश की सबसे पहले पूजा की जाती है और हिंदू देवी-देवताओं में सबसे प्रसिद्ध और ज्यादा पूजे जाने वाले देवता हैं।

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गणेश चतुर्थी पर बन रहा भद्रावास योग

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी 07 सितंबर को प्रातः काल 04 बजकर 20 मिनट पर भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। वहीं, गणेश चतुर्थी के दिन संध्याकाल 05 बजकर 37 मिनट पर भद्रावास का समापन होगा। इस दौरान भद्रा पाताल लोक में रहेंगी। सनातन शास्त्रों में निहित है कि भद्रा के पाताल में रहने के दौरान पृथ्वी पर उपस्थित सभी जीवों का कल्याण होता है। इस शुभ योग में भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सकल दुख एवं कष्ट दूर हो जाएंगे।

गणपति स्थापना व गणेश चतुर्थी पूजन मुहूर्त

Happy Vinayaka Chaturthi 2024 Images मान्यता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के समय हुआ था, इसलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजन के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है। मध्याह्न काल अंग्रेजी समय के अनुसार दोपहर के समान होता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन मध्याह्न गणपति पूजा मुहूर्त सुबह 11 बजकर 03 मिनट से दोपहर 01 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। पूजन की कुल अवधि 02 घंटे 31 मिनट है।

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चतुर्थी तिथि कब से कब तक रहेगी

द्रिक पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि 06 सितंबर 2024 को दोपहर 03 बजकर 01 मिनट से 07 सितंबर 2024 को शाम 05 बजकर 37 मिनट तक रहेगी।

गणेश चतुर्थी व्रत कैसे किया जाता है ?

भादों मास की गणेश चतुर्थी पर सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनें।
अब घर में बप्पा के सामने फलाहार व्रत का संकल्प लें। शुभ मुहूर्त में पूजा की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर गणपति जी को स्थापित करें।
भगवान को गंगाजल से स्नान करवाएं, सिंदूर, चंदन का तिलक लगाएं। पीले फूलों की माला अर्पित करें।
मोदक का भोग लगाएं, देसी घी का दीपक जलाएं। गणेश जी के मंत्रों का जाप करें। आरती के बाद प्रसाद बांट दें।
शाम को फिर से गणेश जी की आरती करें और फिर भोग लगाएं। इसके बाद ही व्रत का पारण करें।

 

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