कैबिनेट ने भारतीय रेलवे में कनेक्टिविटी बढ़ाने, यात्रा को आसान बनाने, लॉजिस्टिक्स लागत कम करने, तेल आयात कम करने और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम करने के उद्देश्य से दो नई लाइनों और एक मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना को मंजूरी दी
*कैबिनेट ने भारतीय रेलवे में कनेक्टिविटी बढ़ाने, यात्रा को आसान बनाने, लॉजिस्टिक्स लागत कम करने, तेल आयात कम करने और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम करने के उद्देश्य से दो नई लाइनों और एक मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना को मंजूरी दी ।*
*परियोजनाओं की कुल अनुमानित लागत लगभग 6,456 करोड़ रुपये है और इसे 2028-29 तक पूरा किया जाएगा ।*
*इन परियोजनाओं के निर्माण के दौरान लगभग 114 (एक सौ चौदह) लाख मानव दिवसों का रोजगार पैदा होगा ।*
*1360 करोड़ रुपये की लागत से सरदेगा-भालुमुड़ा (37 किलोमीटर) नई डबल लाइन का किया जाएगा निर्माण ।*
छत्तीसगढ़ बिलासपुर भूपेंद्र साहू ब्यूरो रिपोर्ट – 28 अगस्त 2024
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने रेल मंत्रालय की लगभग 6,456 करोड़ रुपये की कुल अनुमानित लागत वाली तीन परियोजनाओं को मंजूरी दी है ।
इन परियोजनाओं से दूर-दराज़ के इलाकों को आपस में जोड़कर लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार लाने, मौजूदा लाइन क्षमता बढ़ाने और परिवहन नेटवर्क का विस्तार करने के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखला को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा जिससे तेजी से आर्थिक विकास होगा ।
नई लाइन के प्रस्तावों से सीधी कनेक्टिविटी बनेगी और आवागमन में सुधार होगा, तथा भारतीय रेलवे की दक्षता और सेवा संबंधी विश्वसनीयता बढ़ेगी । मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव परिचालन को आसान बनाएगा और भीड़भाड़ को कम करेगा, जिससे भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्त खंडों पर बेहद जरूरी बुनियादी ढांचे का विकास होगा । ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की नए भारत की परिकल्पना के अनुरूप हैं, जिनसे विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक विकास होगा और लोगों को “आत्मनिर्भर” बनाया जा सकेगा और उनके रोजगार/स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे ।
ये परियोजनाएं मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं, जो एकीकृत योजना तैयार किए जाने से संभव हुआ है और यह लोगों, वस्तुओं एवं सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा ।
ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे 4 राज्यों के 7 जिलों में लागू की जाने वाली तीन परियोजनाएं भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 300 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी ।
इन परियोजनाओं के साथ 14 नए स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा, जिससे दो आकांक्षी जिलों (नुआपाड़ा और पूर्वी सिंहभूम) को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी । नई लाइन परियोजनाओं से लगभग 1,300 गांवों और लगभग 11 लाख लोगों को कनेक्टिविटी मिलेगी । मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना से लगभग 1,300 गांवों और लगभग 19 लाख लोगों को कनेक्टिविटी मिलेगी ।
ये मार्ग कृषि उत्पादों, उर्वरक, कोयला, लौह अयस्क, इस्पात, सीमेंट, चूना पत्थर आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए आवश्यक हैं । क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप 45 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी । रेलवे पर्यावरण के अनुकूल एवं ऊर्जा कुशल परिवहन साधन है और इससे जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने, तेल आयात (10 करोड़ लीटर) को कम करने और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन (240 करोड़ किलोग्राम) को कम करने में मदद मिलेगी, जो 9.7 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है ।
*सरदेगा-भालुमुड़ा (37 किलोमीटर) नई डबल लाइन ; -* 28 अगस्त को कैबिनेट ने 1,360 करोड़ रुपए की लागत से सरदेगा-भालुमुड़ा (37 किमी ) नई डबल लाइन के निर्माण की मंजूरी दी है । इसके अंतर्गत छत्तीसगढ़ के भालुमुड़ा में 21 कि.मी. लाइन कवर होगी ।
*सरदेगा-भालुमुड़ा (37 किलोमीटर) नई डबल लाइन परियोजना से लाभ :-*
• इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में आदिवासी आबादी है । इन सीमावर्ती जिलों के बीच सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध में अत्यंत प्रगाढ़ता हैं । इस रेल लाइन के निर्माण से आस-पास के गांवों के निवासियों को फायदा होगा ।
• वर्तमान में सरदेगा से भालुमुड़ा के बीच कोई बस सेवा नहीं है, और यहाँ के निवासी 2 पहिया और 4 पहिया वाहनों पर निर्भर हैं ।
• रोजगार सृजन: 25 लाख मानव दिवस ।
• कार्बन उत्सर्जन की बचत – 84 करोड़ किलोग्राम कार्बन डायआक्साइड जो 3.4 करोड़ पेड़ों के बराबर है, की बचत होगी ।
• स्टेशन: छत्तीसगढ़ में मौजूदा भालुमुड़ा और दो नए स्टेशन (थांगरघाट, धौरभांठा)
*सरदेगा-भालुमुड़ा (37 किलोमीटर) नई डबल लाइन परियोजना की अन्य महत्वपूर्ण जानकारी*
• यात्री ट्रेनों के लिए अधिकतम गति: 160 किमी प्रति घंटा
• पुल: 6 प्रमुख पुल और 4 छोटे पुल
• रेल फ्लाईओवर और अंडरब्रिज: 20
• पार की जाने वाली प्रमुख नदियाँ: बसुंधर, बरहाझारला और केलो
• भूमि की आवश्यकता: छत्तीसगढ़ (रायगढ़ जिला) में 125.89 हेक्टेयर
• कुल निर्माण समय: 3 वर्ष (लगभग)