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सरसो या नारियल तेल के लगाने मात्र से आप इस कोरोना के हमले से सुरक्षित हो सकते है आइए सरल भाषा में जानते है By applying mustard or coconut oil, you can be safe from the attack of this corona, let us know in simple language.

सरसो या नारियल तेल के लगाने मात्र से आप इस कोरोना के हमले से सुरक्षित हो सकते है आइए सरल भाषा में जानते है

 

 

कोरोना महामारी में हर कोई बेहाल है। इसमें तमाम लोग लापरवाही भी बरत रहे हैं, जो बहुत ही घातक साबित हो रही है। ऐसे में अगर आपको संक्रमण से बचना है तो बस एक छोटा सा, सस्ता एवं भारतीय पारंपिरक नुस्खा अपनाना होगा। इसके कारण से आप काफी हद तक कोरोना से बच पाएंगे। बस आपको नाक में सरसों या नारियल का तेल लगाना है। चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू आयुर्वेद संकाय के कार्यवाहक डीन प्रो. केएन द्विवेदी बताते हैं कि सरसों को तेल सूक्ष्म वायरस के जीवन चक्र को बाधित करता है। इससे वायरस का मल्टी प्लीकेशन रूक जाता है। इसलिए नाक के अंदर सरसों का तेल लगाकर तेज सांस खींचें, जिससे तेल नाक के भीतर तक चला जाए। ऐसा दोनों नासारंध्रों से यह करें।
वायरस को शरीर में घुसने से रोकने में भी सहायक

आयुष मंत्रालय के आयुष क्वाथ का मानकीकरण करने वाले प्रो. द्विवेदी बाते हैं कि सरसों तेल में इसेंशियल ऑयल्स होते हैं, जो दालचीनी से 10 गुना अधिक वायरस रोधक सक्षम होते हैं। इसके तत्व फंगश प्रतिरोधक, वायरस प्रतिरोधक भी है। वहीं नारियल तेल में मौजूद लॉरिक एसिड से वायरस के सेल वॉल रप्चर यानी फूट जाते हैं। सरसों एवं नारियल तेल दोनों ही वायरस को शरीर में घुसने से रोकने में सहायक माने जाते हैं।

👉विटामिन ई की भी प्रचुर मात्रा होती है

प्रो. द्विवेदी ने बताया कि घर से निकलते समय नाक में सरसों या नारियल का तेल जरूर लगाना चाहिए। इसके अलावा इन तेलों में मोनो अन सेचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं, जिसके कारण इससे बनाया भोजन किया जाएं तो हृदय रोग से भी बचाव करते है। साथ ही इनमें फंगस प्रतिरोधक, वायरस प्रतिरोधक, शोथहर (एंटी इन्फ्लेमटरी) गुण होते हैं। इसके अलावा विटामिन ई की भी प्रचुर मात्रा में होती है।

👉सेल वॉल को फोड़ते हुए वायरस का करता है अंत

नारियल के तेल में लॉरिक एसिड होती है। जो वायरस के सेल में मेंबरेन को क्रास करती है। सेल के भीतर जाती है और वह वहां लॉरेट साल्ट में बदल जाती है। वह वायरस के सेल वॉल को रप्चर यानी फोड़ देती है, जिससे वायरस का वहीं पर अंत हो जाता है। इस प्रकार दोनों वायरस के शरीर में घुसने से रोकने में वरदान साबित हो सकते हैं।

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