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#SarkarOnIBC24 : पीएम मोदी का आदेश.. सीधी भर्ती पर ब्रेक, लेटरल एंट्री पर रार.. बैकफुट पर सरकार

नई दिल्ली : #SarkarOnIBC24 : उच्च प्रशासनिक सेवाओं में लेटरल एंट्री पर केंद्र सरकार बैकफुट पर आ गई है। PM मोदी ने इस पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। विपक्ष के भारी विरोध और LJP नेता चिराग पासवान ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। जिसके चलते सरकार को अपना फैसला बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा। कांग्रेस जहां इसे अपनी बड़ी जीत बता रही है। वहीं बीजेपी पिछली कांग्रेस सरकारों में लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती का इतिहास बताकर पलटवार कर रही है।

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#SarkarOnIBC24 : केंद्र सरकार में अब उच्च प्रशासनिक पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती नहीं होगी। पीएम मोदी के आदेश पर UPSC से 45 पदों पर भर्ती से जुड़ा विज्ञापन वापस लेने को कहा गया है। केंद्र सरकार चाहती थी कि कुछ उच्च प्रशासनिक पदों पर IAS अधिकारियों की जगह उस क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाए। लेकिन विपक्ष ने इसे आरक्षण से जोड़कर केंद्र सरकार को घेरना शुरू कर दिया। खुद सरकार के अंदर से भी इसके खिलाफ आवाज उठने लगी। जिसके चलते सरकार बैकफुट पर आ गई। केंद्र सरकार के इस स्टैंड पर अब सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गई है।

दरअसल इस विवाद की शुरुआत 17 अगस्त को तब हुई थी जब UPSC ने लेटरल एंट्री से भर्ती के लिए 45 पोस्ट पर वैकेंसी निकाली थी। विज्ञापन में आरक्षण का जिक्र नहीं था।

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जिस पर राहुल गांधी ने उच्च पदों पर आरक्षण खत्म करने की साजिश बताकर X पोस्ट में लिखा था-

#SarkarOnIBC24 :केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के ज़रिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है। मैंने हमेशा कहा है कि टॉप ब्यूरोक्रेसी समेत देश के सभी शीर्ष पदों पर वंचितों का प्रतिनिधित्व नहीं है। उसे सुधारने के बजाय लेटरल एंट्री द्वारा उन्हें शीर्ष पदों से और दूर किया जा रहा है।”

RJD नेता तेजस्वी यादव ने भी X पोस्ट के जरिए लेटरल एंट्री पर निशाना साधा था। इसी बीच NDA नेता और केंद्र सरकार में मंत्री चिराग पासवान भी लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती के खिलाफ खुलकर बोले जिससे सरकार पीछे हटने को मजबूर हो गई।

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#SarkarOnIBC24 : ये बात किसी से छिपी नहीं है कि उच्च प्रशासनिक सेवाओं में लेटरल एंट्री की शुरुआत कांग्रेस सरकारों ने ही कि थी। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और रघुराम राजन लेटरल एंट्री के जरिए RBI के गर्वनर बनाए गए थे। इसी तरह भारत में दूरसंचार क्रांति के जनक सैम पित्रोदा भी लेटरल एंट्री से ही सरकारी सेवा में आए थे। योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहूलवालिया भी लेटरल एंट्री से ही चुने गए थे। ऐसे में कांग्रेस और विपक्ष का लेटरल एंट्री को आज आरक्षण विरोधी ठहराकर विरोध करना कहां तक उचित है ये बहस का मुद्दा है।

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