Rakshabandhan 2024 : राखी देखकर भागने लगते हैं यहां भाई, सताता है इस बात का डर, पूरा माजरा जान रह जाएंगे हैरान
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संभलः Rakshabandhan 2024 देशभर में आज रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में रक्षाबंधन के त्योहार का विशेष महत्व होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार हर वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। अलग-अलग राज्यों से रक्षाबंधन की तस्वीरें भी सामने आ रही है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां यह त्योहार नहीं मनाया जा रहा है। इस गांव के लोग राखी देखकर दूर भागते हैं। तो चलिए जानते हैं कि आखिर पूरा माजरा क्या है:-
Rakshabandhan 2024 उत्तर प्रदेश के संभल जिले के गांव बेनीपुर चक में भाई की कलाई सूनी है। यहां के ग्रामीण रक्षाबंधन पर्व नहीं मना रहे हैं। रक्षाबंधन पर्व न मनाने के पीछे मान्यता यह है कि कहीं इस पर्व पर बहन ऐसा उपहार न मांग लें, जिससे उन्हें पहले की तरह गांव छोड़ना पड़ जाए। गांव के बुजुर्गों की माने तो वे पहले अलीगढ़ की अतरौली तहसील के गांव सेमराई में रहते थे। ये गांव यादव और ठाकुर बहुल था। लेकिन जमींदारी यादव परिवार की थी। दोनों वर्गों में घनिष्ठता थी। बुजुर्ग बताते हैं कि कई पीढ़ियों तक ठाकुर परिवार में कोई बेटा नहीं जन्मा, इसलिए इस परिवार की एक बेटी ने यादवों के बेटों को राखी बांधना शुरू कर दिया, लेकिन एक बार ठाकुर की बेटी ने जमींदार के बेटे को राखी बांधी और उपहार में जमींदारी मांग ली। इस पर जमींदार ने उसी दिन गांव छोड़ने का निर्णय लिया। हालांकि, बाद में ठाकुर की बेटी और गांव वालों ने जमींदार को बहुत मनाया लेकिन वे नहीं माने। बाद में जमींदार अपने कुनबे संग संभल के गांव बेनीपुर चक में आकर बस गए। तब से यहां रहने वाले यादव समाज के लोग ने फैसला लिया कि अब राखी नहीं बंधवाएंगे। गांव निवासी शिक्षामित्र सुरेंद्र यादव बताते हैं कि इस गांव में यादव परिवार मेहर और बकिया गौत्र के हैं। इसी गौत्र के यादव रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाते हैं।
आसपास के कई गांवों में यह परिवार नहीं मनाते रक्षाबंधन
बेनीपुर गांव में मेहर और बकिया गौत्र के यादव परिवारों में रक्षाबंधन न मनाने की परांपरा आज भी जीवंत है। बेनीपुर चक के निवासी जबर सिंह यादव बताते हैं कि मेहर गौत्र के लोग आसपास के गांव कटौनी, चुहरपुर, महोरा लखुपुरा, बड़वाली मढ़ैया में भी रहते हैं, वे परिवार भी रक्षाबंधन नहीं मनाते हैं। वे भी दशकों पुरानी मान्यता का पालन कर रहे हैं।