सरकार हमें साफ पानी तो दे दो, हमने आप को वोट दिया है

इस्पात मंत्री से टाउनशिप में गंदा पानी सप्लाई की शिकायत की अतुल पर्वत ने
भिलाई। टाउनशिप एरिया में विगत दो माह से आ रहे गंदे पानी को लेकर जहां एक ओर कांग्रेस और भाजपा के नेताओं में सियासी जंग तेज हो गई है और स्थानीय बीएसपी के श्रमवीरों को पानी खरीद कर पीना पड़ रहा है। इस पूरे मामले को बड़ा ही दुर्भाग्य जनक बताते हुए पर्वत फाउण्डेशन के चेयरमेन व भाजयुमों नेता अतुल पर्वत ने स्थानीय सरकार व राज्य सरकार को आडे हाथों लेते हुए कहा कि भिलाई स्टील प्लांट के स्थापना के समय ये जमीन किसानों से अधिग्रहण की गई थी जब जाकर यहां पर एशिया का सबसे बड़ा कारखाना की स्थापना हो पाई। भिलाई टाउनशिप मे आ रहे गंदे पानी को लेकर उन्होंने कहा कि शिक्षा स्वास्थ्य और जल देने की पहली प्राथमिकता स्थानीय सरकार व राज्य सरकार की होती है। वे अपने नागरिकों को मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराये लेकिन बड़ा दुर्भाग्य है कि आजादी के सत्तर साल बीत जाने के बाद भी प्रदेश की सरकार भिलाई के श्रमवीरों को शुद्ध पानी तक उपलब्ध नही करा पा रही है। भिलाई के श्रमवीर पानी खरीद कर पीने बेबस और विवश हैं। राज्य सरकार की प्रशासनिक अफसर बीएसपी के अफसरों को डरा धमका रहे हैं कि यदि साफ पानी उपलब्ध नही करा पाओगे तो महामारी एक्ट तक तहत कार्यवाही होगी। श्री पर्वत ने आगे कहा कि खरखरा, तांदुला और घंघरेल डेम से बीएसपी को जो पानी सप्लाई होता है। उसके लिए बीएसपी भी राज्य सरकार के जल संसाधन को एक मोटी रकम पटाती है। राज्य सरकार का नैतिक दायित्व है कि वह लोगों को साफ स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराये। छग के मुखिया चूकि किसान पुत्र है कम से कम वे किसानों के अलावा बीएसपी के श्रमवीरेां के दर्द को भी समझे। वे अधिकारियों को निर्देशित करें कि बीएसपी, जिला प्रशासन और निगम प्रशासन आपसी सामंजस्य बैठाकर दूषित पेयजल से निजात दिलाने केलिए कोई हल खोजें। वहीं इस पूरे मामले को लेकर आज दूरभाष पर केन्द्रीय इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान पर भी अतुल पर्वत ने दूषित पेयजल मामलो को उनके संज्ञान में लाया है। चूंकि इस भिलाई में तमाम जनप्रतिनिधि, यूनियन नेता व आफिसर्स एसोसिएशन के नेता है लेकिन बड़ा ही दुर्भाग्य है कि सबसे चुप्पी साधी हुई है। ये बड़ा ही शर्मनाक बात है। श्रमवीरों का सम्मान करने के लिए सभी जनप्रतिनिधियों को इस दूषित पेयजल मामले के लिए सामने आना चाहिए।