Contract employees will be permanent: संविदा कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी, नियमितीकरण के प्रस्ताव को कैबिनेट ने दी मंजूरी

देहरादून: Contract employees regularization, उत्तराखंड की पुष्कर धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने प्रदेश के तदर्थ व संविदा कर्मचारियों को बड़ी सौगात देगी। धामी कैबिनेट ने इन्हें परमानेंट करने वाले प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। कट ऑफ डेट पर स्थिति स्पष्ट होने के बाद ही इसे लागू कर दिया जाएगा।
आपको बता दें कि शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक हुई। इस बैठक में प्रदेश के सभी तदर्थ व संविदा कर्मचारी को नियमित किए जाने संबंधित प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई है। नियमितीकरण के लिए कट ऑफ डेट फाइनल ना होने के कारण कार्मिक विभाग के इस नियमितीकरण के प्रस्ताव को आगामी कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव लाने के निर्देश दिए हैं।
Cabinet approves proposal for Contract employees regularization
बता दें कि आज धामी मंत्रिमंडल बैठक के दौरान तदर्थ व संविदा कर्मचारियों के नियमितिकरण को लेकर विस्तृत रूप से चर्चा की गई। साथ ही मंत्रिमंडल ने इस बात पर सहमति व्यक्त की है कि जिन भी तदर्थ व संविदा कर्मचारी को नौकरी करते हुए 10 साल का समय पूरा हो गया है। उन सभी कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार बैठक के दौरान साल 2018 या फिर साल 2024 कट ऑफ डेट रखने पर विस्तृत रूप से चर्चा की गई। कट ऑफ डेट पर फाइनल सहमति ना बन पाने के चलते इस प्रस्ताव को अगली कैबिनेट में लाने के निर्देश कार्मिक विभाग को दिए गए हैं।
Contract employees regularization, उत्तराखंड के सरकारी विभागों, निगमों और परिषदो में करीब 15 हजार की संख्या में तदर्थ व संविदा कर्मचारी हैं। ये सभी लंबे समय से नियमित किए जाने की मांग करते रहे हैं। 2013 में तात्कालिक मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने सरकारी विभागों निगमन परिषदों और स्वायत्तशासी संस्थानों में काम करने वाले तदर्थ व संविदा कर्मचारियों के भी विनियमितीकरण के लिए नियमावली तैयार की थी। जिसमें प्रावधान किया गया था कि साल 2011 में बनाई गई नियमावली के तहत जो कर्मचारी भी विनियमित नहीं हो पाए हैं उनको विनियमित किया जाएगा।
Contract employees regularization
साल 2000 में उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से तमाम विभागों का गठन होता रहा। जिसके चलते उनमें तैनात कर्मचारियों को साल 2011 की नियमावली का लाभ नहीं मिल पाया। ऐसे में साल 2016 में तात्कालीन हरीश सरकार ने संशोधित विनियमितीकरण नियमावली जारी की। जिसमें जिसमें 10 साल की सेवा कार्यकाल को घटाकर 5 साल तक सीमित कर दिया गया।
इसी के चलते हाईकोर्ट ने इन सभी नियुक्तियों पर रोक लगा दी। साथ ही हाईकोर्ट ने साल 2013 के विनियमितीकरण नियमावली को सही बताते हुए ये कहा था कि जो तदर्थ व संविदा पिछले 10 साल से अपनी सेवाएं दे रहे हैं उनके विनियमित की व्यवस्था की जाए।
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इसके बाद एसएमएस कार्मिक विभाग ने कोर्ट के इन निर्देशों के आधार पर साल 2013 की विनियमितीकरण नियमावली की तर्ज पर ही संशोधित नियमावली तैयार की। जिस पर इसी साल 15 मार्च 2024 को हुई धामी मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान भी तदर्थ और संविदा कर्मचारी को नियमित किए जाने संबंधित प्रस्ताव पर मुहर लगाई, लेकिन कुछ तकनीकी कर्मियों के चलते ये व्यवस्था उस दौरान लागू नहीं हो पाई।
ऐसे में 17 अगस्त 2024 को हुई धामी मंत्रीमंडल ने इस पर एक बार फिर सहमति दे दी है। कट ऑफ डेट पर स्थिति स्पष्ट न होने के चलते इस प्रस्ताव को आगामी कैबिनेट बैठक में लाने के निर्देश दिए हैं।
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