भिलाई इस्पात संंयंत्र के हो रहा है सबसे अधिक ठेका श्रमिकों का शोषण
भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र में सबसे अधिक ठेका श्रमिकों का शोषण ठेकेदारों द्वारा किया जा रहा है। सरकार द्वारा निर्धारित श्रमिकों का प्रतिदिन 351 रोजी दिये जाने के आदेश के बावजूद यहां बीएसपी प्रबंधन और ठेकेदारों की मिलीभगत से ठेका श्रमिकों को मात्र 210 रूपये से लेकर 240 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जा रहा है। इसके अलावा इस संयंत्र में ठेका श्रमिकों को सुरक्षा का उपकरण प्रदान नही किया जा रहा है। जिसके कारण साल में सबसे अधिक दुर्घटनाओं में मौत का शिकार ठेका श्रमिक ही हो रहे है, प्रबंधन और ठेकेदारों की लापरवाही से सुरक्षा उपकरण नही दिये जाने और केवल उत्पादन के चक्कर में उन्हें बिना सुरक्षा के ही खतरनाक जगहों पर कार्य के लिए भेज दिया जाता है और नतीजन ठेका श्रमिक काल की गाल में समा जाता है, उससे जनहानि तो होती ही है और प्रबंधन और ठेकेदार को लाखो रूपये मुबावजा भी देना पड़ता है, और उसके परिजनों को नौकरी भी।
भिलाई इस्पात संयंत्र में लगातार हो रहे ठेका श्रमिकों को शोषण और बिना सुरक्षा के कार्य करवाने तथा उनकों बोनस नही दिये जाने सहित कई समस्याओं को लेकर बुधवार को बीएसपी सेल ठेका कर्मचारी यूनियन द्वारा कॉफी हाउस में एक पत्रकारवार्ता भी ली गई। पत्रकारवार्ता में बीएसपी सेल ठेका कर्मचारी यूनियन (संबद्ध एचएमएस) के अध्यक्ष एच एस मिश्रा ने कहा कि भिलाई इस्पात संयंत्र में सबसे अधिक ठेका श्रमिकों का शोषण हो रहा है, वह इस बात से उजागर हो रहा है कि हमारी यूनियन ने बोकारो, दुर्गपुर, राउरकेला, भिलाई सहित सेल के सभी इकाईयों में निरीक्षण कर ठेका श्रमिकों से उनके सही वेतन, सुरक्षा उपकरण एवं उनके बोनस को लेकर जानकारी ली गई, जिसमें यह खुलकर सामने आया कि सेल के बाकी यूनिटों में ठेका श्रमिकों को सही वेतन का भुगतान करने, बोनस दिये जाने एवं सुरक्षा का उपकरण दिया जाता है लेकिन भिलाई इस्पात जो सेल का प्रमुख इकाई है, यहां सबसे अधिक ठेका श्रमिकों का शोषण किया जा रहा है। यहां न तो इनको बोनस दिया जा रहा है, न ही ठीक से सुरक्षा उपकरण प्रदान किया जा रहा है और न ही सही ढंग से वेतन दिया जा रहा है, और न ही प्रावधान के अनुसार उनको सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। सरकार ने प्रतिदिन श्रमिकों को 351 रूपये रोजी देने का नियम बनाकर सभी जगहों पर इसे कड़ाई से लागू करने का निर्देश दिया है, लेकिन भिलाई इस्पात संयंत्र में ठेकेदारों द्वारा मात्र 210 रूपये से लेक 240 रूपये तक ठेकेदारों द्वारा भुगतान किया जा रहा है, इसके अलावा इनको गेटपास के नाम पर बिठा भी दिया जा रहा है। गेटपास में श्रमिकों का व्यक्तिगत भी हस्ताक्षर होता है लेकिन उनकी जगह ठेकेदार अपना या अपने सुुपरवाईजर का हस्ताक्षर गेटपास में करदेते है। इसकी शिकायत बीएसपी प्रबंधन से लेकर यहां के सांसदों, विधायकों, सहायक श्रमायुक्त से की जा चुकी है लेकिन ठेका श्रमिकों को शोषण से मुक्ति दिलाने कोई कार्य नही कर रहा है। यहां केन्द्र सरकार का और राज्य सरकार के श्रमायुक्त तो है लेकिन कोई इस मामले में कार्यवाही नह कर रहे है। राज्य सरकार का यहां लेबर कमिश्नर रही नही है, बल्कि असिस्टेंट लेबर कमिश्नर है, और वे श्रमिकों के हित को छोडकर राज्य सरकार का काम कर रहे हैं। श्री मिश्रा ने आगे कहा कि भिलाई इस्पात संयंत्र के अधिकांशतर ठेकेदारों द्वारा अपने ठेका श्रमिकों को पिछले तीन माह से वेतन का भुगतान नही किया है, इसी प्रकार दिवाली के समय कई ठेकेदारों द्वारा अपने श्रमिकों को वेतन का भुगतान नही किया था जिसके कारण भिलाई इस्पात संयंत्र में दो लोगों ने फांसी लगा ली थी। बीएसपी के अधिकारियों को केवल अपने प्रमोशन और प्रोडक्शन से मतलब है, ठेका श्रमिक जो आज बीएसपी कर्मियों से दोगुना है, उनको वेतन मिला की नही उनको बोनस मिला की नही, उनसे कोई मतलब नही है। भिलाई इस्पात संयंत्र में आरटीआई लगाओं तो यहां सही जानकारी नही दी जाती है।
यूनियन के अध्यक्ष एच एस मिश्रा ने आगे बताया कि हमारी यूनियन श्रमिकों को सही वेतन, बोनस और सुरक्षा के लिए जागरूक कर रही है, सरकार द्वारा केवल कानून बनाने से नही चलेगा, इसको यहां पालन करवाने की जवाबदारी बीएसपी की है। यदि बीएसपी, शासन प्रशासन अपने आदेश को पालन नही करवाती है तो हम लगातार आंदोलन करेंगे। हम तब तक आंदोलन करेंगे जब तक उनका अधिकार नही मिल जाता।
कार्यवाहक अध्यक्ष प्रेमसिंह चंदेल ने कहा कि छग में भिलाई इस्पात संयंत्र सहित सभी उद्योगों में कार्यरत ठेका श्रमिकों को अधिकार दिलाने बीएसपी सेल ठेका कर्मचारी यूनियन का गठन किया गया है। एचएमएस के संबद्ध इस यूनियन के अध्यक्ष वरिष्ठ श्रमिक नेता एच एस मिश्रा बनाये गये है, वहीं महासचिव का दायित्व लखविंदर सिंह को बनाया गया है। हमारी यह यूनियन विभिन्न उद्योगों में कार्यरत ठेका श्रमिकों को राज्य व केन्द्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन, विुधाएं व अन्य अधिकार दिलाने के प्रति वचनबद्ध है। यूनियन के महासचिव लखविंदर सिंह एवं त्रिलोक सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ठेका श्रमिकों के बिना कोई भी कारखाना, भवन, प्लेटफार्म का निर्माण संभव नही है। लेकिन 8 घंटे के अथक परिश्रम के बाद भी श्रमिकों को श्रम कानून के तहत शासन द्वारा घोषित लाभ देने में आनाकानी की जा रही है। ठेका श्रमिकों को राजगार कार्ड, वेतन पर्ची, हाजिरी कार्ड, परिचय पत्र, आठ घंटे कार्य करने के बाद अतिरिक्त घंटों के काम का दुगुना ओव्हर टाईम, सुरक्षा उपकरण, ईएसआई, ईपीएफ, छुट्टियों की सुविधा सहित अन्य सुविधाएं नही दी जा रही है। यदि उद्योग प्रबंधन और सरकारें अगर ठेका मजदूरों के हक में डाका डालने का प्रयास करेगी तो बीएसपी सेल ठेका कर्मचारी यूनियन आंदोलन का रासत अपनायेगी।