सज्जनता और सादगी के साथ कराये गये विकास कार्य जीत के प्रमुख कारण-विधायक भसीन
भिलाई। कांग्रेस सरकार की योजनाओं से असंतुलित होगी छत्तीसगढ़ की अर्थ व्यवस्था
भिलाई। प्रदेश के नामचीन और कद्दावर नेताओं को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, इसके विपरीत वैशाली नगर में भाजपा का पूरे जोश-खरोश के साथ परचम लहराया तो यह महज एक संयोग नहीं था। एक ओर जहां कई लोग उनको प्रत्याशी बनाये जाने के विरोध में थेे, वहीं दूसरी ओर संगठन के लोगों ने भी विरोध में मोर्चा खोल दिया था। पूरे प्रदेश की तरह वैशाली नगर में भी भाजपा की राह मुश्किल नजर आ रही थी, लेकिन कोहरा छँटा तो भसीन कुंदन बनकर चमक बिखेरते नजर आए।
वैशाली नगर क्षेत्र से भाजपा का परचम लहराने वाले विधायक विद्यारतन भसीन बेहद शांत, सीधे व सरल व्यक्तित्व वाले हैं। खुद उनका मानना है कि व्यक्ति को वैसे ही रहना चाहिए, जैसा कि वह है। चुनाव जीतने के बाद यदि आप स्वयं को बदलते हैं तो वह दिन दूर नहीं होता, जब मतदाता आपको बदल दे। भसीन, आज भी अपनी सज्जनता और सादगी को कायम रखे हुए हैं। यदि विषम स्थितियों में भी वे बड़ी जीत दर्ज कर पाए तो शायद उसकी एक वजह यह भी है। इसके अलावा वे अपने पिछले कार्यकाल में जो करोड रूपये का विकास अपने विधानसभा क्षेत्र में कराये ये उनके जीत का दूसरा प्रमुख कारण है। विधायक श्री भसीन दूसरे नेताओं के जैसे हमेशा चर्चा में रहने वालों में से नही हैं जो प्रतिदिन अखबारों की सूर्खियों में रहे। वे शांति पूर्वक अपना कर्म करते चले जाते है, लोग उनके पास आते है, उनसे भी वे बडे ही सज्जनता से मिलते है ओर सहजतापूर्वक उनके समस्याओं को सुनकर उसको निराकरण कराने का कार्य करते है। इस दौरान श्री भसीन ने हमारे संवाददाता से चर्चा करते हुए कहा कि हर आमदी की अपनी एक अलग लाइफ स्टाइल होती है। उसे अपनी इस लाइफ स्टाइल को बरकरार रखना चाहिए। इसी से व्यक्ति की अपनी मौलिकता बनती है। उनका मानना है कि मतदाताओं की नजर में परिवर्तन नहीं आना चाहिए। जैसा हैं, वैसे रहें तो बेहतर होता है। लोग चुनाव लड़ते हैं, जीत भी जाते हैं और फिर उनमें बदलाव दिखाने लगता हैं। फिर एक समय ऐसा भी आता है जब मतदाताओं की नजर में वे खटकने लगते हैं।
कोई सरकार विकास कार्यों की रफ्तार क्यों धीमी करेगी?
इस सवाल पर कि अब भाजपा सत्ता में नहीं है, क्षेत्र के विकास कार्यों की रफ्तार पर क्या असर पड़ेगा, भसीन कहते हैं,- सरकार बदलने से विपक्ष के क्षेत्रों में विकास कार्य बाधित हो सकता है, लेकिन यह भी हकीकत है कि काम तो होते रहते हैं और होते रहेंगे। भला कोई सरकार विकास कार्यों की रफ्तार क्यों धीमी करेगी? वह भी तब जबकि मुख्यमंत्री समेत कई मंत्री इसी जिले से हों। बल्कि इन हालातों में तो यहां विकास की रफ्तार बढऩी चाहिए। विधायक भसीन के मुताबिक, 5 साल विधायक रहने के दौरान उन्होंने कभी भी अपने कार्यों का शोर नहीं मचाया। प्रचार-प्रसार से भी दूर रहे। विकास कार्यों का ढिंढोरा नहीं पीटने का मतलब यह नहीं होता कि मतदाता वॉच नहीं कर रहे। वे कहते हैं,- मुझे विश्वास था कि जब भी कई लोगों के बीच चयन की बात आएगी तो क्षेत्र के मतदाता उन्हीं (भसीन) को चुनेंगे। ऐसा ही हुआ भी।
विकास कार्य कराने स्वयं ही करना पडता है प्रयास
उन्होंने कहा कि चाहे सत्तापक्ष हो अथवा विपक्ष, विकास कार्यों को करवाने के लिए खुद ही प्रयास करना पड़ता है। हम कोशिश करेंगे तो विकास क्यों नहीं होगा? भसीन ने कहा कि भाजपा की सत्ता थी तो एक बार रायपुर जाने से काम हो जाता था, अब कई बार जाना पड़ेगा, पर काम तो करवाना ही है। विधायक भसीन संगठन को लेकर भी खुलकर चर्चा करते हैं। वे कहते हैं, – चुनाव के दौरान यह शिकायत आई कि संगठन के लोगों ने काम नहीं किया। लेकिन यह समझना जरूरी है कि जो चुनाव लड़ता है वह सिम्बॉलिक होता है। संगठन को पार्टी के लिए काम करना चाहिए क्योंकि जीत या हार व्यक्ति की नहीं, पार्टी की होती है। भसीन के मुताबिक, जो लोग संगठन के मूलभाव से अपरिचित हैं, जिन्हें पता ही नहीं है कि संगठन का मूल दायित्व क्या होता है, ऐसे लोग दूसरों के इशारों पर ही काम कर सकते हैं।
प्रदेश सरकार आय बढाने पर नही दे रही ध्यान
इस सवाल पर कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा लिए जा रहे ताबड़तोड़ फैसलों से अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा, विधायक भसीन ने कहा कि कांग्रेस की सरकार आय के स्रोत बढ़ाने की ओर ध्यान नहीं दे रही है। तय है कि जो स्रोत पहले थे, अब भी वही रहेंगे। ऐसे में किसानों की कर्जमाफी, बिजली बिल आधा करने समेत जो बड़े फैसले यह सरकार कर रही है, उसके लिए बजट की व्यवस्था अन्य मदों से करनी होगी। जाहिर है कि इससे तराजू का पलड़ा एक ओर ज्यादा झुकेगा और कई जरूरी मदों पर खर्च कम हो जाएगा। इससे एक तरह से लंगड़ी व्यवस्था का जन्म होगा। एक सवाल पर भसीन ने कहा कि सत्ता के साथ ग्लैमर आता है, इसे नियंत्रित करना जरूरी है।
नोटबंदी-जीएसटी के लिए नया नजरिया आवश्यक
नोटबंदी और जीएसटी के चलते देश के एक बहुत बड़े वर्ग की नाराजगी को एक अलग नजरिए से देखने की वकालत करते हुए भसीन कहते हैं,- बिगड़ी व्यवस्थाओं को सुधारने में वक्त लगता है। नोटबंदी का प्रस्ताव श्रीमती गांधी के वक्त आया था। यदि उसी वक्त इस पर अमल कर लिया गया होता तो आज पूरी व्यवस्था सुधरी हुई होती। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस शासनकाल की एक रूकी हुई व्यवस्था को लागू कराया है। इससे आने वाले वक्त में व्यवस्था सुधरेगी। भसीन के मुताबिक,- देश में एक बड़ा वर्ग सरकार को रेवेन्यू नहीं देना चाहता था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। सरकार के खजाने में रेवेन्यु आ रहा है और इसी के जरिए पूरे देश में बड़े-बड़े काम हो रहे हैं।