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#SarkarOnibc24 : ‘कफन टैक्स’ पर विपक्ष का हल्लाबोल, जीवन-चिकित्सा बीमा पर GST का विरोध

नई दिल्ली : GST On Health Insurance: जीवन और चिकित्सा बीमा पर 18% GST का विरोध तेज हो गया है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सबसे पहले इसके खिलाफ आवाज उठाई थी। अब इंडिया गठबंधन के नेता भी इसके विरोध में आवाज बुलंद कर रहे है। उम्मीद थी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट में बीमा पर टैक्स की दर कम करेंगी। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। जिसके विरोध में संसद भवन में कांग्रेस समेत इंडिया ब्लॉक की कई पार्टियों ने प्रदर्शन किया।

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GST On Health Insurance: INDIA गठबंधन एक बार फिर मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ एकजुट हुआ है। इस बार वजह बना है जीवन और स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर 18% GST। जिसे आम बजट में नहीं घटाया गया। विपक्ष पूछ रहा है कि जीवन की अनिश्चितता पर इतना ज्यादा टैक्स कैसे लगाया जा सकता है। कांग्रेस इसे ‘कफन टैक्स’ तक करार दे रही है। इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने इसके खिलाफ संसद भवन के बाहर प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी प्रदर्शन में शामिल हुए।

दिलचस्प बात ये है कि बीमा पर 18% GST के खिलाफ पहली आवाज सरकार के अंदर से ही उठी थी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर इसे खत्म करने की मांग की थी। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर ऐसी ही मांग की थी।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी अपने X हैंडल पर लिखा, ‘हर आपदा से पहले ‘टैक्स का अवसर’ तलाशना भाजपा सरकार की असंवेदनशील सोच का प्रमाण है। INDIA गठबंधन इस अवसरवादी सोच का विरोध करता है। स्वास्थ्य और जीवन बीमा को GST मुक्त करना ही होगा।’

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GST On Health Insurance: आपको बता दें जब GST लागू हुआ था तब बीमा पर 15% टैक्स ही लगता था, लेकिन GST लागू होने के बाद 1 जुलाई 2017 से 18% टैक्स वसूला जा रहा है। टैक्स दर में 3% की बढ़ोतरी से इंश्योरेंस पॉलिसियों के प्रीमियम की कीमत बढ़ गई है। सोमवार को संसद में सरकार ने एक सवाल के जवाब में बताया कि 3 वित्तीय वर्षों के दौरान सरकार को इस टैक्स से 21 हजार 256 करोड़ रुपये मिले हैं। जिसमें 2023-24 के दौरान 8 हजार 263 करोड़ रुपए सरकारी खजाने में आए।

जीवन और स्वास्थ्य की निश्चितता की कोई गारंटी नहीं दे सकता। इसी अनिश्चितता के चलते लोग जीवन और चिकित्सा का बीमा करते हैं। ताकि इससे पैदा होने वाले विपरीत हालात का सामना कर सके। लेकिन इस पर टैक्स की बढ़ी दर ने ना सिर्फ बीमा उद्योग को प्रभावित किया है बल्कि लोगों के जीवन और स्वास्थ्य की लागत भी बढ़ा दी है। दूसरी ओर वित्त मंत्री के लिए एक तरफ राजस्व जुटाने की चुनौती है। तो दूसरी ओर पार्टी के अंदर और बाहर विरोध की उठती आवाज को नजरअंदाज करना भी आसान नहीं होगा।

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