छत्तीसगढ़
बिना सीमेंट खास फॉर्मूले से बना ये बांध, इंजीनियरिंग कोर्स का है हिस्सा, 200 साल तक टिकी रहेगी मजबूती
धमतरी. छत्तीसगढ़ के धमतरी का माडम सिल्ली बांध अब 100 साल की उम्र पूरी कर चुका है. 1923 में बन कर तैयारी हुआ ये बांध आद भी पूरी मजबूती से टिका हुआ है. ऑटोमेटिक साइफन सिस्टम वाला ये पूरे एशिया का इकलौता बांध है. इसके बनने और 100 साल तक टिके रहने की दिलचस्प कहानी है. राजधानी रायपुर से करीब 110 किलोमीटर दूर धमतरी जिले में ये बांध सिलियारी नाले पर बनाया गया है. आज से करीब 101 साल पहले अंग्रेजो ने इस बांध का निर्माण करवाया था. करीब 5. 8 टीएमसी के जतभराव की क्षमता वाला माडम सिल्ली बांध गंगरेल बांध का सहायक बांध है और रविशंकर सागर बहुउद्देशीय परियोजना का अहम हिस्सा है.
इस बांध के पानी से आस-पास के किसानों को पानी तो मिलता ही है मछली पालन से कई लोगों को रोजगार भी मिलता है. आखिर में इसका पानी गंगरेल बांध में मिल जाता है, जिससे आधे छत्तीसगढ़ राज्य में सिंचाई होती है. भिलाई स्टील प्लांट सहित भिलाई शहर, रायपुर और धमतरी शहर को पेयजल देने में भी मदद मिलती है.
जानें क्या है बांध की बसे बड़ी खासियत
1982 से इस बांध की चौकीदारी का काम कर रहे संतराम ने बताया कि इस बांध की सबसे बड़ी खासियत इसका ऑटोमेटिक साइफन सिस्टम है जिसमें कुल 34 गेट लगे हुए है. पानी जब एक खास लेवल तक पहुंचता है तब इसके 4 बेबी साइफन गेट अपने आप खुल जाते है और पानी नहर में जाने लगता है. अगर जल स्तर खतरनाक रूप से बढ़े तब इसके बाकी के 32 गेट भी अपने आप खुल जाते हैं. जैसे ही जल स्तर खतरे के नीचे जाता है गेट अपने आप बंद भी हो जाते है. 1975 से धमतरी के जल संसाधन विभाग में बतौर इंजीनियर काम कर चुके डी सी सोनी ने विस्तार से बताया कि इसका ये ऑटोमेटिक सिस्टम की इंजिनियरिंग 100 साल पुरानी भले पूरे एशिया में ये अपनी तरह का इकलौता बांध है.