छत्तीसगढ़

तुरतुरिया बनेगा धार्मिक पर्यटन यहां भी श्रीराम ने गुजारा था समय

 

सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़- छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने कैबिनेट की बैठक में निर्णय लेकर प्रदेश के उन प्रमुख धार्मिक स्थलों को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है, जहां से मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने वनगमन के दौरान समय व्यतीत किए या गुजरे। नगर पंचायत पलारी के उपाध्यक्ष हितेंद्र ठाकुर ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार ने राम वन गमन मार्ग के 51 स्थानों पर पर्यटन की सुविधाएं जुटाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इसके तहत पहले चरण में आठ स्थानों को विकसित करने की योजना बनी है, जिसमें बलौदाबाजार जिले के तुरतुरिया का भी चयन किया गया है। इससे जिलेवासियों को हर्ष है।

ठाकुर ने कहा कि दिनोंदिन तुरतुरिया में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो रही है, लेकिन चिंता बात यह है कि इस पवित्र स्थल में जगह-जगह पर मांस-मदिरा का सेवन करते लोगों के समूह नजर आते हैं, जो वहां के शुद्ध वातावरण को दूषित करते रहते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार संतान प्राप्ति के लिए यहां बकरे की बलि दी जाती है, लेकिन अब यहां पिकनिक मनाने वाले शौकीन लोग मदिरा और मांस खाते चारों तरफ नजर आते हैं।

प्रशासन इन लोगों के लिए किसी चिह्नांकित स्थान पर इस पवित्र स्थल से दूरी पर जगह चयन कर दे। इससे यहां की पवित्रता और सुंदरता पर कोई आंच न आए। तुरतुरिया से लगा हुआ प्रसिद्ध बारनवापारा अभयारण्य है। पर्यटकों को इन दोनों जगहों को एक साथ देखने का दोगुना आनंद आएगा। तुरतुरिया में पर्यटकों के रुकने, पानी की व्यवस्था, आवागमन की सुविधा सहित अनेक सुविधाओं की कमी है, जो सरकार की योजना के माध्यम से अब पूरी होगी।

मान्यता: यहीं वाल्मीकि आश्रम में जन्मे थे लव अौर कुश

नगर पंचायत उपाध्यक्ष ने कहा कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सुरम्य वादियों के बीच तुरतुरिया एक पवित्र स्थल है, जहां वाल्मीकि का आश्रम और लव अौर कुश का जन्म हुआ था। पुराणों के अनुसार वनवास के समय इसी मार्ग से राम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ वनगमन किए थे। ऊंची पहाड़ी पर स्थित देवी मातागढ़ के कारण तुरतुरिया आस्था का प्रमुख केंद्र है, जहां सीढ़ियों से चढ़ा जाता है एवं नीचे आश्रम में मंदिर और चमत्कृत जलधारा आकर्षण के केंद्र हैं। मातागढ़ जाने के रास्ते में प्राचीन मूर्तियों के अवशेष भी हैं, जो प्रमाणित करते है कि तुरतुरिया एक प्राचीन देवस्थान है। भूपेश सरकार द्वारा तुरतुरिया को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने से इस क्षेत्र की महत्ता और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होने के साथ ही राज्य की आय में वृद्धि होगी। तुरतुरिया को विकसित करने की मांग क्षेत्र के अनेक जिम्मेदार लोग लंबे समय से कर रहे थे, जो भूपेश सरकार की सोच और दूरदर्शिता ने फलीभूत कर दी।

 

 

 

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