छत्तीसगढ़

मछली का अचार, समोसा व पापड़ बना रहे छात्र

 

सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़ कवर्धा- फिशरीज कॉलेज के चौथे वर्ष के स्टूडेंट्स को मछली के अचार, समोसा, पापड़, कटलेट, फिश फिंग उत्पाद संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दरअसल यह प्रशिक्षण मछली से बने मुल्यवर्धित उत्पाद एवं मनुष्य पोषण में इसका महत्व विषय पढ़ाई का एक हिस्सा है। इसी के अंतर्गत शुक्रवार को प्रशिक्षण दिया गया। अचार बनाने के बाद राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एनएफडीबी) हैदराबाद के टीम द्वारा अचार का स्वच्छता पूर्वक पैक करना सिखाया गया। वर्तमान में प्रशिक्षण सत्र प्रारंभ है। वहीं स्टूडेंट्स द्वारा 25 नवंबर को कॉलेज में दुकान लगाई जाएगी। इसी दुकान में स्टूडेंट्स द्वारा बनाए गए उत्पाद को बेचा जाएगा। प्रशिक्षण सत्र का निरीक्षण कॉलेज के डीन डॉ.केके चौधरी, सहायक प्रध्यापक डॉ. जितेन्द्र कुमार जाखड़ ने किया।

मछली से कई प्रकार हैं फायदे: डॉ. जितेन्द्र कुमार जाखड़ ने बताया कि मछली में सभी प्रकार के पोषण तत्व जैसे-ं प्रोटीन, लिपिड, विटामिन एवं खनिज तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। प्रोटीन 18 से 22 प्रतिशत तक पाया जाता है। इसमें सभी प्रकार के आवश्यक एमीनों ऐसिड भी शामिल है। इसका फायदा बच्चे के मानसिक विकास व वयस्क के शरीर विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है। मछली का मांस विटामिन, खनिज तत्व का भी महत्वपूर्ण स्त्रोत है। इस प्रकार मछली एवं मछली से बने उत्पाद मनुष्य शरीर एवं मस्तिष्क के अच्छे विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मछली को सामान्यतः सब्जी व करी के रूप में बनाकर खाया जाता है।

कवर्धा. स्टूडेंट्स को मछली से खाद्य पदार्थ बनाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं।

स्व सहायता समूह को भी दे चुके हैंंै प्रशिक्षण

आमतौर पर देश के समुद्री क्षेत्रों में मछली से बने व्यंजन का डिमांड ज्यादा रहता है। लेकिन कबीरधाम जिले में फिशरीज कॉलेज की स्थापना होने के बाद कॉलेज द्वारा आम लोगों को मछली पालन से जोड़ने विशेष प्रयास किया जा रहा हैं। यही कारण हैं कि इसी साल फरवरी माह में हैदराबाद के एनएफडीबी संस्था द्वारा महिला स्व सहायता समूह को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसमें 4 महिला समूह इनमें ग्राम-जोराताल से जय मां लक्ष्मी, जय मां सरस्वती, जय मां शीतला समूह शामिल थे।

 

 

 

 

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