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The Big Picture With RKM: किस तरह जननायक की राह में चल पड़े हैं राहुल गांधी? कांग्रेस बदल रही अपने शीर्ष नेता का इमेज, सिलसिलेवार तरीके से समझिये पूरी कोशिश..

 

रायपुर: तो द बिग पिक्चर विथ आरकेएम में आज हमारे साथ जुड़ गए हैं आईबीसी24 के एडिटर-इन-चीफ रविकांत मित्तल के साथ। लोकसभा में जिस तरीके से नेता विपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी ने अपनी स्पीच दी। सत्र के बाद कई लोगों ने कई तरह के कयास उनको लेकर पूर्व अनुभवों से लगाए थे लेकिन, इसके बाद भी वे बेहद एक्टिव दिख रहे हैं। सत्र खत्म होते ही तीन स्टेट का दौरा कर चुके हैं। यूपी गुजरात मणिपुर में अलग-अलग मुद्दों पर सीधे सरकार को घेर राहुल गांधी दिख रहे हैं। यह बिग पिक्चर क्या कहती?

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यह जो सक्रियता है, इसके पीछे जो बिग पिक्चर है, वह जो पूरी कोशिश है राहुल गांधी को जननायक बनाने की। पिछले दिनों की बात करते हुए जैसा आपने बताया कि जिस तरीके से उन्होंने दो बड़ी यात्राएं की यह तब से शुरू हुआ था लेकिन, यह जननायक जो शब्द है अगर मैं आपको थोड़ा सा पीछे ले चलू ये कब से शुरू हुआ?देखिए जब चुनाव जीते, चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने अपनी हार को भी जीत में बदलकर सेलिब्रेट किया। वह किसलिए कि, जो बीजेपी 400 का दावा कर रही थी, उसको केवल 240 सीटें मिली और इनकी सीटें बढ़ गई तो इन्होंने कहा कि जी देखिए हम जीत गए, वो मोरली हार गए, उनको उतनी सीटें नहीं मिली, बीजेपी को अपने अपने दम पर मेजॉरिटी नहीं मिली। (The Big Picture With RKM) लेकिन सत्य यह है कि, पूरे इंडिया अलायंस की अगर आप सीटें मिला लें वो भी बीजेपी की अकेली पार्टी से कम है और उनका प्री पोल अलायंस जो था वो। उसके बाद पहली बार राहुल गांधी ने कोई एक पद संवैधानिक पद लिया लीडर ऑफ अपोजिशन का और उन्होंने अपने संसदीय करियर की, जो राष्ट्रपति के धन्यवाद का जो प्रस्ताव था। उस पर उन्होंने सबसे लंबी स्पीच दी और उस स्पीच में अपनी कुछ सच्ची कुछ झूठी बातों से उन्होंने सरकार के छह मंत्रियों को इंटरवेनर पर मजबूर कर दिया लेकिन, उन्होंने उसमें काफी अच्छे मुद्दे उठाए। जैसे उन्होंने उसमें अग्निवीर वाला मुद्दा उठाया फिर, उसमें उन्होंने नीट का ज्वलंत मुद्दा उठाया, मणिपुर की बात की और यह बात दर्शाने की कोशिश की, यह जताने की कोशिश की कि वह जनता की आवाज बनकर संसद में आए हैं।

मजदूरों के बीच पहुंचे राहुल गांधी

उसके बाद क्या हुआ? फिर पार्लियामेंट खत्म होती है तो पता लगता है कि एक दिन रात को वह पहुंच जाते हैं जो रेहड़ी और जो सड़क पर जो दुकान लगाते हैं। और जो मजदूर हैं उनके बीच में और उनके साथ वो काम करते हैं कि, मजदूर कैसे काम करते हैं पूरा एक वीडियो पोस्ट किया जाता है और जो कांग्रेस की पूरी आईटी सेल और पीआर जो पूरी मशीनरी है वो उनको जननायक की तरह पोस्ट करने लग जाती है, प्रोजेक्ट करने लग जाती है।

हाथरस पीड़ितों से भेंट

उसके बीच में हो जाता है हाथरस का हादसा जिसमें करीब 121 से ज्यादा लोग की मृत्यु हो जाती है तो वो वहां पर जाते हैं। अगले दिन पूरा दिखाया जाता है कि अंधेरी रात में वो निकले हैं वहां से मिलने वो पहले अलीगढ़ में मिलते हैं अस्पताल में। फिर वो हाथरस जाते हैं। उस गांव में जाते हैं और जितने भी पीड़ित हैं उनसे मिलते हैं। योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखते हैं कि,इनको जो मुआवजा मिला है वो ज्यादा मिलना चाहिए। उसके बाद फिर उनकी पीआर टीम की जननायक, जननायक, जननायक करके उस तरीके से उनको प्रोजेक्ट करती है। उसके बाद वो लोको पायलट बीच में पहुंच जाते हैं और एक पूरा वीडियो बनाया जाता है जिसमें कि उनकी परेशानी पर चर्चा होती हैं कि किस तरीके से इंजन में अभी तक यूरिनल्स नहीं है एसी की सुविधा नहीं है। कितनी कठिनाई परेशानी में वो ट्रेन चलाते हैं। इसके ऊपर वो पूरी बात करते हैं पूरा वीडियो भी होता है और फिर अभी जो आज की यात्रा जिसमें पहले वह असम गए जो कि बाढ़ पीड़ित थे उनसे मिले।

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मणिपुर का मर्म समझा

फिर वो मणिपुर गए, जो दंगे हुए, वहां पर हिंसा हुई उसके पीड़ितों से मिले। रिलीफ कैंप में गए और गवर्नर से मुलाकात की। उन्होंने इसका मुद्दा उठाया कि सरकार इसके लिए कुछ नहीं कर रही और तो आप यह देख रहे हैं। (The Big Picture With RKM) यह जो पूरा इमेज मेकओवर चल रहा है यह जो उनको बीजेपी या मोदी उनको शहजादा कहते हैं या थर्ड टाइम फेल कहते हैं, उस इमेज से निकालकर उनको एक जननायक की इमेज देने की यह पूरी कोशिश है। यह पूरी कोशिश इसलिए भी है कि, कांग्रेस को लगता है कि इस बार जो उनको जीत मिली है वो राहुल गांधी की वजह से मिली है और अब राहुल गांधी को एक जो इमेच्योर पॉलिटिशियन कहा जाता है, नॉन सीरियस पॉलिटिशियन कहा जाता है जो कि छुट्टियों में चले जाते हैं। उनकी एकदम इमेच्योर पॉलिटिशियन वाली इमेज। तो ये सब बातें उन्हें सीखना होगा। यह बात समझना होगा। क्योंकि इस देश में एक मजबूत विपक्ष का होना जरूरी है। एक सीरियस नेता जो विपक्ष का नेता हो उसका होना जरूरी है। जिससे कि जनता के मुद्दे उठे और सरकार उन पर ध्यान दे। तो यह भी देखना होगा और वह कैसे जननायक बनते हैं यह देखना भी बहुत रोचक होने वाला है।

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