छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

संतोष रूंगटा समूह में हेल्थ हैप्पीलेस एंड सक्सेस मोटिवेशनल प्रोग्राम

भिलाई / मोटिवेशन सेशन्स, कॅरियर काउंसलिंग एवं एटीट्यूड टेस्ट प्रोग्राम में भागीदारी के लिए दुर्ग भिलाई के शासकीय व निजी स्कूलों के हजारों बच्चे इकठ्ठा हुआ । जहां  देश के ख्यातिलब्ध सेलिब्रिटी मार्गदर्शक गुरुओं ने संतोष रूंगटा समूह (आर-1) रूंगटा कॉलेज ऑफ  इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नालॉजी (आरसीइटी) में अनेक उदाहरणों से देश के भविष्य को लक्ष्य प्राप्ति के टिप्स दिए ।

जहां सबसे पहले भारत के पूर्व राजदूत व प्रेरक वक्ता दीपक वोहरा ने अपने अंदाज में युवाओं में देशभक्ति की भावना जागृत करते हुए रचनात्मक सोच के साथ लक्ष्य प्राप्ति के लिए मोटिवेट किया । युवाओं को सावधान किया कि समय का दुरूपयोग की बजाय जीवन का लक्ष्य बताएं । हमें दूसरों की बातों पर विश्वास की बजाय तहकीकात के साथ निर्णय तक पहुंचना चाहिए । वोहरा ने देश की ताकत युवाओं को बताते हुए कहा पूरी दुनिया में भारत के पास युवाओं की संख्या सर्वाधिक है, जहां देश के लिए अपने जिगर के तुकड़े को कुर्बान करने वाली मांएं हों, उसे कोई झुका नहीं सकता।

देश के प्रति जज्बे को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि जो एक भारतीय कर सकता है, उसे विश्व का कोई नहीं कर सकता । इजरायली युद्ध के दौरन यमन में फंसे 41 देशों के नागरिकों को वहां से निकालने का साहसिक कार्य भारतीय सेना ने किया । इस तरह उसने अनेक देशों का विश्वास जीता ।

आगे कहा देश में आर्थिक मजबूती हो वहां सैन्य बल बढ़ेगा । उसके साथ नई टेक्नालॉजी हो उस देश को आगे बढऩे से कोई रोक नहीं सकता । जानकारी दी कि पूरी दुनिया में भारत आर्थिक मजबूती में चाइना व जापान के साथ खड़ा है । 1950 में देश में 500 कॉलेज थे आज 50 हजार की संख्या है । नामी कॉलेजों में संतोष रूंगटा कॉलेज का देश में नाम है। सपने साकार करने पूरी ताकत झोंक दें तो आशातीत सफलता मिलेगी।

संवेदनशीलता के साथ योग्यता को पहचानें

उसके बाद लाइफ  कोच, स्तंभ लेखक एन रघुरमन ने कुत्ते और बिल्ली की स्टोरी व खेल से बच्चों को जीवन मंत्र दिया। एक प्रयोग द्वारा बच्चों को यह समझाने की कोशिश की कि अकसर हम जो देखते हैं, उसका अनुकरण करते हैं। कहा आगे बढऩा है तो हमें दूसरी भाषा भी सीखनी होगी। अपने सुनने की क्षमता बढ़ाएं।

शिक्षकों व पालकों से कहा बच्चों की उर्जा व क्षमता को पहचानें। कामर्स के एक बच्चे का उदाहरण पेश करते हुए करियर के चुनाव के मामले में भी हम ऐसा ही करते हैं। एक किस्सा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि एक बार क्लास में एक छात्र की जेब से कंचा गिर गया। मैथ्स टीचर ने कंचा किसका है जानना चाहा तो किसी ने जवाब नहीं दिया। इनमें से एक बच्चे ने उठकर कंचे की जांच करते हुए कहा कि यह मेरा नहीं है। इस घटना से टीचर ने उसकी प्रतिभा को पहचाना और उसे साइंस लेने के लिए प्रेरित किया।

यह क्षमता हर बच्चे में होती है। इसे पहचानने की जिम्मेदारी हम सब की है। आप कितनी ऊंची पदों पर पहुंच जाएं पर आप में संवेदनशीलता नहीं तो सारी योग्यता बेकार है। जहां लोगों के प्रति देश के प्रति संवेदना है वहीं विकास है। जीवन में आगे बढऩे के दर्जनों मार्ग हैं। क्षमता का इस्तेमाल करते हुए नई तकनीक अपनाएं सदाचार के साथ आगे बढ़ेंगे तो आपकी क्षमता उतनी ही बढ़ती जाएगी।

 

ख्याति प्राप्त कॅरियर काउंसलर, टैड वक्ता एवं शिक्षाविद जवाहर सूरीसेट्टी ने अपने अंदर छुपी ताकत पहचाने की सीख दी। उन्होंने संघर्ष के दिनों की कहानी बताई। उन्होंने जानकारी दी कि वे कभी स्कूल नहीं गए। इडली बेचकर अपनी आजीविका चलाई। सेठ की सलाह पर होटल मैनेजमेन्ट सीखने कोलकाता चले गए। एक बस में यात्रा के दौरान बच्चों ने अंग्रेजी नहीं आने पर उनकी हंसी उड़ाई। इस दौरान एक टीचर ने उसकी दुविधा को समझा और अपने घर पर बुलाया। उन्होंने प्रतिदिन 5 शब्द सीखकर उनका उपयोग अपने वाक्यों में करने की सीख दी। आज वे जो कुछ भी हैं उन्हीं की बदौलत हैं।

उन्होंने कहा कि कुछ न कुछ नया और औरों से हटकर करने वाले को असाधारण सफलता मिलती है।

उन्होंने फिल्म शोले की खासियत पेश करते हुए उसे 27 बार देखने की बात बताई। कहा इसे सभी ने देखी होगी पर उसमें तीन बात गौर करने वाली थी। पहला बिना हाथ वाला ठाकुर आंतक का नाम गब्बर को जिंदा पकडऩा चाहता था। उन्होंने अपने अंदर की क्षमता का इस्तेमाल किया और दो गुंडे जय और बिरू की ताकत को रचनात्मक काम पर लगाया। उसमें भी बिरू की नटखट कारस्तानी से उसे सफलती मिली। सूरीसेट्टी ने बच्चों को भी अंदर की प्रतिभा को बाहर लाने की सीख दी। कहा आप अनेक कॅरियर में से किसी एक को स्वयं से चुनें और पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ें ।

इस दौरान मोवेशन गुरुओं ने विद्यार्थियों के सवालों का जवाब भी दिया। उन्होंने कहा कि यदि आपको अपनी क्षमता पर यकीन है तो अपने पालकों का विश्वास जीतने की कोशिश करें। कॅरियर के साथ एक बार कुछ बनने की ठान लो तो उसे पूरा करने के रास्ते की भी तलाश शुरू कर दें।

इस दौरान 55 हाई स्कूलों के 3000 से अधिक बच्चों के लिए एप्टिच्यूड टेस्ट का आयोजन किया गया। इसके विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया। अलग अलग स्कूलों के आधार पर विजेताओं को जहां प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया, वहीं अपने-अपने वर्ग में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय आने वाले बच्चों को क्रमश: टैबलेट, स्मार्ट फोन व फिटबिट प्रदान किया गया। पुरस्कार वितरण एन रघुरामन, दीपक वोहरा, जवाहर सूरीशेट्टी एवं समूह के निदेशक वित्त सोनल रूंगटा ने प्रदान किया। कार्यक्रम में डीन डॉ. मनोज वर्गीस, प्राचार्य डॉ. डीके त्रिपाठी, डीन डॉ. नीमा बालन, डीन डॉ. मोहन अवस्थी, डॉ. संजीव शुक्ला आदि मौजूद थे।

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