#SarkarOnIBC24: नहीं बनी सहमति..बात बहुमत पर आई! 18वीं लोकसभा के लिए स्पीकर पद पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच क्यों नहीं बन पाई सहमति? देखें पूरा वीडियो
नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर नया इतिहास लिख चुके हैं। संसद के भीतर 72 साल की परंपरा टूटने की कगार पर है। दरअसल, विपक्ष डिप्टी स्पीकर का पद नहीं मिलने पर अब अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रहा है, तो सत्ता पक्ष भी समझौते के मूड में नहीं है। ऐसे में बुधवार को अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की नौबत आई तो सर्वसम्मति से इस पद पर होने वाली निर्वाचन की बीते 17 लोकसभा से जारी परंपरा टूट जाएगी।
NDA नेताओं ने स्पीकर पद के लिए बीजेपी उम्मीदवार ओम बिरला के पक्ष में प्रस्ताव पत्र पर हस्ताक्षर किया। वहीं दूसरी ओर सुरेश जिन्हें विपक्ष ने स्पीकर पद के लिए अपना प्रत्याशी बनाया है। दरअसल 18वीं लोकसभा के लिए स्पीकर पद पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सहमति नहीं बन पाई। ऐसे में बात अब बहुमत पर आ गई है।
बुधवार सुबह 11 बजे वोटिंग होगी। जिसके बाद ये तय होगा कि स्पीकर कौन होगा। अब सवाल ये उठता है कि 72 साल से चली आ रही संसदीय परंपरा क्यों टूटने की कगार पर है। आखिर विपक्ष स्पीकर का चुनाव लड़कर क्या मैसेज देना चाहता है। खैर सवाल कई हैं, लेकिन बात बिगड़ी कहां से ये भी समझने की जरूरत है। दरअसल राहुल गांधी ने दावा किया था कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को फोन करके स्पीकर पद के लिए समर्थन मांगा। जिसपर खरगे ने अपने लिए डिप्टी स्पीकर का पद मांगा. जिस पर राजनाथ ने फिर फोन करने की बात कही थी, लेकिन कोई फोन नहीं आया।
Read More: Health Benefits of Cumin: इन लोगों के लिए वरदान से कम नहीं है जीरा, जानें सेवन का तरीका…
राहुल के आरोप पर राजनाथ सिंह ने जवाब दिया कि मल्लिकार्जुन खरगे एक वरिष्ठ नेता हैं. कल से लेकर आज तक तीन बार बातचीत हुई। जिसपर राहुल गांधी ने कहा कि मोदी सरकार कहती कुछ और है, करती कुछ और है।
एक तरफ विपक्ष स्पीकर पद पर उम्मीदवार उतारकर मोदी सरकार को मैसेज दे दिया कि संसद में इस बार उसकी राह आसान नहीं रहने वाली, तो सरकार ने भी साफ कर दिया विपक्ष को उपाध्यक्ष पद देने का कोई नियम नहीं है ये परंपरा है जिसको तोड़ने की शुरूआत कांग्रेस ने की है।
लेकिन विपक्ष को उस वक्त झटका लगा, जब ममता बनर्जी की TMC ने के सुरेश के समर्थन पत्र पर साइन नहीं किया। इधर NDA और INDIA के बीच खूब तकरार हुआ।
Read More: Health Benefits of Cumin: इन लोगों के लिए वरदान से कम नहीं है जीरा, जानें सेवन का तरीका…
खैर ये दूसरा मौका होगा जब लोकसभा के लिए चुनाव होगा। इससे पहले 1952 में चुनाव हुआ था। लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए सदन में सरकार के पास बहुमत है तो विपक्ष की उम्मीदें, सत्ता पक्ष में फूट पड़ने पर टिकी है। कुल मिलाकर बुधवार को सदन में दोनों पक्ष स्पीकर चुनाव के बहाने शक्ति प्रदर्शन करेंगे। सफलता किसे मिलती है। सबको इंतजार है।