*बाजार में दस रुपये के सिक्के को लेकर अफवाह आज कोरोनाकाल में भी बरकरार*

*बेमेतरा:-* विगत कुछ वर्ष पहले की दस के सिक्कों को लेकर गए अफ़वाहों का असर ज़िलाक्षेत्र के व्यापार-बाजार में आज वर्तमान कोरोना सन्कट के दौर में भी बरकरार है। जिसमे ज़िला क्षेत्र के ज्यादातर व्यापारी व दुकानदार लेने देन में 10 रुपये के सिक्के को लेने पर आनाकानी करते है, तो वहीं ज्यादातर ग्राहक भी सिक्कों को लेने से बचते हैं। बमुश्किल कुछ लोग ही इन सिक्कों से लेनदेन करते है।फिलहाल देखा जाए तो पेट्रोल पंप दस के सिक्के खपाने का बड़ा केंद्र बन गया है। जिसके पश्चात कही भी दस रुपये के सिक्के लेने में आनाकानी करते है।जो कि ज़िले के व्यापार जगत के सभी लोगों के लिए एक बड़ी परेशानी बनी हुई है। विदित हो कि आज से दशकभर पहले जब 10 रुपये के सिक्के भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी हुआ था। तो उस वक़्त इस बड़ी सिक्के को देखकर हर कोई अपने पास संभालकर रखने की होड़ मच गई थी। फिर कुछ दिन तो ये 10 रुपये के सिक्के तो बाजार से नदारद रहे। कही-कही ही नजर आने लगे। फिर इसी दौरान चलन में रहे। इस 10 रुपये के सिक्के को लेकर बंद होने की जबरदस्त अफवाह उड़ी। जिसका असर हुआ था, कि उस दौरान जिनके पास ये सिक्के थे, वे लोग इन सिक्कों को घरों से निकलकर बाजार में खूब चलाने लगे। किसी तरह हर कोई इस सिक्कों को अपने पास रखने से परहेज करने लगे। कई दफा अफवाहों का खंडन करते हुए सभी 10 रुपये के सिक्के चलने के आश्वासन दिए गए। बावजूद आज भी लोगों में सिक्के को लेकर अविश्वसनीयता इस कदर हावी है, कि लोग 10 रुपये की सिक्के की बजाए या तो ज्यादातर लोग छोटे सिक्के या रुपये में लेनदेन कर रहे हैं। जबकि बाजार में व्यापार के दौरान ग्राहक से लेकर व्यापारी-दुकानदार ज्यादातर हर कोई इस अफवाह के शिकार है। जबकि इस 10 रुपये के सिक्के किसी द्वारा ना लेने या ना-नुकुर करने पर कानूनी दण्ड का भी प्रावधान है। जिसकी परवाह किये बिना अब भी जिनके पास ये सिक्के है, वे बकायदा नगर के पेट्रोल टंकी या अन्य शासकीय जगहों में 10 रुपये के सिक्के चला रहे हैं। जिससे ऐसी जगहों पर 10 रुपये की सिक्के की भरमार हो रही है। वे भी किसी मजबूर होकर चलन में बनाये रखे हैं।कोरोनाकाल मे इन दिनों दस के सिक्के को लेकर आज कोरोना काल के दौर में भी अफवाहों का बाजार गर्म है। जो कि एक बड़ी समस्या है।