Hijab Ban Law Approved : पूरे देश में हिजाब पर लगा प्रतिबंध, नियम तोड़ने पर लगेगा लाखों रुपए का जुर्माना, यहां संसद में पास हुआ कानून

दुशांबे: Hijab Ban in Tajikistan भारत सहित दुनिया के कई देशों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर आए दिन सियासत गरमाते रहती है। लेकिन इस बीच खबर आ रही है कि एक मुस्लिम देश ने हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया है। बता दें कि यहां पहले ही अनौपचारिक रूप से घनी दाढ़ी पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। हिजाब पर प्रतिबंध लगाने का फैसला देश की संसद में लिया गया है।
Hijab Ban in Tajikistan मिली जानकारी संसद के ऊपरी सदन मजलिसी मिल्ली में जिस विधेयक को मंजूरी दी गई है, उसमें “विदेशी परिधानों” और दो सबसे महत्वपूर्ण इस्लामी छुट्टियों, ईद-उल-फित्र और ईद-उल-अजहा के लिए बच्चों के उत्सवों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इन मुस्लिम त्योहारों को ईदगर्दक के नाम से जाना जाता है, जिसके दौरान बच्चे लोगों को बधाई देने के लिए अपनी गलियों में घरों से निकलते हैं। यह प्रस्ताव मजलिसी नमोयंदगोन द्वारा प्रशासनिक उल्लंघन संहिता में संशोधन को मंजूरी दिए जाने के बाद हुआ है। नए संशोधनों के मुताबिक, कानून का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। हालांकि, प्रशासनिक उल्लंघन संहिता में पहले हिजाब या अन्य धार्मिक कपड़ों को उल्लंघन के रूप में उल्लेख नहीं किया गया था।
रेडियो लिबर्टी की ताजिक सर्विस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है, कि सांसदों ने अपराधियों के लिए 7,920 सोमोनी से लेकर कानूनी संस्थाओं के लिए 39,500 सोमोनी तक का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा, सरकारी अधिकारियों और धार्मिक अधिकारियों पर दोष सिद्ध होने पर 54,000 सोमोनी से लेकर 57,600 सोमोनी तक का जुर्माना लगाने का नियम बनाया गया है। ताजिकिस्तान में हिजाब पर आधिकारिक रोक कई सालों के अनौपचारिक प्रतिबंध के बाद आई है। देश ने अनौपचारिक रूप से घनी दाढ़ी पर भी प्रतिबंध लगा रखा है। 2007 में शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों के लिए इस्लामी परिधान और पश्चिमी शैली की मिनीस्कर्ट दोनों पर प्रतिबंध लगा दिया था और बाद में इस प्रतिबंध को सभी सार्वजनिक संस्थानों तक बढ़ा दिया था।
पिछले कुछ सालों में ताजिक सरकार ने ताजिक राष्ट्रीय पोशाक पहनने को प्रोत्साहित करने के लिए एक अभियान शुरू किया है, और 2018 में सरकार की तरफ से पारंपरिक परिधान को लेकर गाइडलाइन भी जारी किया गया था। खासकर 2017 में महिलाओं के मोबाइल पर मैसेज भेजकर उन्हें पारंपरिक पोषाक पहनने के लिए प्रोत्साहित किया गया था।
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