छत्तीसगढ़

राम वन गमन पथ पर विकसित होगा पर्यटन सर्किट, कौशल्या माता मंदिर से होगी शुरुआत

रायपुर सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़- छत्तीसगढ़ में राम वन गमन परिपथ एक पर्यटन सर्किट के तौर पर विकसित किया जाएगा। इसके लिए राजधानी रायपुर में एक अहम बैठक ली गई। राज्य के मुख्य सचिव आर पीमंडल की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस बारे में चर्चा की गई। इस बैठक में संबंधित विभागीय अधिकारियों को राम वन गमन परिपथ को पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित करने कार्ययोजना पर तेजी से अमल के लिए आवश्यक निर्देश दिए गए। समिति के संयोजक आईएफएस अधिकारी राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि राम वन गमन परिपथ में आने वाले छत्तीसगढ़ के आठ महत्वपूर्ण स्थलों सीतामढ़ी हरचौका, रामगढ़, शिवरीनारायण, तुरतुरिया, चंदखुरी, राजिम, सिहावा (सप्त ऋषि आश्रम) और जगदलपुर को विकसित किया जाएगा।

दुनिया में इकलौते कौशल्या मंदिर से होगी शुरुआत

  1. रायपुर से 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चंदखुरी के कौशल्या माता मंदिर से राम वन गमन परिपथ को सम्पूर्ण रूप से विकसित करने की शुरूआत होगी। यह दुनिया का एक मात्र कौशल्या माता मंदिर है, इसमें भगवान राम बाल रुप में मां की गोद में दिखाए गए हैं। मुख्य सचिव के निर्देशानुसार इसकी कार्ययोजना पर तेजी से अमल के लिए चार सदस्यीय टीम भी बनाईजाएगी। यह टीम तय किए गए आठ चिन्हित स्थलों तथा इसके रूट को पर्यटन की दृष्टि से जरुरी सुविधाओं से संबंधित कार्यों का खाका तैयार करेगी। साथ ही भारत सरकार पर्यटन मंत्रालय की स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत इस परिपथ की स्वीकृति के लिए आवश्यक कार्रवाईकी जाएगी।
  2. छत्तीसगढ़ में राम

    छत्तीसगढ़ में रामवन गमन पर डॉ मन्नू लाल यदू ने रिसर्च किया इन्हीं के भाई व इतिहास विद डॉ हेमू यदू ने बताया कि वाल्मीकिरामायण के अनुसार श्री रामचन्द्र जी वनवास काल में अयोध्या से विभिन्न पवित्र नदियों से होकर दंडकारण्य पहुंचे। पौराणिक ग्रंन्थों के अनुसार चित्रकूट के बाद भगवान राम छत्तीसगढ़ आए। दण्डकारण में छत्तीसगढ का भू-भाग भी समाहित था। छत्तीसगढ़ उन दिनों दक्षिण कोसल कहलाता था। इसे उत्तर से दक्षिण भाग को जोड़ने वाला दक्षिणापथ भी कहा जाता है। वाल्मीकिरामायण में दक्षिणापथ का उल्लेख मिलता है। शोध से यह तथ्य प्रकाश में आया कि उत्तर क्षेत्र से प्रभु राम का प्रथम आगमन छत्तीसगढ के सरगुजा के कोरिया जिला के सीतामढ़ी हरचौका में हुआ था।

  3. इसके बाद दक्षिण भारत की तरफ बढ़ते हुए कोन्टा, बस्तर तक लगभग ग्यारह सौ किमी की वनगमन यात्रा करने की जानकारी मिलती है।चंदखुरी भी रामयण से छत्तीसगढ़ को सीधे जोड़ता है, रामायण के बालकांड के सर्ग 13 श्लोक 26 में आरंग विकासखंड के तहत आने वाले गांव चंदखुरी का जिक्र मिलता है। तब इसका नाम चंद्रखुरी हुआ करता था, जो बाद में बोलचाल में चंदखुरी हो गया। रामायण के मुताबिक कौशल के राजा भानुमंत थे। भानुमंत आरंग में ही रहा करते थे। उनकी पुत्री का नाम भानुमति था। इनका विवाह राजा दशरथ से हुआ। शादी के बाद कौशल क्षेत्र की राजकुमारी होनी की वजह से उनका नाम कौशिल्या पड़ा।

 

 

 

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