#SarkarOnIBC24: कांकेर में हार..EVM जिम्मेदार! कांग्रेस प्रत्याशी बीरेश ठाकुर नहीं पचा पा रहे हार, लगाया ये आरोप
रायपुर: #SarkarOnIBC24: छत्तीसगढ़ में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन शानदार रहा। कोरबा को छोड़कर पार्टी ने सभी सीटें बड़े मार्जिन से जीती। हालांकि इस जीत के साथ एक टीस भी थी। कांकेर सीट पर बीजेपी प्रत्याशी भोजराज नाग का जीत का अंतर महज 1 हजार 8सौ 84 वोटों का रहा। जो किसी भी लोकसभा सीट के लिए बेहद कम मार्जिन है। दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी बीरेश ठाकुर भी इतने कम अंतर से हार पचा नहीं पा रहे। उन्होंने EVM में छेड़छाड़ का आरोप लगाकर कलेक्टर को ज्ञापन दिया है और जांच की मांग रख दी है।
#SarkarOnIBC24: छत्तीसगढ़ की कांकेर लोकसभा सीट के नतीजे को कांग्रेस प्रत्याशी बीरेश ठाकुर ने चैलेंज किया है। बीरेश ठाकुर का मुकाबला बीजेपी के भोजराज नाग से था। कई राउंड की काउंटिंग के बाद जब आखिरी रिजल्ट आया तो भोजराज नाग 1 हजार 8सौ 84 वोटों से विजयी घोषित किए गए। चुनाव नतीजों के करीब सप्ताह भर बाद बीरेश ठाकुर ने 4 केंद्रों की EVM बदलने का आरोप लगाकर कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर को ज्ञापन सौपा है जिसमें इन EVM की जांच की मांग की है।
कांकेर में हार कांग्रेस के लिए झटका थी तो बीजेपी के लिए भी हैरान करने वाली थी। कांकेर सीट पर 1998 से बीजेपी का दबदबा है। पिछले 6 लोकसभा चुनावों से बीजेपी बड़े मार्जिन से जीतती आ रही थी। प्रदेश के बाकी लोकसभा क्षेत्रों में भी बीजेपी प्रत्याशियों की बड़े अंतर से जीत हुई है। रायपुर सीट से बृजमोहन अग्रवाल 5 लाख से ज्यादा वोटों से जीते। दुर्ग सीट से विजय बघेल ने 4 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की। रायगढ़ से बीजेपी के राधेश्याम राठिया 2 लाख से ज्यादा वोटों से विजयी हुए चिंतामणि महाराज ने सरगुजा सीट से 64 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की। जांजगीर-चांपा से कमलेश जांगड़े 60 हजार बस्तर से महेश कश्यप 55 हजार महासमुंद से रूपकुमारी चौधरी 45 हजार और राजनांदगांव से प्रत्याशी संतोष पांडेय 44 हजार से ज्यादा वोटों से जीते हैं।
कांकेर में बीजेपी की कम अंतर से जीत का खामियाजा कांकेर कलेक्टर अभिजीत सिंह को भुगतना पड़ा। साय सरकार ने आचार संहिता हटते ही सबसे पहले कलेक्टर को हटाया। जबकि 6 महीने पहेली ही उनकी नियुक्ति की गई थी। जहां तक कांग्रेस प्रत्याशी बीरेश ठाकुर के आरोप का सवाल है। उनके पास कानूनी विकल्प खुले हैं। EVM के डेटा को इसी के चलते 45 दिन तक सुरक्षित रखे जाने का नियम है। ताकि किसी को कई आपत्ति हो तो वो शिकायत कर सकता है।
भारतीय लोकतंत्र में स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने का चुनाव आयोग का रिकॉर्ड शानदार रहा है। जहां तक EVM में गड़बड़ी का आरोप है तो ऐसे आरोप नए नहीं हैं। देश में अभी तक ऐसी कोई मिसाल नहीं मिलती जब ये साबित किया जा सका हो कि EVM में छेड़छाड़ कर किसी चुनाव नतीजे को प्रभावित किया गया है।