#SarkarOnIBC24: सत्ता की जंग है, जीतेगी जाति ही! आखिर कब तक छत्तीसगढ़ के साथ होता रहेगा सौतेला व्यवहार?
रायपुर: Portfolio Allocation In Modi Cabinet 3.0 मोदी मंत्रिमंडल में छत्तीसगढ़ से सिर्फ एक चेहरे को शामिल किया गया है। अनुभव और विशेषज्ञता को दरकिनार कर जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर तोखन साहू को राज्यमंत्री बना दिया गया। अब कांग्रेस पार्टी के नेता भी अपनी ही पार्टी को साहू समाज के साथ पॉवर शेयर करने की सलाह दे रहे हैं, तो वहीं बंपर जीत के बाद भी सिर्फ एक मंत्री बनाए जाने की टीस भी लोगों के मन में है। सवाल है, कि क्या दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र इसी तरह जातियों के जंजाल में उलझा रहेगा और सवाल ये भी कि आखिर कब तक छत्तीसगढ़ के साथ सौतेला व्यवहार होता रहेगा?
Portfolio Allocation In Modi Cabinet 3.0 बिलासपुर लोकसभा से पहली बार सांसद बने तोखन साहू ने केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली। इसके बाद से छत्तीसगढ़ की राजनीति में अलग-अलग तरह की चर्चाएं शुरू हो गई। कई अनुभवी सांसदों के बजाए तोखन साहू को मंत्री बनाए जाने के पीछे जातिगत समीकरणों को बड़ी वजह बताया जा रहा है। तोखन ओबीसी वर्ग से हैं और छत्तीसगढ़ में साहू समाज की आबादी ओबीसी वर्ग में सबसे ज्यादा है। जानकार बताते हैं कि विधानसभा और लोकसभा चुनावों में इस वर्ग ने भाजपा को बंपर वोट दिए। कांग्रेस के भीतर भी अब इस सोशल इंजीनियरिंग ने खलबली मचा दी है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेंद्र साहू दो टूक लहजे में कहते हैं, जो पार्टी साहू समाज को आगे बढ़ाएगी, उसे लाभ होगा। धनेंद्र कहते हैं कि तोखन साहू को केंद्र में मंत्री बनाने से बीजेपी को फायदा होगा।
भाजपा विधायक और साहू समाज के पूर्व अध्यक्ष मोतीलाल साहू कहते हैं भाजपा ने हमेशा साहू समाज के लोगों का सम्मान किया। जबकि कांग्रेस ने साहू समाज के साथ छल किया है।
वहीं दूसरी ओर कई वरिष्ठ सांसदों को केंद्रीय मंत्री नहीं बनाए जाने पर कांग्रेस तंज कस रही है। पूर्व मंत्री शिव डहरिया ने बृजमोहन अग्रवाल को मंत्री नहीं बनाए जाने पर सवाल उठाए तो भाजपा, कांग्रेस को अपनी स्थिति पर आत्ममंथन करने की सलाह दे रहे हैं।
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छत्तीसगढ़ की सियासत में 20% से ज्यादा आबादी का महत्व समझा जा सकता है। भाजपा ने भी इसी महत्व को समझते हुए तोखन साहू को मंत्री बना दिया। वहीं कांग्रेस के नेता भी सोशल इंजीनियरिंग की पैरवी कर रहे हैं। अब भले ही सभी पार्टियां ये कहते नहीं थकतीं कि वो जाति आधारित पॉलिटिक्स नहीं करतीं लेकिन सवाल है कि क्या दुनिया का ये सबसे बड़ा लोकतंत्र इसी तरह जाति का बोझ पीठ पर ढोते हुए चलेगा? सवाल ये भी कि छत्तीसगढ़ कब तक केंद्र के स्तर पर छला जाता रहेगा।