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The Big Picture With RKM : मोदी ने बताई NDA की नई परिभाषा, भाषण में कही गई बातों के मायने क्या? समझिए

The Big Picture With RKM :  देश में अब यह तय हो गया है कि सरकार किस दिन किस वक्त आकार लेगी तारीख आ चुकी है, टाइम आ चुका है। इन सबके बीच में आज की सबसे बड़ी हाईलाइट एनडीए संसदीय दल की मीटिंग थी। जिसमें मोदी जी का एक घंटे से लंबा चला भाषण तकरीबन सभी सवालों का जवाब देने का प्रयास दिखा। हर कोई स्पीच को अपने अपने हिसाब से डिकोड कर रहा है, इसका मोटिव और मैसेज क्या निकलता है ना हम हारे थे ना हम हारे हैं इन शब्दों के साथ मोदी ने ना केवल अपने विपक्षियों को जवाब दिया बल्कि जो उनके लाखों करोड़ों कार्यकर्ता हैं उनको भी उत्साहित करने की पूरी कोशिश की। जो पूरा उनका भाषण था उसमें उन्होंने यह पूरी तरीके से जताने की कोशिश की कि वह गठबंधन सरकार चलाने में सक्षम हैं।

सबसे पहले अगर आपने देखा होगा तो उन्होंने आकर संविधान को उठाकर अपने माथे से लगाया। यह पूरे चुनाव में संविधान जो इतना बड़ा मुद्दा बन गया था चाहे वो संविधान लेकर राहुल गांधी पूरी रैलियों में घूम रहे हो या संविधान को बदलने की बात हो या संविधान में जो भी प्रावधान दिए गए हो उनसे अलग थलग आरक्षण की बात को बदलने की बात हो। ये संविधान एक बड़ा मुद्दा बना था उन्होंने संविधान को अपने माथे लगाकर यह पूरी तरह जताने की कोशिश की कि वह संविधान की इज्जत करते हैं और सरकार भी उसी संविधान के अनुसार चलाएंगे।

दूसरा उन्होंने इस पूरे भाषण में जो उसका पूरा लब्बो लुआब था उन्होंने बताया कि एनडीए अभी का नहीं है एनडीए 30 साल पुराना है। आप सोचिए वाजपेई के जमाने में जो एनडीए बना था और यह बात सही है कि तब से उसका नाम एनडीए है, 30 साल से एनडीए है और बोले तब मैं सरकार में भी नहीं था मैं एक बीजेपी का कार्यकर्ता था। मैंने यह पूरे गठबंधन को काम करते हुए देखा है, तो मैंने बाहर से भी देखा है सरकार में से भी देखा है और पिछले 10 साल से हम बखूबी चला रहे हैं। गौर करने वाली बात यह है कि आज उन्होंने हमेशा और अपनी हर लाइन में एनडीए सरकार ही बोला। कहीं भी उन्होंने मोदी सरकार या भाजपा सरकार का उद्बोधन किसी भी बात को बोलते समय नहीं किया। मैं हमेशा कहता रहा हूं कि मोदी जो हैं ना एक बड़े ही चतुर नेता हैं वो स्थिति और जो भी उस समय चल रहा है उसको भांप कर समझकर अपने को बदलने को हमेशा तैयार रहते हैं और जल्दी बदल भी लेते हैं।

हमने यह देखा भी कि अगर उनकी पार्टी को बहुमत नहीं मिला और एनडीए के साथ अगर उनको बहुमत मिला तो उन्होंने अपनी भाषा अपने आचरण में तुरंत बदलाव कर लिया। जिस तरीके से उन्होंने अपने भाषण में बाबू बोला, चंद्रबाबू नायडू को उन्होंने बाबू कहकर संबोधित किया उन्हीं के साथ जो पवन कल्याण जीते हैं वहां के सुपरस्टार है उसको उन्होंने कहा पवन नहीं ये आंधी है और उन्होंने नीतीश कुमार की गुड गवर्नेंस की तारीफ की। वहां से उन्होंने कहा कि एनडीए का मतलब है गुड गवर्नेंस, एनडीए मतलब गुड गवर्नेंस और हम इसी को लेकर आगे बढ़ेंगे। 22 राज्यों में इस समय देश में एनडीए की सरकार है और हर जगह यह सरकार गुड गवर्नेंस के नाम से जानी जाती है तो और अब नायडू भी आंध्रा के मुख्यमंत्री बनने वाले हैं। उन्होंने कहा कि यह सब जो है हम सबकी सोच एक है, हम एक तरीके से काम करेंगे ।

उन्होंने जो एक और नई परिभाषा एनडीए की दी। उन्होंने कहा कि एन से होगा न्यू इंडिया, डी से होगा डेवलप्ड इंडिया और ए से होगा एस्पायरेट इंडिया और उन्होंने कहा कि यही हमारी एनडीए सरकार का मूल ध्येय रहेगा तो आज जो पूरा उनका इतना बड़ा भाषण था उसमें उन्होंने विपक्षियों को भी नहीं छोड़ा। चाहे वह ईवीएम के ऊपर सवाल उठाने वाली बात हो, चाहे वह इलेक्शन कमीशन पर सवाल उठाने वाली बात हो या उस बात का अंदेशा हो जो हम उस दिन बात भी कर रहे थे कि एक ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि अगर विपक्षी पार्टियां हारती हैं तो देश में कुछ भी हो सकता है तो उन्होंने इस पूरी चीज को आज पिछले जितने भी दो-चार दिन से रिजल्ट आने के बाद से जितने भी उनके ऊपर आरोप लगाए जा रहे थे या जिस तरह की उनके बारे में बात की जा रही थी, उस सबका जवाब आज मोदी ने अपने पूरे भाषण में दिया। कोई एक ऐसा मुद्दा नहीं छूटा जिसको उन्होंने अपने भाषण में नहीं लाया हो। लेकिन अंत में जो उनकी सबसे बड़ी बात रही, उन्होंने कहा कि देखिए यह किसी को संशय नहीं रखना चाहिए यह एनडीए की महाविजय है और आंकड़ों के रूप में भी और हमारे कर्म के रूप में भी ये हमारी सबसे बड़ी जीत है और हम इसको लेकर आगे चलेंगे और हम एक ऐसा शासन देंगे जो कि सर्वमत वाला हो। उन्होंने एक शब्द यूज किया आज कि ‘सर्वमत’ बोले, जो भी सरकार है वो हम सर्वमत से चलाएंगे।

जितनी आशंकाएं जितने सवाल उठ रहे थे इस घटक दल पर एनडीए गठबंधन पर सारे सवालों के जवाब देने की कोशिश आज कार्यवाहक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है लेकिन सवाल यह भी है कि एनडीए संसदीय दल की बैठक में सभी साझेदार जिस तरह से मोदी के साथ दिखे जिन शब्दों में मोदी का समर्थन किया उससे भी एक संकेत जाता है क्या वह संकेत मिलता दिख
रहा है?

यह बहुत ही इंपॉर्टेंट है कि किस तरह की केमिस्ट्री आज देखी गई। बीजेपी में और उनके सहयोगियों में और जो भी जिनके भी भाषण हुए भाषण किसलिए हुए क्योंकि एक लाइन का प्रस्ताव राजनाथ जी ने रखा था कि हम एनडीए के जितने भी सांसद हैं वह मोदी को अपना नेता चुनते हैं उसके अनुमोदन के लिए अलग-अलग जो भी घटक दल है उनके नेताओं को भाषण बुलाया गया सबकी बात नहीं करूंगा लेकिन जो कि सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण है जैसे कि नायडू है उन्होंने जो भाषण दिया वो दिखाता है वो एक विश्वास दिलाता है और मैं अपने दर्शकों को एक चीज बता दूं, जैसे-जैसे वहां पर भाषण होते गए सहयोगियों के और फिर मोदी का भाषण हुआ वैसे-वैसे शेयर मार्केट बढ़ता चला गया जो शेयर मार्केट 300—400 पे चल रहा था वो लगभग 1500 तक पहुंच गया था।

मेरा यह मानना है कि नायडू की जो सोच है और जो मोदी की सोच है वो आपस में काफी मिलती है ये नायडू पहली बार मुख्यमंत्री नहीं बन रहे इनके नाम ही आंध्रा के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड है और जब ये मुख्यमंत्री थे उस समय उन्होंने अपने राज्य में चाहे वो आईटी सेक्टर हो, चाहे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर हो या इंफ्रास्ट्रक्चर की बात हो उसके लिए बहुत काम किया। आंध्र नया राज्य बना तो नई राजधानी का सपना भी जो अमरावती को बनाना चाहते हैं वो जो जिसमें वो अब शपथ भी लेने वाले हैं उसी को क्योंकि इस समय आंध्रा की कोई राजधानी नहीं है 2 जून तक हैदराबाद उसकी राजधानी थी अब अमरावती आंध्रा की राजधानी हो गई है और वहीं पर वह शपथ लेंगे। तो यह जो सोच थी उन्होंने कहा कि मोदी एक विकास है मैं मोदी को एक विकास पुरुष मानता हूं, मैं यह समझता हूं कि जो मोदी हैं वह सही वक्त पर सही नेता इस देश को मिले हैं। कितनी बड़ी बात है कि जो वो सोचते हैं उनका मानना था उन्होंने कहा कि मैं यह मानता हूं कि केवल मोदी ही है जो देश को विकसित भारत का जो सपना है वो हम पूरा कर सकते हैं या जो मिशन 2047 है जब देश 100 साल अपनी आजादी का बना रहा होगा, उसको भी पूरा केवल मोदी कर सकते हैं। उनकी बातों से ऐसा लगा कि वह पूरी तरीके से मोदी के साथ हैं।

दूसरी तरफ नीतीश कुमार ने छोटा सा और एक बड़ा ही मजेदार भाषण दिया लेकिन उसमें उन्होंने कहा कि अब हम कहीं नहीं जाने वाले हैं हम आप ही के साथ रहेंगे, हम तो चाहते थे कि आप आज ही शपथ ले लो लेकिन आप ही ने कहा कि हम इतवार को शपथ लेंगे। तो जिस तरीके से उन्होने भाषण देने के बाद मोदी जी के पैर छूने की कोशिश की जिसको मोदी जी ने रोक दिया। यह वही नीतीश कुमार है जिन्होंने गठबंधन छोड़ दिया था, जब बीजेपी ने मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए प्रोजेक्ट किया था। दो तीन बार बीच में भी जा चुके हैं।

उसके बाद चिराग पासवान ने उद्घोष ऐसे शुरू किया कि मेरे प्रधानमंत्री तो वहीं पवन कल्याण उनने कहा कि हमने देशभक्ति आपसे सीखी तो यह जिस तरीके का भाषण था आज तो यह लगा कि यह सब बात इनकी अच्छे से हो चुकी है यह सब एकजुट है और सरकार चलाने के लिए दृढ़ संकल्प है लेकिन यह एट द एंड ऑफ द डे कोलिशन गवर्नमेंट है गठबंधन की सरकार है और इसमें झटके आते ही रहेंगे और अभी जब मंत्री पद बंटना शुरू होंगे तो यह पहले झटके हमको पता लगने शुरू हो जाएंगे तब पता लगेगा कि मोदी एक गठबंधन की सरकार चलाने में कितने सक्षम है।

 

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