छत्तीसगढ़ी बोली हमारे अस्तित्व की पहचान
राजिम सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़- त्रिवेणी संगम साहित्य समिति के तत्वावधान में मां गायत्री मंदिर सभागार राजिम में दीपावली मिलन समारोह एवं छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त सीईओ नोहर दास मानिकपुरी थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष मकसूदन साहू बरीवाला ने की।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार मोहनलाल मानिकपन ने कहा कि दीपावली का पर्व अंधेरे से उजाले की ओर जाने की प्रेरणा देती है। वरिष्ठ कवि दिनेश चौहान ने छत्तीसगढ़ी संस्कृति के क्षरण पर चिंता जाहिर की तो सुमधुर गीतकार रोहित साहू माधुर्य ने कहा कि हमें गर्व है कि हम छत्तीसगढ़िया हैं और छत्तीसगढ़ी बोली भाखा हमारे अस्तित्व की पहचान है। समिति के कोषाध्यक्ष श्रवण कुमार साहू ने छत्तीसगढ़ राज्य की गौरव गाथा का बखान करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति ऋषि और कृषि की संस्कृति है। इसे संरक्षण देना जरूरी है। वरिष्ठ कवि संतोष सेन ने हमारे इतिहास पुरुषों को याद करते हुए कहा कि हमें अपना कल कभी नहीं भूलना चाहिए। भारत लाल साहू ने दीया और बाती पर लाजवाब कविता पढ़े। टीकमचंद सेन ने अपनी रचनाओं से सभी को प्रभावित किया। छग्गू यास अडील ने कहा कि किसी के मुकद्दर पे मत जल, तू खुद ही जल जाएगा।
कवियों ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति पर पढ़ीं रचनाएं
कवि गोकुल सेन ने संस्कृति पर आधारित रचना पढ़ी। मकसूदन साहू बरीवाला ने छत्तीसगढ़ की रोटी पीठा, बरा-बरी पर काव्य रचना की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नोहर दास मानिकपुरी ने कहा कि साहित्यकार अपने साहित्य सृजन से समाज और संस्कृति का संरक्षण करता है, किसी भी सभ्य समाज में इनकी प्रासंगिकता और उपादेयता सदैव बनी रहती है। इस अवसर पर संतोष मंडल, जितेंद्र सुकुमार ने गीत-गजल प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में समिति के आगामी कार्ययोजना पर भी चर्चा की गई। अंत में मोहनलाल मानिकपन भावुक ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन थानू राम निषाद एवं श्रवण कुमार साहू ने किया।
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