Uncategorized

CG Ki Baat: ‘लालआतंक’ का पंच… पंचायतों से दूर सरपंच! क्या है बस्तर से नक्सलियों के सफाए के दावों की हकीकत ?

CG Ki Baat: रायपुर। बस्तर के अबूझमाड़ के 50 से ज्यादा सरपंच शरणार्थी जैसा जीवन जीने को मजबूर हैं रहे हैं। वे अपने पंचायत क्षेत्र में लौटने की स्थिति में नहीं है, वजह है नक्सली आतंक। गांव के विकास में सरपंच की भूमिका सबसे अहम होती है, लेकिन जब सरपंच ही सुरक्षित नहीं तो ग्रामीण तो भगवान भरोसे ही होंगे। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार 5 साल ये दावा करती रही कि उसने नक्सलियों को खत्म कर दिया है। बीजेपी की नई सरकार 5 महीने से लगातार ऑपरेशन कर रही है, उसका भी ये दावा है कि नक्सलियों के पांव उखड़ चुके हैं।

Read more: CG SET 2024: छत्तीसगढ़ राज्य पात्रता परीक्षा 2024 के लिए शुरू हुए आवेदन, जानें कब तक कर सकेंगे अप्लाई 

बावजूद हालात ऐसे हैं कि सरपंच गांव लौटने से डर रहे हैं, उन्हें डर है कि अपने घर लौटने की कीमत उन्हें जान देकर चुकानी पड़ सकती है। इस सूरतेहाल में बड़ा सवाल यही है कि बस्तर के ज़मीनी हालात क्या अब भी वैसे नहीं है, जैसा सरकारें बताती रही हैं? क्या अब भी बस्तर के सुदूर गांवों तक प्रशासन की पहुंच नहीं है? सवाल ये भी क्या पुलिस, फोर्स, प्रशासन और सरकार पर जनप्रतिनिधियों को अब भी भरोसा नहीं है?

Read more: छत्तीसगढ़ में निगम, मंडल, आयोगों में नियुक्तियां जल्द, इन नेताओं को नहीं मिलेगा मौका ! देखें 

अपनी आपबीती सुना रहे ये लोग बस्तर की जमीनी हकीकत बयां कर रहे हैं। ये सभी नारायणपुर जिला मुख्यालय से 43 किलोमीटर दूर स्थित छोटेडोंगर गांम पंचायत के रहने वाले हैं। इनमें गांव के सरपंच सहित 3 अलग-अलग समाजों के प्रमुख और पद्मश्री से सम्मानित वैधराज शामिल हैं, लेकिन ये सभी लोग अपने गांव से दूर नारायणपुर डीपीआरसी भवन में बीते 6 महीने से सुरक्षा के लिए पनाह लिए हुए हैं। क्योंकि माओवादियों ने इनके खिलाफ मौत का फरमान सुनाया है। माओवादी इलाके में संचालित लौह अयस्क खदान का लंबे समय से विरोध करते रहे हैं और इस खदान के संचालन में इन सभी लोगों की भूमिका मानते हैं, माओवादी इस इलाके में कई जनप्रतिनिधियों की हत्या भी कर चुके हैं।

Read more: Congress Leader Murder Update : कांग्रेस नेता की हत्या के मामले में पुलिस को बड़ी सफलता, इस जिले से दो आरोपियों को दबोचा 

नारायणपुर डीपीआरसी भवन में रह रहे इन जनप्रतिनिधियों का कहना है कि उन्हें तो सरकार की तरफ से सुरक्षा मुहैया करवाई जा रही है, लेंकिन गांवों में उनके परिवार की देख रेख करने वाला कोई भी नहीं है। वहीं माओवादी धमकी का शिकार इनके जैसे दर्जनों गावों के सरपंच हैं, जिनके रहने लिए जिला मुख्यालय के पास शांति नगर बसा कर की गई है, जहां पीड़ित परिवारों के साथ सरपंच रहते हैं और जिला मुख्यालय से ही यानि शहरों से ही ग्राम पंचायत का काम देखते हैं। इन हालात पर राजनीतिक दल एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

Read more: ‘मैंने पहले ही कहा था मोदीजी रोने वाले हैं…जल्द ही मंच से गिरेंगे’, कांग्रेस अध्यक्ष चीफ दीपक बैज ने कसा तंज 

CG Ki Baat: बस्तर चार दशक से नक्सलवाद का दंश झेल रहा है। लंबे संघर्ष के बीच सरकारें अक्सर माओवाद के खात्मे और बैकफुट पर करने के दावे करती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत क्या है वो इन जनप्रतिनिधियों को देखकर लगाया जा सकता है। ऐसे में सवाल है कि क्या बस्तर में अब भी पंचायत व्यवस्था नाम मात्र की है? क्या बस्तर के सुदूर गांव अब भी प्रशासन की पहुंच से दूर हैं? और सबसे बड़ा सवाल ये कि बस्तर से नक्सलियों के सफाए के दावों की हकीकत क्या है?

देश दुनिया की बड़ी खबरों के लिए यहां करें क्लिक

Follow the IBC24 News channel on WhatsApp

खबरों के तुरंत अपडेट के लिए IBC24 के Facebook पेज को करें फॉलो

IBC24 News : Chhattisgarh News, Madhya Pradesh News, Chhattisgarh News Live , Madhya Pradesh News Live, Chhattisgarh News In Hindi, Madhya Pradesh In Hindi

Related Articles

Back to top button