नगर पालिका कुम्हारी अनारक्षित वार्डों में मचेगा चुनावी घमासान
खुली छूट के चलते हर कोई देख रहा है अध्यक्ष पद का ख्वाब
अध्यक्ष पद अनारक्षित रहने से आरक्षित वर्ग भी उत्साहित
दुर्ग। कुम्हारी नगर पालिका के आसन्न चुनाव में 24 में से अनारक्षित घोषित 8 वार्डों में घमासान मचने का आसार नजर आने लगा है। अभी चुनाव की घोषणा होनी शेष है, पर इन अनारक्षित वार्डों में चुनाव लडऩे की खुली छूट के चलते हर कोई अध्यक्ष पद का सपना संजोकर तैयारी में कूद पड़ा है। अध्यक्ष का पद अनारक्षित रहने से आरक्षित वर्ग के नेता व नेत्रियों में भी खासा उत्साह देखा जा रहा है।
नगर पालिका परिषद कुम्हारी के पांचवे परिषद के निर्वाचन हेतु अगले माह चुनाव होना तय है। हालांकि अभी चुनाव की तारीख का ऐलान विधिवत नहीं हो सका है, लेकिन मौजूदा परिषद के खत्म होने वाले कार्यकाल से पहले नई परिषद के गठन के लिए दिसंबर माह में चुनाव संपन्न करा लिए जाने का संकेत है। चुनाव से पहले आरक्षण की जरुरी प्रक्रिया बीते सितंबर में ही पूरी हो चुकी है। अध्यक्ष पद इस बार भी अनारक्षित रखे जाने से सभी जाति, धर्म और लिंग के दावेदारों के लिए एक तरह से खुली छूट है।
राज्य शासन ने इस बार अध्यक्ष पद का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली के तहत पार्षदों के बहुमत के आधार पर कराये जाने का नियम लागू किया है। लिहाजा अध्यक्ष बनने के लिए पार्षद निर्वाचित होना अनिवार्य हो गया है। इस वजह से कांग्रेस और भाजपा से अध्यक्ष पद की चाह रखने वाले वार्डों में अपनी जीत की संभावना टटोलने के बाद चुनावी जमीन तैयार करने में जुट गए हैं।
कुल 24 वार्डों वाले कुम्हारी नगर पालिका में 8 वार्ड अनारक्षित रखा गया है। इसमें वार्ड 4 महामाया पारा, वार्ड-5 बाजार चौक, वार्ड-8 शांति नगर, वार्ड-9 शिव नगर, वार्ड 10 शंकर नगर, वार्ड-18 डीएमसी तालाब पार वार्ड 19 आदर्श नगर कुगदा और वार्ड 21 कबीर नगर कुगदा शामिल है। इन वार्डों के अनारक्षित रहने से आरक्षण के चलते अपने निवास वाले वार्ड से उम्मीदवारी खो चुके अनेक नेताओं की नजर यहां से पार्षद बनने के लक्ष्य पर केन्द्रित हो गई है। जकि इन वार्डों से भी अध्यक्ष की कुर्सी पर निगाहे जमाकर पार्षद बनने की अच्छी खासी कतार अभी से दिखने लगी है।
अध्यक्ष पद अनारक्षित रहने से आरक्षित वर्ग में भी उत्साह बना हुआ है। इसके चलते आरक्षित वार्डों में भी इस बार पूर्व चुनावों के मुकाबले पार्षद पद के लिए घमासान मचने की पूरी संभावना है। अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होगा और पार्षदों की बहुमत जिसके साथ होगा उसके माथे पर ही निकाय प्रमुख का ताज दमकेगा। इसलिए हर किसी का लक्ष्य इस समय पार्षद की कुर्सी बना हुआ है। इसके लिए सभी वार्डों में दावेदारों की सक्रियता नजर आने लगी है। कांग्रेस और भाजपा टिकट की सिफारिश करने और करवाने का दौर शुरू हो चुका है। सभी दावेदार अपने-अपने स्तर पर मतदाताओं को प्रभावित करते हुए फिलहाल टिकट की दौड़ में एक दूसरे को पछाडऩे में कोई कसर छोड़ते नहीं दिख रहे हैं।