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Damoh Lok Sabha Seat: दमोह में 16 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला, बेरोजगारी सहित ये है यहां के असल मुद्दे, जानें क्या है यहां का समीकरण

दमोह: Damoh Lok Sabha Seat देश में लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। पहले चरण के मतदान के बाद अब देश में दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को होने को है। वहीं मध्यप्रदेश के 29 सीटों के लिए चार चरणों में मतदान होने को है। जिसमें मध्यप्रदेश के टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद लोकसभा सीट शामिल है।

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Damoh Lok Sabha Seat बात करें दमोह लोकसभा की तो यहां कुल लोकसभा सीटों में से 28 पर 2019 में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। प्रदेश की दमोह लोकसभा सीट 1989 से ही लगातार बीजेपी जीतते आ रही है। यह पार्टी के लिए अब सेफ सीट बन चुकी है। जातिगत समीकरणों के लिहाज से भी ये सीट महत्वपूर्ण है। यहां लोध और कुर्मी जातियों का वोट बैंक है। इस बार बीजेपी (BJP) ने लोध समुदाय के प्रत्याशी को उतारा है और कांग्रेस ने भी वोट बैंक को देखते हुए इसी समुदाय से उम्मीदवार को उतारा है। इस बार बीजेपी ने दो बार सांसद रहे प्रह्लाद पटेल के बजाय इस बार राहुल लोधी को टिकट दिया है।

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यहां 10 वर्षों में केंद्र में बीजेपी सरकार होने के साथ यहां से सांसद भाजपा के गद्दा पर नेता वर्तमान में प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री पहलाद पटेल रहे, लेकिन भाई भी अपने कार्यकाल में जनता के बीच अपने कार्यों से कोई उल्लेखनीय छाप नहीं छोड़ पाए। इनके कार्यकाल में बेलाताल का सौंदर्य करण जरारू धाम गौ अभ्यारण, शाहिद अन्य सौंदर्य करण कार्य तो किए गए लेकिन इनमें से ज्यादातर या तो अभी भी अधूरे है या आम जनमानस से उतने जुड़े नहीं है कि वह इस विकास कार्य के रूप में देख सके।

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इसके अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य भी यहां पर एक मुद्दा होता है और मेडिकल कॉलेज सहित यूनिवर्सिटी इंजीनियरिंग कॉलेज कई ऐसी बातें हैं जिसे जब तब सियासी दल अपने अपने हिसाब से मुद्दा बना लेते हैं। आधारभूत मुद्दों के अलावा यहां पर किसानों को घोषित एमएसपी, बिकाऊ और टिकाऊ जैसे मुद्दे भी राजनीतिक दलों द्वारा उठाए जा रहे हैं लेकिन यह जनता के बीच उतने महत्वपूर्ण नहीं दिखाई दे रहे हैं।

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चुनावी समीकरणों की बात करें तो आज भी बुंदेलखंड में जातिगत समीकरण इतने प्रभावी है की कोई भी सियासी दल किसी दरकिनार करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है लोकसभा क्षेत्र में सबसे बड़ा डब्बा लोधी जाति का माना जाता है इसलिए पिछले कई चावन में प्रमुख सियासी दलों की ओर से लोधी प्रत्याशी ही आमने-सामने रहे हैं और इस चुनाव में भी सपा और कांग्रेस के द्वारा अपने अपने प्रत्याशी लोधी समाज से ही बनाए गए हैं।

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इसके अलावा भी कुर्मी और एससी एसटी समाज भी चुनाव को काफी प्रभावित करता है जिसके चलते सियासी दल इन समीकरणों को भी साधने में लगे हुए हैं। इस चुनाव में प्रमुख मुकाबले में भाजपा और कांग्रेस की नजर आ रहे हैं जिसमें भाजपा के लिए जीत के समीकरण मोदी लहर और राम मंदिर निर्माण की चर्चा बना रही है तो कांग्रेस के लिए भी इंडी गठबंधन, और बेरोजगारी जैसे मुद्दे उसके लिए प्रभावित हो रहे हैं

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