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बतंगड़ः अपनी पसंदीदा पिच पर खेलने के लिए ललचा/ललकार रहे मोदी

#Batangad: लोकसभा चुनाव को लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। यही वजह है कि मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित करने के लिए चुनाव आयोग ने इस दफा ‘चुनाव का पर्व, देश का गर्व’ टैग लाइन के साथ जागरुकता अभियान चला रखा है। लेकिन इस लोकतांत्रिक पर्व के लिए जो चुनावी उत्साह और सियासी सरगर्मी नजर आनी जानी चाहिए उसको लोग काफी मिस कर रहे थे। चुनावी रंग जमाने के लिए जिन मुद्दों की दरकार होती है उसका मतदान के पहले चरण की समाप्ति तक अभाव नजर आया। चुनाव के प्रति मतदाताओं की बेरुखी की तस्दीक पहले चरण के मतदान प्रतिशत से भी लगाया जा सकता है। चुनावी ज्योतिषियों की राय में ये कम मतदान भाजपा की कुंडली के लिहाज से शुभ नहीं माया गया। शायद ग्रह-नक्षत्रों की चाल को भांपते हुए ही अब भाजपा ने अपना वो दांव चल दिया है, जिसमें उसकी महारत हासिल है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राजस्थान के बांसवाड़ा में चुनावी रैली में ये दावा करके कि अगर कांग्रेस सत्ता में आएगी तो वह लोगों की संपत्ति को मुसलमानों में बांट देगी, शांत पड़ी चुनावी लहर में जबरदस्त हलचल मचा दी। प्रधानमंत्री मोदी ने ये दावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राहुल गांधी के बयानों को कांग्रेस के घोषणापत्र से लिंक जोड़कर किया है। दरअसल मनमोहन सिंह ने अपने प्रधानमंत्री काल में कथित तौर पर देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का बताया था, जबकि राहुल गांधी ने हाल ही में हैदराबाद की रैली में वेल्थ सर्वे कराने की बाद कही थी। वहीं कांग्रेस के घोषणापत्र में भी लोगों की प्रापर्टी का कथित सर्वे कराने का वादा है। प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस के घोषणापत्र के इसी वादे और राहुल के बयान को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के संसाधनों पर अल्पसंख्यकों का पहला हक वाले बयान से जोड़कर लोगों की संपत्ति को मुसलमानों के बीच बांट देने का डर दिखाया है। प्रधानमंत्री के इस दावे से सियासी बवाल मचना लाजिमी था।

आगे बढ़ने से पहले आइए जान लेते हैं कि वस्तुतः पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राहुल गांधी ने कहा क्या था। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 9 दिसंबर 2006 को ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना और विकास पर चर्चा के लिए राष्ट्रीय विकास परिषद की 52वीं बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि- ‘अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए योजनाओं को नए सिरे से तैयार करने की जरूरत है. हमें ये सुनिश्चित करने के लिए नई योजनाएं बनानी होंगी कि अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिमों को विकास में समान भागीदारी मिले। संसाधनों पर पहला दावा/हक उन्हीं का होना चाहिए।’ ध्यान देने वाली बात यह है कि मनमोहन सिंह ने यह भाषण अंग्रेजी में दिया था, जिसमें उन्होंने ‘क्लेम’ शब्द का इस्तेमाल किया था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि- दे मस्ट हैव फर्स्ट क्लेम आन अवर रिसोर्सेस। इसी क्लेम शब्द को लेकर कांग्रेस सफाई दे रही है कि मनमोहन सिंह ने हक की बात नहीं कही थी। कांग्रेस ने सफाई देने की कोशिश की तो भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का वो भाषण एक्स पर पोस्ट कर दिया। आपको बता दें कि 2006 में भी मनमोहन सिंह के इस बयान पर विवाद हुआ था, जिसके बाद 10 दिसंबर को प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से स्पष्टीकरण जारी किया गया था। इस स्पष्टीकरण में कहा गया था कि पीएम ने अल्पसंख्यकों के सशक्तिकरण की बात की है, लेकिन इसे गलत संदर्भ में पेश किया गया है।

वहीं राहुल गांधी ने भी कुछ ऐसा कहा है, जिसे कांग्रेस के घोषणापत्र की मंशा से जोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को मुश्किल में डाल दिया है। राहुल ने 7 अप्रैल को तेलंगाना के हैदराबाद की चुनावी रैली में कहा था कि,-‘ जाति जनगणना के अलावा वेल्थ सर्वे कराया जाएगा। यह हमारा वादा है। हम पहले यह निर्धारित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना करेंगे कि कितने लोग ओबीसी,एससी, एसटी और अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। उसके बाद धन के समान वितरण को सुनिश्चित करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम के तहत हम एक वित्तीय और संस्थागत सर्वे कराएगें।’ प्रधानमंत्री मोदी की ओर से कांग्रेस को घेरे जाने के बाद कांग्रेस ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि,- ‘हालांकि कांग्रेस के घोषणा पत्र में आर्थिक असमानताओं के मुद्दे पर प्रकाश डाला गया है, लेकिन इसमें किसी से कुछ लेकर बांटने की बात नहीं कही गई है। कांग्रेस ने यह दावा भी किया है कि राहुल गांधी ने 7 अप्रैल को हैदराबाद की रैली में देश की संपत्ति के ‘पुनर्वितरण’ का वादा नहीं किया है। उनके शब्दों को गलत तरीके से पेश किया गया है।

कांग्रेसी खेमे के इको सिस्टम से जुड़े एनफ्यूएंसर्स ने सोशल मीडिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांसवाड़ा में चुनावी रैली में दी गई स्पीच के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए हमला बोल दिया है। ये लोग प्रधानमंत्री मोदी को इस्लामोफोबिक बताकर उन्हें अल्पसंख्यकों के प्रति असंवेदनशीलता दिखाने वाला पीएम बता रहे हैं। कांग्रेसी इको सिस्टम की ओर से खोले गए मोर्चे के खिलाफ दक्षिणपंथी समूह के सोशल मीडिया एन्फ्लूएंसर्स भी पलटवार करते अपनी मुहिम में जुट चुके हैं। इस वार-पलटवार ने सुस्त चाल से चल रही चुनावी मुहिम में गजब की रफ्तार भर दी है। प्रधानमंत्री मोदी की स्पीच के खिलाफ हल्ला बोलकर दरअसल विरोधी खेमे ने भाजपा की ही मनचाही मुराद पूरी कर दी है। विपक्ष ने लगता है कि एक बार फिर से पड़ी लकड़ी उठा ली है।

भाजपा को चुनावी माहौल गरमाने के लिए जिस प्रभावी उत्प्रेरक की जरूरत थी उसे बांसवाड़ा की रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने हासिल कर लिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस के वेल्थ सर्वे और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ‘पहला हक’ वाली ‘ टिप्पणी को 18 साल बाद उठाकर दरअसल एक तीर से दो निशाने साध डाले। पहला तो उन्होंने कांग्रेस को भाजपा की हिंदुत्व की पसंदीदा पिच पर खेलने के लिए मजबूर कर दिया और दूसरा उन्होंने इस मुद्दे को महिलाओं के साथ भी भावनात्मक तौर पर जोड़ दिया। प्रधानमंत्री मोदी का ये कहना काफी मायने रखता है कि- ‘ये कांग्रेस का घोषणापत्र कह रहा है कि वे माताओं बहनों के सोने का हिसाब करेंगे, उसकी जानकारी लेंगे और फिर उस संपत्ति को बांट देंगे। और उनको बांटेगे जिनके बारे में मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। पहले जब उनकी सरकार थी, उन्होंने कहा था की देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. इसका मतलब ये संपत्ति इकट्ठी करके किसको बांटेंगे? जिनके ज्यादा बच्चे हैं उनको बांटेंगे। घुसपैठियों को बांटेंगे। आपकी मेहनत की कमाई का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा? क्या आपको ये मंजूर है?’बांसवाड़ा की रैली के अगले दिन सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलीगढ़ की चुनावी रैली में एक बार फिर इस मुद्दे को उठाकर अपने इरादे साफ कर दिए कि वे अब अपनी इसी पसंदीदा पिच पर खेलने के लिए विपक्ष को ललचा/ललकार रहे हैं।

दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार अपने उस हुनर को दिखाया है, जिसके लिए वे जाने जाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी का सबसे बड़ा हुनर चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने का है। वे अपने इस हुनर में इतने पारंगत हैं कि विपक्षी नेता की ओर से उन पर किए गए आपत्तिजनक शाब्दिक हमलों को भी अपना हथियार बना लेते हैं। मौत का सौदागर, चायवाला, नीच से लेकर पिछले चुनाव में चौकीदार चोर है तक की लंबी फेहरिश्त है जिनकी बदौलत नरेंद्र मोदी विपरीत चुनावी बयार को अपने पक्ष में बहाने में कामयाब हो गए। इस चुनाव में भी वे ऐसे ही किसी शाब्दिक शस्त्र के चलने का इंतजार कर रहे थे, जिसके जरिए वे उल्टा विपक्ष को ही घायल कर सकें। पहला चरण पूरा होने तक जब विपक्ष की ओर से ऐसा कोई हथियार नहीं चलाया गया तो उन्होंने खुद ही ‘हिंदू-मुसलमान’ का आजमाया गया हथियार चल दिया। याद करिए पिछले चुनावों में भी वे ‘कब्रिस्तान बनाम श्मसान’ और ‘पहनावे से पहचान’ जैसे मुद्दों को आजमा चुके हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के घोषणापत्र को आधार बनाकर जिस तरीके से उस पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाते हुए हमला बोला है, उससे साफ जाहिर है कि पहले चरण के बाद चुनावी माहौल में आई आंच आने वाले चरणों में ताप में बदल जाएगी। इस ताप में कौन अपनी रोटी सेंकने में कामयाब रहता है, इसका पता तो चुनावी नतीजों के बाद ही जाहिर हो पाएगा।

– लेखक IBC24 में डिप्टी एडिटर हैं।

 

 

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