हार्वेस्टर मालिकों को रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, खेत में पैरा जलाया तो कार्रवाई तय
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रायपुर सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़- बलौदाबाजार जिले में फसल कटाई के बाद पराली जलाने पर पूरी तरह रोक लगाई जा सके इसके लिए प्रशासन ने इस साल कार्ययोजना तैयार की है। फसल कटाई के दौरान खेतों पर कृषि और राजस्व विभाग की टीम कड़ी नजर रखेगी। नई व्यवस्था के तहत प्रशासन ने तय किया है कि हार्वेस्टर मालिकों को अपनी मशीनों का रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, क्योंकि कई लोग हार्वेस्टर लेकर अन्य राज्यों से भी आते हैं। ये कवायद इसलिए हो रही ताकि यहां पैरा जलाने से होने वाले दुष्प्रभाव को न झेलना पड़े।
एसडीएम भाटापारा महेश राजपूत ने बताया कि मंगलवार को टीएल बैठक में कलेक्टर ने निर्देश दिए हैं कि पराली जलाने वालों पर कड़ी निगरानी रखनी है, पराली जलाते हुए पाए जाने पर अनुशासनिक कार्रवाई के साथ अर्थदंड भी लगना तय है। इस बार हार्वेस्टर मालिकों को अपनी मशीन का पंजीयन करवाना अनिवार्य होगा। इलाके में बड़े पैमाने पर पंजाब, हरियाणा से हार्वेस्टर आते हैं। लोकल हार्वेस्टर मालिकों ने मरम्मत और जरूरी काम चालू कर दिए हैं। ऐसे हार्वेस्टर मालिकों के लिए विभाग ने अभी से निर्देश जारी करते हुए कहा है कि वे तैयारी के साथ कृषि विभाग मुख्यालय में हार्वेस्टर का पंजीयन तत्काल करवा लें।
बिना पंजीयन हार्वेस्टर लिया हुआ पाया गया तो न सिर्फ़ अर्थदंड भुगतना होगा बल्कि हार्वेस्टर सीज भी किया जा सकता है। अर्ली वैरायटी फसल की कटाई दीपावली के बाद चालू हो गई है। इस बार मानसून के कारण देर से ही सही लेकिन अर्ली वैरायटी की फसल की स्थिति को देखते हुए खलिहान साफ किए जा रहे हैं।
विभाग ने सभी किसानों को अलर्ट कर दिया है कि यदि कटाई के बाद फसल अवशेष जलाया तो खैर नहीं, अवशेष का प्रबंधन खेतों में ही करें। इसके लिए सरकार प्रति एकड़ अनुदान देने की योजना भी बना रही है।
फसल जली तो हवा में फैलेगी हानिकारक गैस
फसल अवशेष जलाने से वातावरण में हाइड्रोकार्बन, कार्बन डाइऑक्साइड, ड्राई ऑक्सीजन जैसी जहरीली गैस उत्पन्न होती हैं, इन्हें सेहत के लिए बेहद हानिकारक माना गया है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी प्रभावित होती है। तापमान बढ़ने से उर्वरा शक्ति बढ़ाने वाले सूक्ष्म जीव और खनिज तत्व खत्म हो जाते हैं। इसका सीधा असर उत्पादन में कमी के रूप में सामने आता है। इसे देखते हुए एनजीटी ने इस पर प्रतिबंध लगाया है।
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