स्वास्थ्य/ शिक्षा

आंतों खराब होने पर सुबह-सुबह मल में दिखते हैं इस तरह के बदलाव, संकेत दिखने पर तुरंत भागें हॉस्पिटल

हमारे शरीर का हर एक अंग सुरक्षित होना बहुत ही जरूरी होता है। किसी  भी अंग में थोड़ी सी परेशानी होने पर इसका पूरा असर शरीर पर दिखने लगता है। शरीर का हर एक अंग हमारे लिए महत्वूपर्ण होता है। आंत की बात करें, तो यह पाचन तंत्र का प्रमुख हिस्सा है। आंत दो तरह के होते हैं, छोटी और बड़ी आंत। खानपान को सही तरीके से पचाने से लेकर शरीर में अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने के लिए दोनों ही आंतों क महत्वपूर्ण कार्य होता है। आंत को स्वस्थ रखने के लिए खानपान पर उचित ध्यान देने की जरूरी होती है। आंत में खराबी होने पर शरीर में कई तरह के संकेत जैसे- वजन कम होना, काफी ज्यादा थकान होना, सुस्ती महसूस होना, बुखार आना जैसे लक्षण दिख सकते हैं। इसके अलावा आंत सड़ने पर मल में भी कई तरह के लक्षण दिखने लगते हैं। आइए जानते हैं इस बारे में-

मल काफी ज्यादा पतला होगा

आंत में किसी तरह की गड़बड़ी या फिर सड़ने की स्थिति में कुछ मरीजों को मल काफी पतला होना

लगता है। इस स्थिति में बार-बार दस्त की शिकायत होती है। अगर आपका मल भी काफी ज्यादा पतला हो रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं और सलाह लें। ताकि किसी भी तरह की स्थिति में आपकी परेशानी को बढ़ने से रोका जा सके।

कभी-कभी मल निकलने में परेशानी

आंत में गड़बड़ी की वजह से मरीजों को मल त्यागने में काफी ज्यादा परेशानी हो सकती है। कुछ मरीजों को लंबे समय तक कब्ज की शिकयत

से जूझना पड़ता है। अगर आपको कब्ज की परेशानी हो रही है, तो अपने हेल्थ एक्सपर्ट की मदद लें।

मल बंधा हुआ न होना

आंत में गड़बड़ी होने की स्थिति में मल बंधा हुआ सा नहीं होता है। इसमें मल काफी फैले-फैले से होते हैं। अगर आपको मल में इस तरह के संकेत नजर आ रहे हैं, तो फौरन अपने हेल्थ एक्सपर्ट की मदद लें।

मल के रंग में बदलाव

आंत में सड़न या फिर सूजन होने पर मल के रंग में बदलाव दिख सकता है। कुछ मरीजों का मल काफी ज्यादा काला या फिर भूरा दिखता है। अगर ऐसे संकेत दिख रहे हैं, तो फौरन डॉक्टर की मदद लें।

Disclaimer: हमारे लेखों में साझा की गई जानकारी केवल इंफॉर्मेशनल उद्देश्यों से शेयर की जा रही है इन्हें डॉक्टर की सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। किसी भी बीमारी या विशिष्ट हेल्थ कंडीशन के लिए स्पेशलिस्ट से परामर्श लेना अनिवार्य होना चाहिए। डॉक्टर/एक्सपर्ट की सलाह के आधार पर ही इलाज की प्रक्रिया शुरु की जानी चाहिए।

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