12 नवंबर को सकलघाट (नरसिंहनपुर) में पवित्र पावनि माँ नर्मदा के तट पर सवा लाख दीप दान करेगी हिंगलाज सेना – मध्यप्रदेश
12 नवंबर को सकलघाट (नरसिंहनपुर) में पवित्र पावनि माँ नर्मदा के तट पर सवा लाख दीप दान करेगी हिंगलाज सेना – मध्यप्रदेश
पण्डित देव दत्त दुबे
शङ्कराचार्य जी के कृपापात्र
सहसपुर लोहारा-कवर्धा सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़ -हिंगलाज सेना के संस्थापक ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर परम् पूज्य जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज श्री के सानिध्य में होगा सवा लाख दीपदान
राष्ट्रीय हिंगलाज सेना मध्यप्रदेश द्वारा आगामी 12 नवंबर को सकलघाट (नरसिंहपुर) पवित्र पावनि नर्मदा तट पर होगा दीप दान। प्रदेश संगठन मंत्री संजय तिवारी ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष लक्ष्मीमणि दीदी द्वारा जानकारी दी गयी कि इस वर्ष पूज्य गुरुदेव के सानिध्य में दीप दान होगा।
शङ्कराचार्य जी के कृपापात्र पण्डित देव दत्त दुबे ने बताया कि धर्मनगरी कवर्धा से भी, शङ्कराचार्य जी के अनुयायी, भक्तगण, शिष्य मण्डली भी बहुतायत जायेंगे । सकलघाट जाने वालों में श्री चन्द्रप्रकाश उपाध्याय कवर्धा सहित शङ्कराचार्य न्यास के सदस्य होंगे ।
शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास में दीप दान करने वाला व्यक्ति दिव्य कान्ति से युक्त हो जाता है। दीप दान के बाद उन्हें नर्क नहीं भोगना पड़ता है। माना जाए तो कार्तिक मास में देवताओं की पूजा और धर्म-कर्म के काम ज्यादा आवश्यक बताएं गए हैं। इस दिन दीप दान से सब मनोकामना होगी पूरी। शास्त्रों में कार्तिक मास का विशेष महत्व बताया गया है। कार्तिक मास की महिमा देवों ने भी गाई है। हिंदी पंचांग के अनुसार कार्तिक मास वर्ष का आठवां महीना होता है कार्तिक मास को हिन्दू धर्म ग्रंथों धार्मिक दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण बताया गया है। कार्तिक मास का पुण्यकाल अश्विन शुक्ल पूर्णिमा अर्थात शरद पूर्णिमा से ही आरंभ हो जाता है। कार्तिक मास में व्रत, त्यौहार पूजा पाठ आदि के साथ दीप दान का भी विशेष महत्व है। चार महीने बाद जब भगवान विष्णु जागते है तो मांगलिक कार्यकर्मो की शुरुआत होती है। कार्तिक मास की समाप्ति पर कार्तिक पूर्णिमा होती है। कार्तिक में दीप-दान का महत्व ऐसा कहा गया है कि जो व्यक्ति कार्तिक मास में श्रीकेशव के निकट अखण्ड दीपदान करता है, वह दिव्य कान्ति से युक्त हो जाता है। कार्तिक माह में पहले पंद्रह दिन की रातें वर्ष की अंधेरी रातों में से होती हैं। लक्ष्मी पति विष्णु के जागने के ठीक पूर्व के इन दिनों में दीप जलाने से जीवन का अंधकार छंटता है। जो व्यक्ति कार्तिक मास में श्रीकेशव के निकट अखण्ड दीपदान करता है, वह दिव्य कान्ति से युक्त होकर विष्णुलोक में विहार करता है। जो लोग कार्तिक मास में श्रीहरि के मन्दिर में दूसरों के द्वारा रक्खे गये दीपों को प्रज्वलित करते हैं, उन्हें नर्क नहीं भोगना पड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि एक चूहे ने कार्तिक एकादशी में दूसरों के द्वारा रक्खे दीप को प्रज्वलित करके दुर्लभ मनुष्य जन्म लाभ लिया था। समुद्र सहित पृथ्वी दान और बछड़ों सहित दुग्धवती करोड़ों गायों के दान का फल विष्णु मंदिर के ऊपर शिखर दीपदान करने के सोलहवें अंश के एक अंश के बराबर भी नहीं है। शिखर या हरि मन्दिर में दीपदान करने से शत-कुल का उद्धार होता है। जो व्यक्ति भक्ति सहित कार्तिक मास में केवल मात्र ज्योति -दीप्ति विष्णु मन्दिर के दर्शन करते हैं, उनके कुल में कोई नारकी नहीं होता। देवगण भी विष्णु के गृह में दीपदान करने वाले मनुष्य के संग की कामना करते हैं। कार्तिक-मास में, खेल खेल में ही सही विष्णु के मन्दिर को दीपों से आलोकित करने पर उसे धन, यश, कीर्ति लाभ होती है और सात कुल पवित्र हो जाते हैं। मिट्टी के दीपक में घी / तिल तेल डालकर कार्तिक पूर्णिमा तक दीप प्रज्वलित करें, इससे अवश्य लाभ होगा। कार्तिक मास में दीपदान कैसे करें कार्तिक मास में दीप दान करने के भी नियम हैं। दीप दान किसी नदी में, किसी मंदिर, पीपल, चौराहा, किसी दुर्गम स्थान आदि में करना चाहिए। भगवान विष्णु को ध्यान में रखकर किसी स्थान पर दीप जलाना ही दीपदान कहलाता है। दीप दान का आशय अंधकार मिटाकर उजाले के आगमन से है। मंदिरों में दीप दान अधिक किए जाते हैं।
हिन्दू धर्म अनुसार यह महत्वपूर्ण पर्व होता है और इस वर्ष पवित्र पावनि नर्मदा तट में धर्म सम्राट जगतगुरु शङ्कराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी के सानिध्य में गुरु भक्तो द्वारा दीपदान होने से यह कार्यक्रम महत्वपूर्ण हो गया है ।
हिंगलाज सेना सिवनी ने सभी सनातन धर्म प्रेमियो से अधिक से अधिक संख्या में सकलघाट पहुचकर धर्म अर्जन करने का आग्रह किया है।
विज्ञापन समाचार हेतु सपर्क करे-
9425569117/7580804100