चैत्र पूर्णिमा पर दुर्लभ ‘भद्रावास’ योग का हो रहा है निर्माण, हर परेशानी होगी दूर
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हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन पूर्णिमा मनाई जाती है। तदनुसार, 23 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा है। इस दिन गंगा स्नान करने का विधान है। साथ ही पूजा जप -तप और दान -पुण्य किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान (गंगाजल युक्त पानी से स्नान कर) कर भगवान विष्णु की पूजा करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं शांति आती है। पूर्णिमा तिथि पर श्री सत्यनारायणजी की पूजा भी की जाती है। ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र पूर्णिमा पर दुर्लभ ‘भद्रावास’ योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। आइए, शुभ मुहूर्त और योग जानते हैं-चैत्र पूर्णिमा 23 अप्रैल को देर रात 03 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 24 अप्रैल को ब्रह्म बेला में 05 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है। अतः 23 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा मनाई जाएगी।
भद्रावास योग
ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र पूर्णिमा पर भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण संध्याकाल 04 बजकर 25 मिनट तक है। इस दौरान भद्रा पाताल लोक में रहेंगी। शास्त्रों में वर्णित है कि भद्रा के पाताल और स्वर्ग लोक में रहने के दौरान पृथ्वी पर उपस्थित जीव जंतु, पशु, पक्षी एवं मानव जगत का कल्याण होता है। इस समय भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में व्याप्त हर परेशानी दूर हो जाती है।
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 47 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 52 मिनट पर
चन्द्रोदय- शाम 06 बजकर 25 मिनट पर
चंद्रास्त- सुबह 05 बजकर 54 मिनट पर
पंचांग
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 20 मिनट से 05 बजकर 04 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 23 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 50 मिनट से 07 बजकर 12 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 41 मिनट तक
अशुभ समय
राहुकाल – दोपहर 03 बजकर 36 मिनट से 05 बजकर 14 मिनट तक
गुलिक काल – दोपहर 12 बजकर 20 मिनट से 01 बजकर 58 मिनट तक
दिशा शूल – उत्तर
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