प्राचीन परंपरा, संस्कृति के संवाहक आदिवासी छत्तीसगढ़ की पहचान- देवेन्द्र बहादुर सिंह

प्राचीन परंपरा, संस्कृति के संवाहक आदिवासी छत्तीसगढ़ की पहचान- देवेन्द्र बहादुर सिंह
सांकरा जोंक ,पिथौरा विकासखंड के ग्राम सांकरा में सर्व आदिवासी समाज द्वारा विविध आयोजन के साथ विश्व आदिवासी दिवस को धूमधाम से मनाया। इस दौरान आदिवासी समाज के लोगों में एकजुटता के साथ उनकी संस्कृति की विविध रंग देखने को मिले। पारंपरिक वेशभूषा में प्राचीन परंपरा संस्कृति के संवाहक और जल, जंगल, जमीन के संरक्षक माने जाने वाले आदिवासीयों द्वारा अपनी एकता के नारा लगाते हुए आदिवासियों के हित में मिलकर लड़ाई लड़ने की बात कहीं। सर्व आदिवासी समाज द्वारा मंडी प्रांगण में श्री बुढ़ादेव सहित आदिवासियों के देवी व देवताओं स्थापना एवं पूजा अर्चनाकर सर्व आदिवासी समाज द्वारा रैली निकालकर पारंपरिक वेशभूषा में आदिवासीयों द्वारा एक तीर एक कमान, आदिवासी एक समान सहित अपनी एकता के नारा लगाते डीजे के धुन पर झूमते, गाते उत्साह के माहौल में थिरकते नजर आये जो आर्कषण का केंद्र रहा। रैली मंडी प्रांगण से मुख्य मार्ग होते हुए शहीद वीर नारायण सिंह चौक पहुंची जहां आदिवासियों वीर नारायण सिंह की प्रतिमा माल्यार्पण वापस कार्यक्रम स्थल पहुंचे। इस दौरान कार्यक्रम के मुख्य अतिथि छ्ग वन विकास निगम के अध्यक्ष व बसना विधायक राजा देवेन्द्र बहादुर सिंह ने विश्व आदिवासी दिवस पर आदिवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ और आदिवासी एक-दूसरे के पर्याय हैं। छत्तीसगढ़ के वन और यहां सदियों से निवासरत आदिवासी राज्य की पहचान रहे हैं। प्रदेश के लगभग आधे भू-भाग में जंगल है। जहां छत्तीसगढ़ की गौरवशाली आदिम संस्कृति फूलती-फलती रही है। प्रदेश में 42 अधिसूचित जनजातियों और उनके उप समूहों का वास है। प्रदेश की सबसे अधिक जनसंख्या वाली जनजाति गोंड़ है जो सम्पूर्ण प्रदेश में फैली है। छत्तीसगढ़ में निवासरत आदिवासियों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत रही है, जो उनके दैनिक जीवन तीज-त्यौहार एवं धार्मिक रीति-रिवाज एवं परंपराओं से ही छत्तीसगढ़ की पहचान बनी हुई हैं। कांग्रेस पार्टी हमेशा आदिवासियों के उत्थान और विकास में कार्य करती आ रही है यही कारण है कि प्रदेश के मुखिया भुपेश बघेल प्रदेश आदिवासियों की मूल कला-संस्कृति के संरक्षण तथा आदिवासियों के उत्थान और खुशहाली के लिए निरन्तर प्रयास कर रही है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पिथौरा जनपद पंचायत के अध्यक्ष सत्यभामा नाग ने सर्व आदिवासी समाज से अपील करते हुए कहा कि आदिवासी समाज भी शिक्षा के मुख्यधारा जुड़े जहां बालिका शिक्षा को प्रधानता दें समाज में वैचारिक एकता शिक्षित आर्थिक समृद्ध संगठन शक्ति बनाएं रखें और भारतीय संविधान निर्माता भारतरत्न डा भीमराव अम्बेडकर के अनुरूप हमें संवैधानिक अधिकार चुनौतियों के लिए सदैव संघर्षशील बने रहना होगा। वही महिला व बाल विकास परियोजना अधिकारी चन्द्रहास नाग एवं बसना उद्यानिकी अधिकारी उपेन्द्र नाग ने कहा कि संविधान में जो अधिकार आदिवासियों को दिए गए हैं। उनका पालन सुनिश्चत करें। ताकि समाज का विकास हो सके। इसके लिए सभी आदिवासीयों की एकजुटता के साथ परस्पर सहयोग करते हुये शिक्षा और स्वरोजगार के साथ उन्नत कृषि के क्षेत्र में भी आगे आना होगा। पिथौरा नायब तहसीलदार श्री नितिन ठाकुर ने उपस्थित सामाजिक जनों को जल जंगल जमीन के बारे में जानकारी दी एवं उसे कैसे बचाना है यह आदिवासी समाज को चिंता करना है , तथा कार्यक्रम में लेक्चर आर एवं जनपद अध्यक्ष पति केडी नाग भी उपस्थित रहे । कार्यक्रम में उपस्थित बसना के महिला बाल विकास अधिकारी द्वारा छत्तीसगढ़ में लगभग 78 लाख आदिवासी समाज के बंधुओं निवासरत हैं ऐसे जानकारी दी है ।तथा संविधान द्वारा जो पांच अधिकार दिए गए हैं उसके बारे में भी विस्तृत रूप से जानकारी दी । उक्त कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए क्षेत्रीय विधायक एवं वन विकास निगम के अध्यक्ष देवेंद्र जी ने कार्यक्रम के संयोजक जगत राम मांझी संरक्षक श्री धर भोई , राजेश नेताम, शतपत सिंह सिदार, अनिल भ़ोई, अमित नेताम, पुष्पराज नेताम , डिगेश्वर बरिहा, सुबरन नेताम, महेंद्र नाग, कीर्तन दीवान, गजानन जगत, सुरेश बरिहा, हुकुमचंद सिदार, मोतीलाल भ़ोई, सां
करा सरपंच श्रीमती मेम बाई नेताम, भूतपूर्व सरपंच को किया बाई सिदार, यनिता नागेश, कुसुम नेताम, बारीक लाल भोई ,नरोत्तम सिदार ,उदय राम सिदार,, उत्तर ठाकुर लक्ष्मीकांत बूढ़ेक सफेद नाग, भागीरथी भोई ,रोहित पोर्ते,, मनोहर दीवान,खिरोधर बरिहा, श्रीधर भोई ,नंदलाल भोई ,मुक्तेश्वर बुढेक, हेमलाल दीवान ,अनिल दीवान ,नरोत्तम ठाकुर, के अलावा क्षेत्र के लगभग 20 गांव से 1500 से 2000 की संख्या में स्वजातीय बंधु उक्त कार्यक्रम में उपस्थित थे तथा कार्यक्रम के संचालकों द्वारा सभी बंधुओं के लिए भोजन की व्यवस्था भी मंडी प्रांगण में की गई थी।। क्षेत्रीय विधायक द्वारा विश्व के तमाम देशों के आदिवासी बंधुओं द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस घोषित करने हेतु मांग रखा गया उक्त मांग पर संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में घोषणा किया गया है एवं छत्तीसगढ़ शासन के मुखिया भूपेश बघेल जी द्वारा 9 अगस्त को शासकीय अवकाश घोषित किया है जिसका पूरे आदिवासी समाज ने मुख्यमंत्री का आभार जताया था।फोटो संलग्न