SarkarOnIBC24: अदावत पुरानी, ’24’ में नयी कहानी! अबकी बार किसके पक्ष में चुनावी हवा? क्या सिंधिया परिवार के सामने टिक पाएगा राव परिवार? देखें खास रिपोर्ट
भोपाल: Lok Sabha Chunav 2024 मध्यप्रदेश में चुनावी मुकाबला दिलचस्प होते जा रहा है। कांग्रेस पुरानी अदावत को फिर हवा देने की तैयारी मे है। कांग्रेस ने 8वी सूची जारी कर ये साफ कर दिया है कि बीजेपी से मिले पुराने जख्म भूली नहीं है। खैर बीजेपी ये दावा कर रही है कि हर हाल में एमपी की सारी सीटें बीजेपी ही जीतेगी।
Lok Sabha Chunav 2024 ये दावा है गुना से कांग्रेस प्रत्याशी यादवेंद्र सिंह यादव का जो इस बार बीजेपी के ज्योतिरादित्य सिंधिया को टक्कर देंगे। टिकट मिलने के बाद अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त यादवेंद्र के दावे में कितना दम है, ये तो 4 जून को पता चलेगा, लेकिन अपनी आठवीं सूची में कांग्रेस ने गुना से सिंधिया परिवार के सामने फिर राव परिवार के कैंडिडेट को खड़ा कर मुकाबला दिलचस्प जरूर बना दिया है।
राव यादवेंद्र सिंह के पिता देशराज सिंह माधवराव सिंधिया के खिलाफ साल 1998 में चुनाव लड़ चुके हैं। 2002 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ भी ताल ठोका था। लेकिन राव देशऱाज सिंह दोनों चुनाव हार गए। ऐसे में कांग्रेस ने उनके बेटे राव यादवेंद्र सिंह यादव को फिर सिंधिया के मुकाबले टिकट देकर चुनावी पैंतरा चला है। कांग्रेस का दावा है कि इस बार खानदानी अदावत में जीत राव यादवेंद्र सिंह की होगी।
कांग्रेस ने इस बार दमोह लोकसभा सीट पर एक दोस्त के सामने दूसरे दोस्त को खड़ा कर दिया है। कांग्रेस ने बीजेपी के प्रत्याशी राहुल लोधी के खिलाफ कांग्रेस ने उनके पुराने दोस्त और दूर के रिश्तेदार तरवर लोधी को टिकट दिया है। कांग्रेस ने तीसरे कैंडिडेट के तौर पर विदिशा से शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ दो बार के सांसद प्रताप भानू शर्मा को मैदान में उतारा है। प्रतापभानू शर्मा का भी बीजेपी से लड़ने का पुराना इतिहास रहा है।
दरअसल कांग्रेस कैंडिडेट प्रतापभानू शर्मा साल 1980 और 1984 में दो बार सांसद रहे। प्रतापभानू शर्मा का चुनाव प्रचार करने खुद इंदिरा गांधी और राजीव गांधी आया करते थे। हालांकि प्रतापभानू शर्मा इसके बाद राघव जी से साल 1990 में, अटल बिहारी वाजपेयी से 1991 में और 1991 के ही उपचुनाव में शिवराज सिंह चौहान से हार गए। जाहिर है बीजेपी ये दावा कर रही है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में जनता का रुझान सिर्फ और सिर्फ बीजेपी की तरफ है। गुना, विदिशा और दमोह की टिकट को देखकर तो यही लगता है कि कांग्रेस पुरानी अदावत भूल नहीं पायी है। शायद इसलिए कांग्रेस ने दो दोस्तों, दो खानदानों और दो धुर विरोधियों को फिर आमने सामने खड़ा कर दिया है। हालांकि उसका ये चुनावी पैंतरा कितना काम करता है, इंतजार रहेगा।