ड्रेन टू ड्रेन रोड, इनके किनारे हरियाली, ट्रकों की नो-एंट्री और गाड़ियों के धुएं पर सख्ती से मिली राहत
रायपुर सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़-.राजधानी में पिछले 4 साल में शहर की 25 किमी प्रमुख सड़कें टू-लेन से फोरलेन में बदलीं जिनसे घने शहर में ट्रैफिक जाम कम हुअा है। जयस्तंभ चौक से 2 किमी दायरे की तमाम सड़कें धूल कम करने के लिए ड्रेन टू ड्रेन पक्की कर दी गई हैं। स्मार्ट सिटी, नगर निगम और वन विभाग ने पिछले चार साल में डिवाइडरों और सड़क किनारे 20 हजार से ज्यादा पेड़-पौधे लगाए हैं, जिनमें से अधिकांश बचे हुए हैं।
चार साल पहले तक अधिकांश ट्रक डीजल बजाने के लिए रात में जीई रोड से गुजर रहे थे लेकिन नो-एंट्री का समय घटने तथा रिंग रोड-3 शुरू होने के कारण अब 90 फीसदी ट्रक शहर में दाखिल नहीं हो रहे हैं। यही नहीं, राजधानी में पिछले दो साल में एक लाख से ज्यादा फोरव्हीलर और टूव्हीलर की प्रदूषण जांच तथा लगभग 5 साल से हर महीने की 5 तारीख को नो-वेहिकल डे मनाया जा रहा है। विशेषज्ञों तथा निगम-प्रशासन का दावा है कि इन उपायों से शहर में प्रदूषण कम हो रहा है। कुछ सड़कें और ओवरब्रिज और बनने के बाद हवा में प्रदूषण में और कमी की उम्मीद की जा सकती है।
पर्यावरण संरक्षण मंडल राजधानी के पांच प्वाइंट जयस्तंभ चौक, टाटीबंध चौक, खमतराई-हीरापुर, कलेक्टोरेट, तेलीबांधा और पचेड़ीनाका के अासपास अलग-अलग महीनों में प्रदूषण की जांच कर रहा है। इसमें पीएम-2.5, पीएम-10, कार्बन डाइआक्साइड, सल्फर, नाइट्रोजन इत्यादि गैसों की मात्रा भी मापी जाती है। शहर में सबसे खराब हालत धूल (पार्टीकुलेटेड मैटर या पीएम) की रही है। शहर में लगातार निर्माण, सड़कों पर गड्ढे, कंस्ट्रक्शन साइटों का कचरा और वाहनों के धुएं के साथ निकले कार्बन कण इसकी बड़ी वजह रहे हैं। इन्हें जांचने के लिए संंबंधित प्वाइंट्स पर पर्यावरण विभाग के साइंटिस्ट लगभग 20 फीट ऊंचाई पर उपकरण लगाकर निश्चित समय पर छोड़ते हैं, फिर उपकरण में इकट्ठा धूल कणों को माप लेते हैं।
इसलिए खतरनाक है पीएम
जानकारों के मुताबिक हवा में पीएम की बढ़ी मात्रा मानव शरीर के लिए बहुत ही अधिक खतरनाक है। ठंड के समय में यह काफी हानिकारक हो जाता है। इसका सीधा असर श्वसन तंत्र पर पड़ता है। इससे अस्थमा, दमा सहित श्वांस की अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। खासकर छोटे बच्चों और वयोवृद्ध लोगों के लिए यह अधिक खतरनाक स्थिति होती है।
इन कोशिशों से और सुधार संभव
- सड़कों की रोज सफाई यानी धूल न उड़े
- ज्यादा से ज्यादा हरियाली और पेड़-पौधे
- वाहनों में प्रदूषण की नियमित जांच
- निर्माण सामग्री का ढंककर परिवहन
- धूल वाले इलाकों में पानी का छिड़काव
- बुजुर्गों-बच्चों को धूल में जाने से रोकें।
प्रदूषण कम करने 5 साल से नो-व्हीकल डे मना रहे हैं। निगम भी प्रदूषण फैलाने वालों पर सख्त हुआ है। इसलिए प्रदूषण में कमी अाई है। प्रमोद दुबे, महापौर रायपुर
शहर में पाइपलाइनों के लिए हो रही खुदाई के बाद पानी से सड़क की धुलाई, कंस्ट्रक्शन साइटों पर ग्रीन नेट की अनिवार्यता की गई है। शिव अनंत तायल, निगम कमिश्नर
एक्सपर्ट राय उपाय रोके नहीं जाएं
पं. रविशंकर शुक्ल विवि में रसायन के प्रोफेसर डा. शम्स परवेज ने कहा कि साफ-सुथरी सड़कें, कंस्ट्रक्शन साइटों पर निगरानी और ज्यादा से ज्यादा ग्रीनरी से निश्चित तौर पर प्रदूषण में कमी आती है और यहां भी अाई है। जिस रफ्तार से प्रदूषण बढ़ाने वाले कारक बढ़ रहे हैं, उसी अनुपात में प्रदूषण कम करने वाले उपाय भी किए जाने चाहिए।
रायपुर में प्रदूषण इसलिए भी कम हुअा है क्योंकि शहर में कचरा जलाने की प्रवृत्ति कम हो गई है। इससे भी पर्यावरण में प्रदूषण फैलता है। कचरे के जलने से हानिकारक गैसें भी निकलती हैं। ऐसी प्रवृत्तियों को लगातार हतोत्साहित करना होगा।
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