धर्म

9 शुभ योगों में होगा होलिका दहन, पिछले 700 सालों में नहीं बना ऐसा संयोग

24 मार्च को होलिका दहन होगा और 25 को होली खेली जाएगी। ज्योतिषियों के मुताबिक इस साल होलिका दहन पर भद्रा का अशुभ काल रात करीब 10:50 बजे तक रहेगा

शहरों के हिसाब से ये समय कुछ मिनट आगे-पीछे हो सकता है, इसलिए रात 11 बजे बाद होली जलानी चाहिए। इस बार होली पर चंद्र ग्रहण भी है, लेकिन भारत में नहीं दिखने के कारण इसका महत्व नहीं रहेगा।

24 मार्च को सुबह करीब साढ़े 9 बजे तक चतुर्दशी रहेगी। फिर पूर्णिमा शुरू हो जाएगी जो कि 25 मार्च को दोपहर 12:30 बजे तक रहेगी। पूर्णिमा दो दिन तक होने से कन्फ्यूजन हो रहा है। बनारस के प्रो. रामनारायण द्विवेदी बताते हैं कि 24 की शाम को पूर्णिमा होने से इसी तारीख को भद्रा खत्म होने के बाद होलिका दहन करना चाहिए। वहीं, 25 मार्च को सूर्योदय के वक्त पूर्णिमा तिथि होने पर इस दिन स्नान-दान और व्रत-पूजा करना चाहिए।

24 मार्च को 9 बड़े शुभ योग में जलेगी होली
इस बार होलिका दहन के वक्त सितारे बेहद खास रहेंगे। जिससे 9 बड़े शुभ योग बनेंगे। बनारस, उज्जैन और पुरी के ज्योतिषियों का कहना है कि ऐसा शुभ संयोग पिछले 700 सालों में नहीं दिखा।
होलिका दहन के वक्त सर्वार्थसिद्धि, लक्ष्मी, पर्वत, केदार, वरिष्ठ, अमला, उभयचरी, सरल और शश महापुरुष योग बन रहे हैं। इन योग में होली जलने से परेशानियां और रोग दूर होंगे। ये शुभ योग समृद्धि और सफलतादायक रहेंगे।

देश के लिए आर्थिक तरक्की वाली होली, लेकिन राजनीति में उथल-पुथल
होलिका दहन के सितारों को देखते हुए ज्योतिषियों का कहना है कि ये होली देश के लिए आर्थिक और भौतिक उन्नति लेकर आ रही है। देश में विकास योजनाओं पर तेजी से काम होने की संभावना है। इंडस्ट्रियल सेक्टर और स्टार्टअप्स तेजी से बढ़ेंगे।
ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में भी बड़ी डील होने के आसार हैं। हालांकि कई धार्मिक मामलों में विवाद और विरोध होने की आशंका है। राजनीति से जुड़े बड़े बदलाव होंगे। राजनेताओं में विवाद और टकराव बढ़ेंगे। देश में बीमारियां भी बढ़ सकती हैं।
– ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र, पुरी

होलिका दहन से निकली लौ बताएगी कैसा बीतेगा साल
होलिका दहन की आग से उठने वाली लौ की दिशा से तय होता है कि साल के आगामी दिनों का भविष्य कैसा होगा। यह विज्ञान नहीं, ज्योतिषियों का मत है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष प्रो. गिरिजाशंकर शास्त्री का कहना है कि होलिका दहन के समय अग्नि की लौ या धुआं देखकर भविष्य का अनुमान लगाते हैं।

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