राज्योत्सव पुरुस्कार अलंकरण का डिजाइनर ही आज अलंकरण के लिए मोहताज, जी रहा है बदहाली में
कोंडागांव । कोंडागांव को शिल्पनगरी के नाम से जाना जाता है क्योंकि कोंडागांव के शिल्पकारों ने अपनी कारीगरी से पूरे विश्व मे ख्याति प्राप्त की है ।
इन्ही शिल्पकारों में से एक है कोंडागांव के शुखचन्द पोयाम जिन्होंने अपनी शिल्पकारी से छत्तीसगढ़ शाशन द्वरा दिया जाने वाला राज्य अलंकरण पुरुस्कार का डिजाइन पहली बार तैयार किया था जो कि अभी तक छत्तीसगढ़ राज्योत्सव में परुस्कारअलंकरण के रूप में दिया जा रहा है।
लेकिन आपको यह जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि, राज्य स्थापना के बाद शुरू हुए राज्य अंलकरण देने की पंरपरा में अलंकरण का डिजायन करने वाला कलाकर शिल्पनगरी कोण्डागांव निवासी सूखचंद पोयाम 80 वर्षिय बिजुर्ग आज गुमनामी की जिंदगी जी रहा है। जबकि उसकी प्रतिभा को भारत सरकार ने वर्ष 1970 में श्रेष्ण शिल्पकार के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा था। जब छत्तीसगढ़ राज्य उत्सव में अंलकरण देने का निर्णय लिया गया। उस समय विभिन्न राज्यों के शिल्पकारो के साथ सूखचंद पोयाम ने भी अलंकरण के लिए एक मॉडल तैयार किया जो कि उसे मील राष्ट्रीय पुरस्कार अंलकरण के काफी मिलता जुलता था। सुखचंद के डिजाइन में थोड़ा हेर फेर करने के बाद राज्य सरकार ने उसी डिजाइन को पुरुस्कार अलंकरण के लिए फाइनल कर दिया और सुखचंद को उस अलंकरन को बनाने का ऑर्डर भी दिया। अगले कूछ सालों तक तो सरकार ने अलंकरण बनाने का काम सुखचंद को दिया लेकिन उसके बाद अब उसकी कोई पूछ परख नही है।
राज्य सरकार आज छत्तीसगढ़ राज्योत्सव मानने में करोड़ों खर्च कर रही है ओर राज्य अलंकरण पुरुस्कार बाँट रही है वही ये शिल्पकार जिसके डिजाइन किए हुए अलंकरण पुरुस्कार के रूप में बंट रहे है। सरकार से मदद के लिए उम्मीद लगये बैठा है कि इसकी बदहाल ओर बीमार जिंदगी की सुध लेने सरकार का कोई नुमाइंदा तो इसके पास आएगा और इसकी बदहाली दूर करेगा।
सुखचंद पोयाम के नाती का कहना है कि इस प्रकार से सरकार का रवैया ठीक नही है चुकी अलंकरन का डिजाइन इनके दादा जी ने बनाया है तो इसको बनाने का ऑर्डर भी इन्हें ही मिलना चाहिए। सरकार दूसरे कलाकारों से क्यों बनवा रही है इनका बनाया हुआ डिजाइन।