भिलाई इस्पात संयंत्र के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक प्रभारी सैय्यद नवैद आबिदी ने अपने अनुभव और विचारों को साझा किया
भिलाई इस्पात संयंत्र के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक प्रभारी सैय्यद नवैद आबिदी ने अपने अनुभव और विचारों को साझा किया
भिलाई। अनेक पुरुषों और महिलाओं ने अपने सेवा काल के दौरान भिलाई इस्पात संयंत्र को अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए कड़ी मेहनत की है। इस चर्चा में, श्री सैय्यद नवैद आबिदी, जो जुलाई 2022 को मुख्य महाप्रबंधक प्रभारी सर्विसेस के पद से सेवानिवृत्त हुए, अपने अनुभव साझा करते हुए बताते हैं कि अपनी टीम के साथ विभिन्न चुनौतियां को कैसे पार किया और कुछ निर्णय और कार्यों ने संगठन को कैसे प्रभावित किया। उन्होंने वर्तमान में सेवारत लोगों के लाभ के लिए, अपने कार्यकाल के दौरान प्राप्त अनुभव भी साझा किया। आइये उनसे सुनते हैं उनके विचार। भिलाई स्टील प्लांट में आपका लंबा करियर रहा है। आपने अपने करियर के दौरान विभिन्न विभागों/अनुभागों में काम किया है। आपके कार्यक्षेत्र में कई चुनौतीपूर्ण परिस्थितियाँ आई होंगी, जिन्हें अपने स्वीकार होगा। कृपया अपना कुछ अनुभव साझा करें। भिलाई इस्पात संयंत्र में 39 वर्षों से भी अधिक समय में मैंने विभिन्न क्षमताओं में कई विभागों और अनुभागों में काम किया है। मैं उन भाग्यशाली लोगों में से एक हूं, जो आधुनिकीकरण और विस्तार के दो चरणों के तहत, परियोजनाओं को आकार लेते हुए देखा और संयंत्र के 2.5 मिलियन टन से 4 मिलियन टन और फिर 4 मिलियन टन से 7 मिलियन टन तक के सफर के साक्षी बने। प्रारंभ में, जब संयंत्र की क्षमता 2.5 मिलियन टन से बढ़ाकर 4 मिलियन टन की जा रही थी, तब मुझे प्रोजेक्ट ऑर्गेनाइजेशन में प्रतिनियुक्त किया गया। इसके बाद, मैंने यातायात विभाग के ट्रैक रखरखाव अनुभाग में काम किया। यहां सबसे बड़ी चुनौती पटरी से उतरने की घटनाओं को कम करना था। संयंत्र के अंदर लगभग पूरे ट्रैक ले-आउट में, ट्रैक बिछाने के लिए लकड़ी के स्लीपरों का उपयोग किया गया था, यहां तक कि एसएमएस-1 के पिटसाइड में भी, जहां लिक्विड स्टील को इनगट में कास्ट किया जाता था। दुर्गापुर स्टील प्लांट से स्टील स्लीपर की व्यवस्था की जा रही थी, लेकिन सीमित मात्रा में और प्री स्ट्रेस्ड कांक्रीट स्लीपर भी उपलब्ध नहीं थे, क्योंकि भारतीय रेलवे से इनकी भारी मांग थी। जब दुर्गापुर स्टील प्लांट ने स्टील ट्रफ स्लीपरों का निर्माण बंद कर दिया, तो लकड़ी के स्लीपरों की अनुपलब्धता थी। तब हमारे सामने यह बड़ी चुनौती थी। भिलाई इस्पात संयंत्र के डिजाइन और ड्राइंग विभाग की मदद से, ब्रॉड गेज स्टील स्लीपर और क्रॉसिंग स्लीपर के लिए ड्राइंग विकसित किए गए और इसका उत्पादन प्रारंभ किया गया। क्रॉसिंग स्लीपर बार हमारे रेल और स्ट्रक्चरल मिल का एक नियमित उत्पाद बन गया। इन क्रॉसिंग स्लीपरों से लकड़ी के स्लीपरों और प्री स्ट्रेस्ड कंक्रीट स्लीपरों को धीरे-धीरे बदलने के साथ, अब पटरी से उतरने की घटनाएं लगभग शून्य हो गई हैं, जबकि पहले विभिन्न कारणों से प्रतिदिन औसतन 10 दुर्घटनाएं होती थीं। मैं भाग्यशाली था, कि मुझे करियर की शुरुआत से ही स्टील मेकिंग प्रक्रिया के साथ जुड़े सहायक सेवाओं के विभिन्न कार्यों, विभागों से अवगत होने का
मौका मिला।