किसान के बेटे ने छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी में किया टॉप, गोल्ड मेडल से किया जाएगा सम्मानित
रायपुर. सफलता कड़ी मेहनत और लगन का परिणाम है. इसका जीता जागता उदाहरण महेत्तर लाल यादव हैं, जिन्होंनें छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े विश्वविद्यालय यानी पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के भूगोल विभाग से पूरे यूनिवर्सिटी में टॉप किया है. ग्रामीण इलाके से आने वाले महेत्तर ने कॉम्पिटिशन वाले शहर में आकर अपने नाम का लोहा मनवाया है. महेत्तर छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले के लवन शहर के दक्षिण दिशा स्थित छोटे से गांव हरदी के रहने वाले हैं. प्राथमिक शिक्षा हरदी के सरकारी स्कूल में और ग्रेजुएशन लवन के सरकारी कॉलेज से हुई है.आपको बता दें कि ग्रेजुएशन की पढ़ाई के बाद पीजी की पढ़ाई करने महेत्तर ने राजधानी की तरफ कूच किया और प्रदेश की सबसे बड़े यूनिवर्सिटी यानी पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में दाखिला लिया. महेत्तर ने आगे बताया कि कुल 2000 नम्बर की परीक्षा होती है, जिसमें 1557 नम्बर मिले हैं. इसी बदौलत महेत्तर ने जियोग्राफी डिपार्टमेंट से पूरी यूनिवर्सिटी में टॉप किया है. लिहाजा आने वाले 20 फरवरी को यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में स्वर्ण पदक से सम्मानित किया जाएगा. बलौदा बाजार जिले के हरदी गांव के कृषक परिवार में जन्में महेत्तर यादव के पिता रामनाथ यादव खेती किसानी करते हैं. परिवार में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने वाले अकेले महेत्तर हैं.माता-पिता और टीचर को दिया श्रेय
महेत्तर ने बताया कि शुरुआती दिनों में जब गांव से शहर पढ़ाई करने आए तब काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा क्योंकि पूरे देश समेत राजधानी रायपुर में भी कोविड का दौर चल रहा था, जिसकी वजह से हॉस्टल भी नहीं मिला. लिहाजा 2500 रुपए प्रति माह देकर महेत्तर कमरा किराया लेकर अकेले रहने लगे थे. सफलता का श्रेय कोई भी इंसान सफल होते हैं, तो उसके पीछे जरूर कोई न कोई होता है. महेत्तर की सफलता के पीछे माता पिता के अलावा यूनिवर्सिटी के भूगोल अध्ययन शाला के शिक्षकों का है. महेत्तर ने बताया कि भूगोल अध्ययन शाला के शिक्षकों में बच्चों को पढ़ाने के लिए अलग ही जुनून है.सामान्य देखा जाता है कि बच्चों में केवल पुस्तकीय ज्ञान को महत्व दिया जाता है. लेकिन पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के भूगोल डिपार्टमेंट में पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान को भी महत्व देते हैं. जैसे बच्चे अपने लिए मेहनत करते ही हैं, लेकिन यहां पढ़ाने वाले शिक्षक भी बच्चों के लिए मेहनत करते हैं. निश्चित ही यहां के विभागाध्यक्ष प्रो उमा गोले के अलावा अन्य प्रोफेसर का योगदान रहा है.