दीपावली की रात हुए 550 वर्ष पुराने दुर्लभ दक्षिणावर्ती शंख के दर्शन और पूजन
रायपुर सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़-दीपावली की रात छत्तीसगढ़ की राजधानी में 550 साल पुरानी रस्म को निभाया गया। शहर के दूधाधारी मठ में लोगों ने दुर्लभ दक्षिणावर्ती शंख के दर्शन किए। इस शंख को शास्त्रों में लक्ष्मी माता का प्रतीक माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस शंख के दर्शन से सुख समृद्धि मिलती है। लिहाजा मठ पिछले 550 सालों से यहां मौजूद ऐसे 2 शंखों को आम लोगों के दर्शन के लिए रखता है। मंदिर स्थापना से ही यह परम्परा चली आ रही है। मठ प्रमुख महंत डॉ रामसुंदर दास ने बताया कि साल में सिर्फ एक बार दिवाली की रात को ही इसे आम लोगों के दर्शन के लिए रखा जाता है।
दूधाधारी मठ की स्थापना 550 साल पहले महंत बलभद्र दास ने की थी। माना जाता है कि दूधाधारी मठ में ये 2 दक्षिणावर्ती शंख तब के हैं और उसी समय से हर दिवाली पर इनकी पूजा की परंपरा भी शुरू हुई। अथर्ववेद के 10वें सूक्त में कहा गया है कि शंख अंतरिक्ष, वायु ज्योतिर्मंडल व सुवर्ण से संयुक्त है। इसकी ध्वनि शत्रुओं को निर्बल करने वाली होती है। आमतौर पर मिलने वाले शंख को हाथ से पकड़ने की जगह बाईं तरफ होती है। लेकिन इस शंख में यह दाएं की ओर होती है। शास्त्रों के अनुसार शंख तीन प्रकार के बताए गए हैं। वामावर्ती, दक्षिणावर्ती और मध्यवर्ती। दक्षिणावर्ती शंख की विशेष रूप से पूजा की जाती है।
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